Indian Army Day 2025: देश के पहले आर्मी चीफ K.M. Cariappa का Plan अगर होता कामयाब तो घर-घर से निकलता जवान!
January 15, 2025 2025-01-15 8:34Indian Army Day 2025: देश के पहले आर्मी चीफ K.M. Cariappa का Plan अगर होता कामयाब तो घर-घर से निकलता जवान!
Indian Army Day 2025: देश के पहले आर्मी चीफ K.M. Cariappa का Plan अगर होता कामयाब तो घर-घर से निकलता जवान!
Indian Army Day 2025 : एक बार कल्पना करके देखिए…अगर देश में आम लोगों को भी सेना जैसी ट्रेनिंग दी जाती तो!
कुछ-कुछ इजरायल जैसी। सिर्फ वो ही नहीं जो सेना में शामिल होना चाहते हैं!
बल्कि स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स, पास की दुकान पर सामान
बेचने वाले भैया, टीचर-डॉक्टर सब ही को खास ट्रेनिंग मिलती।
एक बार कल्पना करके देखिए…अगर देश में आम लोगों को भी सेना जैसी ट्रेनिंग दी जाती तो! कुछ-कुछ इजरायल जैसी।
सिर्फ वो ही नहीं जो सेना में शामिल होना चाहते हैं बल्कि स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स, पास की दुकान
पर सामान बेचने वाले भैया, टीचर-डॉक्टर सब ही को खास ट्रेनिंग मिलती। अगर ऐसा होता तो
पक्का आज भारत की युवा तस्वीर में और चार चांद लग जाते!ये सपना था!

Indian Army Day 2025:
आजाद भारत के पहले आर्मी चीफ का। फील्ड मार्शल K.M.Cariappa ने यह ख्वाब 77 साल पहले देखा था,
इसके लिए खास योजना भी बनाई थी। आज पूरा देश 77वां सेना दिवस (Army Day 2025) मना रहा है।
साल 1949 में आज ही के दिन जनरल करियप्पा (बाद में फील्ड मार्शल बने) ने भारतीय थल सेना की कमान संभाली थी।
जनरल कोडंडेरा एम. करियप्पा (K.M.Cariappa) ने 15 जनवरी, 1949 को देश के कमांडर-इन-चीफ
(C-in-C या Commander-in-Chief) के तौर पर सेना की कमान संभाली थी।
इस तरह देश को अपना पहला भारतीय आर्मी चीफ मिला था। इससे पहले General Sir Francis Robert Roy Bucher
के हाथों में भारतीय थल सेना की कमान थी। तभी से पूरा देश इस दिन को खास जोश के साथ मनाता है।
कमांडर-इन-चीफ का पद संभालते ही करियप्पा ने कई नई पहल कीं। जनरल करियप्पा का कहना था,
‘सेना लोगों की सेवा के लिए है और इसका मकसद देश के लोकतंत्र और स्वतंत्रता को बचाए रखना है।’
उन्होंने अपने पहले ही आदेश (Special Order of the Day) में यह साफ कर दिया था
कि भारत की सेना को कैसी भूमिका निभानी है। मगर उनका एक ख्वाब था, जो अधूरा ही रह गया।
देश के पहले आर्मी चीफ का वो सपना अगर पूरा हो जाता तो आज शायद भारत के हर घर में सिपाही होता।
क्या था वो सपना
जनरल करियप्पा के शुरुआती फैसलों में एक बेहद खास निर्णय भी था। पदभार संभालते ही उन्होंने एक प्रस्ताव रखा।
इसके मुताबिक सिर्फ सेना में शामिल होने वाले जवानों को ही नहीं बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक को
सेना की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। उनका मानना था कि इससे आम लोगों में
भी अनुशासन बढ़ेगा, जो रोजमर्रा की जिंदगी में काफी काम आएगा।
सेना प्रमुख का प्रस्ताव
इस खास स्कीम के तहत लोकल पुलिस से संपर्क करके कई परेड ग्राउंड चुने गए थे।
इन मैदानों पर 18 से 35 साल के वॉलिंटियर्स को सेना हफ्ते में एक बार ट्रेनिंग देगी।
प्रस्ताव के मुताबिक ये लोग 15-20 लोगों के छोटे-छोटे groups में जुटेंगे।
इन लोगों की reporting एक गैर-कमीशन अधिकारी (NCO) के पास होगी।
ऐसे 4 ग्रुप्स का नियंत्रण जूनियर कमिशन ऑफिसर (JCO) के पास होगा। इन सभी ग्रुप्स पर एक अधिकारी होगा।
सेना के जवानों जैसी ट्रेनिंग
प्रस्ताव में कहा गया था कि हर एक समूह को 10-10 मिनट की आसान फिजिकल ट्रेनिंग कराई जाएगी।
इसके साथ बिना राइफल के 20 मिनट की squad training होगी। इस दौरान बिना
राइफल के सेना की तरह मार्च कराने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ट्रेनिंग में स्वच्छता, हाइजिन और अनुशासन पर
भी 20-20 मिनट के सेशन शामिल थे। प्रत्येक वॉलिंटियर्स को कुल 6 सेशन जरूर अटेंड करने थे।
सरकार पर कोई खर्च का बोझ नहीं
देश के पहले कमांडर-इन-चीफ इस बात से भी अच्छी तरह वाकिफ थे कि आजादी के तुरंत बाद देश पर किसी
भी तरह का आर्थिक बोझ डालना सही नहीं है। इसलिए इस कार्यक्रम में सरकार से किसी तरह के बजट
की मांग नहीं की गई थी। निर्देश साफ थे..इस कार्यक्रम में शामिल होने के बदले कोई पैसा नहीं मिलेगा।
न ही ट्रेनिंग के दौरान कुछ खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी। सभी को अपना इंतजाम खुद ही करना होगा।
वे जैसे चाहें, वैसे कपड़े पहनकर इसमें शामिल हो सकते हैं।
नहीं मिली मंजूरी
जनरल करियप्पा की योजना के मुताबिक दिल्ली, लखनऊ, झांसी, अंबाला, अमृतसर, कोलकाता, नागपुर, चेन्नई,
बंगलुरु, कोयंबटूर, पुणे और अहमदाबाद में इस ट्रेनिंग को सबसे पहले शुरू किया जाना चाहिए।
इसके बाद पुलिस की मदद से गांवों में भी इसकी शुरुआत की जा सकती है। उनका मानना था
कि इससे लोगों में अनुशासन के साथ-साथ आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। मगर जनरल करियप्पा
की यह सोच परवान नहीं चढ़ सकी। इस स्कीम में सियासत बीच में आ गई।
सरकार से इसे कभी मंजूरी ही नहीं मिल सकी।
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