बरसाने की होली जब राधा ने कृष्ण को रंगों में सराबोर किया जब प्रेम बन गया रंगों की पहचान!
March 11, 2025 2025-03-11 15:31बरसाने की होली जब राधा ने कृष्ण को रंगों में सराबोर किया जब प्रेम बन गया रंगों की पहचान!
बरसाने की होली जब राधा ने कृष्ण को रंगों में सराबोर किया जब प्रेम बन गया रंगों की पहचान!
राधा-कृष्ण की होली : होली का त्यौहार भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है लेकिन जब बात बरसाने की होली की होती है
तो यह उत्सव और भी खास हो जाता है बरसाने की होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि प्रेम और भक्ति की
अनोखी अभिव्यक्ति है। यह वही पावन भूमि है जहाँ राधा और कृष्ण का दिव्य प्रेम रंगों में घुलकर अमर हो गया।
#कृष्ण और राधा की प्रेममयी होली

होली से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण जब बाल्यावस्था में थे तो वे अपने श्याम
वर्ण को देखकर चिंतित रहते थे वे अक्सर अपनी माँ यशोदा से शिकायत करते थे
कि राधा और अन्य गोपियाँ उनसे गोरी क्यों हैं इस पर माँ यशोदा ने मुस्कुराते हुए
कहा कि वे राधा के चेहरे पर कोई भी रंग लगा सकते हैं और फिर देख सकते हैं कि वह कैसी लगेंगी।
इस बात से उत्साहित होकर कृष्ण अपने सखाओं के साथ रंग लेकर बरसाने पहुँचे
और राधा एवं उनकी सखियों को रंगों से सराबोर कर दिया इस पल ने प्रेम और रंगों को
एक अनोखे बंधन में बाँध दिया। राधा और गोपियों ने भी कृष्ण पर रंग डालकर प्रेमपूर्ण प्रतिउत्तर दिया।
यह दिव्य खेल हर साल होली के अवसर पर दोहराया जाने लगा और इसे “बरसाने की लट्ठमार होली के रूप में जाना गया।
बरसाने की लट्ठमार होली की अनोखी परंपरा
बरसाने की होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें एक
अनूठी परंपरा भी निभाई जाती है जिसे लट्ठमार होली” कहा जाता है।
नंदगांव के ग्वालों की टोली – होली से कुछ दिन पहले नंदगांव (जहाँ कृष्ण ने
अपना बाल्यकाल बिताया) के पुरुषों की टोली बरसाने आती है।
बरसाने की महिलाओं का जवाब – जब ये ग्वाल बरसाने आते हैं, तो यहाँ की
महिलाएँ लाठियों (लट्ठों) से उनका स्वागत करती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने की
कोशिश करते हैं।
रंग और भक्ति का संगम – इस होली में महिलाएँ हँसी-खुशी कृष्ण के भक्तों को
लाठियों से मारती हैं और यह पूरा दृश्य प्रेम भक्ति और आनंद से भरपूर होता है।
राधा-कृष्ण का प्रेम और होली का महत्व
बरसाने की होली केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि राधा और कृष्ण के शाश्वत प्रेम का प्रतीक है।
यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि प्रेम, उत्सव और आत्मीयता का उत्सव है।
होली में प्रेम का संदेश – जब कृष्ण ने राधा को रंग लगाया
तो यह प्रेम को नया आयाम देने का संकेत बना।
सामाजिक एकता का प्रतीक – बरसाने की होली में कोई छोटा-बड़ा ऊँच
नीच नहीं होता सब रंगों में सराबोर होकर एक समान हो जाते हैं।
राधा-कृष्ण की होली
भक्ति और भोग का संगम – इस अवसर पर भजन-कीर्तन होते हैं
साथ ही विशेष पकवान जैसे गुजिया मठरी, ठंडाई का आनंद लिया जाता है।
बरसाने की होली हमें यह संदेश देती है कि प्रेम और भक्ति जब रंगों में मिल जाए, तो यह त्यौहार से
बढ़कर एक दिव्य अनुभूति बन जाता है। राधा और कृष्ण का यह रंगोत्सव आज भी हर दिल को प्रेम और आनंद से भर देता है।
राधा के रंग कान्हा की होली
बरसाने में खेली गई अनमोल रंगोली!
आप सभी को बरसाने की होली की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🎨🌸🎉