Vaikunta Ekadasi 2025: इस दिन खुलेंगे स्वर्ग के द्वार! जानिए महत्व और पूजन विधि
April 2, 2025 2025-04-02 6:13Vaikunta Ekadasi 2025: इस दिन खुलेंगे स्वर्ग के द्वार! जानिए महत्व और पूजन विधि
Vaikunta Ekadasi 2025: इस दिन खुलेंगे स्वर्ग के द्वार! जानिए महत्व और पूजन विधि
Vaikunta Ekadasi 2025: वैकुण्ठ एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ तिथि मानी जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु के वैकुण्ठ द्वार खुलते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
व्रत, उपवास और श्री हरि की भक्ति से जीवन में सुख-शांति आती है।
यह तिथि विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
Vaikunta Ekadasi 2025 में आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एक शुभ दिन होगा। 🙏✨

वैकुण्ठ एकादशी 2025 कब है?
वैकुण्ठ एकादशी 2025 में 31 December को मनाई जाएगी। यह एकादशी पौष माह में शुक्ल पक्ष की तिथि को आती है।
यह दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस एकादशी को दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है, वहीं उत्तर भारत में भी इसे अत्यंत श्रद्धा से मनाया जाता है।
वैकुण्ठ एकादशी का पौराणिक महत्व
वैकुण्ठ एकादशी को लेकर पुराणों में कई कथाएं मिलती हैं। पद्म पुराण के अनुसार, जब एक राक्षस मुर ने देवताओं को परेशान किया,
तब भगवान विष्णु ने उसका वध किया। युद्ध के बाद जब भगवान विश्राम कर रहे थे, तभी मुर नामक असुर ने उन पर आक्रमण किया।
तभी भगवान की शक्ति से एक देवी प्रकट हुईं और असुर मुर का वध कर दिया। यह दिन पौष शुक्ल एकादशी का ही था।
भगवान ने प्रसन्न होकर उस देवी को वरदान दिया कि जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसे मोक्ष और वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होगी।
वैकुण्ठ द्वार का विशेष महत्व
दक्षिण भारत के प्रमुख विष्णु मंदिरों जैसे तिरुपति बालाजी, रंगनाथस्वामी मंदिर,
श्रीरंगम मंदिर में वैकुण्ठ एकादशी पर एक विशेष द्वार खोला जाता है जिसे “वैकुण्ठ द्वार” या “स्वर्ग द्वार” कहा जाता है।
मान्यता है कि इस द्वार से प्रवेश करने वाला भक्त भगवान विष्णु के वैकुण्ठ लोक में जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन हेतु एकत्र होते हैं।
वैकुण्ठ एकादशी व्रत की पूजा विधि
- व्रत की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और संकल्प से करें:
- सूर्योदय से पहले स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- तुलसी पत्र, पीले फूल, चंदन, अक्षत, और नारियल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा, और भगवद्गीता का पाठ करें।
- उपवास रखें – यह निर्जल, फलाहार या केवल जल पर आधारित हो सकता है।
- रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें।
वैकुण्ठ एकादशी व्रत के नियम
- एक दिन पहले (दशमी तिथि) से ही सात्विक आहार लें।
- रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयमित जीवन जिएं।
- एकादशी को अन्न, चावल, दाल आदि का त्याग करें।
- किसी भी प्रकार का झूठ, छल, क्रोध, विवाद से दूर रहें।
- मन, वचन और कर्म से भगवान का ध्यान करें।
#वैकुण्ठ एकादशी व्रत करने के लाभ
व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
भौतिक सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
वैकुण्ठ लोक का द्वार खुलता है।
वैकुण्ठ एकादशी पर विशेष कार्य
मंदिरों में भव्य झांकियाँ और सजावट होती है।
कुछ स्थानों पर भागवत कथा और रामायण पाठ का आयोजन होता है।
कई भक्त पूरी रात भजन-संकीर्तन करते हैं।
दक्षिण भारत में लोग विशेष पीतांबर वस्त्र पहनकर वैकुण्ठ द्वार से प्रवेश करते हैं।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- भगवान विष्णु का ध्यान, जाप और व्रत करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान दें।
- परिवार के साथ सत्संग और भजन में समय बिताएं।
- हरि नाम संकीर्तन करें।
#क्या न करें:
- किसी का अपमान न करें।
- तामसिक भोजन (लहसुन-प्याज, मांस-मदिरा) का सेवन न करें।
- आलस्य और निंदा से बचें।
- व्रत में अनुशासन भंग न करें।
वैकुण्ठ एकादशी पर मंत्र और स्तोत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
“ॐ विष्णवे नमः”
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
भगवद्गीता के अध्याय 15 या 18 का पाठ भी लाभकारी होता है।
निष्कर्ष
वैकुण्ठ एकादशी 2025 एक ऐसा दिव्य पर्व है जो हमें भक्ति, शांति और मोक्ष की ओर ले जाता है।
यह दिन आत्मशुद्धि, प्रभु भक्ति और कर्मों के परिमार्जन का अद्भुत अवसर है।
जो व्यक्ति श्रद्धा और नियम से इस व्रत को करता है, उसे जीवन में आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है।
आप सभी को वैकुण्ठ एकादशी 2025 की शुभकामनाएं।
हरि ॐ! श्री हरि की कृपा सदैव आप पर बनी रहे।
Comment (1)
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