पहलगाम हमला: पहले लगा पटाखे छोड़े जा रहे, फिर पल भर में ही… पहलगाम हमले के चश्मदीद की दास्तां
April 23, 2025 2025-04-23 15:47पहलगाम हमला: पहले लगा पटाखे छोड़े जा रहे, फिर पल भर में ही… पहलगाम हमले के चश्मदीद की दास्तां
पहलगाम हमला: पहले लगा पटाखे छोड़े जा रहे, फिर पल भर में ही… पहलगाम हमले के चश्मदीद की दास्तां
पहलगाम हमला: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने हर किसी को दहला दिया। खूबसूरत बैसरन घाटी, जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है, अचानक गोलियों की आवाज़ से गूंज उठी। इस हमले के चश्मदीदों ने जो दास्तां सुनाई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है।

शुरुआत: पटाखों जैसी आवाज़, फिर चीख-पुकार
हमले के वक्त बैसरन घाटी में सैकड़ों पर्यटक घूम रहे थे, कुछ पिकनिक मना रहे थे,
तो कुछ खाने-पीने में मशगूल थे। तभी अचानक दो-तीन तेज आवाजें आईं।
एक चश्मदीद ने बताया, “पहले तो लगा जैसे कहीं पटाखे छोड़े जा रहे हैं। लेकिन जब लोगों की चीखें सुनाई देने लगीं, तब समझ आया कि कुछ बड़ा हो गया है।” पल भर में ही पूरा माहौल अफरातफरी में बदल गया—लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन खुले मैदान में छुपने की कोई जगह नहीं थी।
गोलियों की बौछार और आतंक का मंजर
हमलावर सेना की वर्दी जैसे कपड़ों में थे। उन्होंने पर्यटकों के बिल्कुल करीब से फायरिंग शुरू कर दी।
एक चश्मदीद ने बताया, “हम घास के मैदान में बैठे थे, तभी अचानक गोलियां चलने लगीं।
मैंने देखा, एक महिला को सामने ही गोली मार दी गई।” एक अन्य चश्मदीद ने कहा,
“मैंने तुरंत एक पेड़ के पीछे छुपने की कोशिश की। मेरे दोस्त ने बताया कि करीब 100 राउंड फायरिंग हुई।”
परिवारों की चीख-पुकार और मदद की गुहार
हमले के बाद का मंजर बेहद दर्दनाक था।
एक महिला अपने घायल पति को बचाने के लिए बार-बार गुहार लगा रही थी—
“प्लीज, मेरे पति को बचा लीजिए!” कई लोग लहूलुहान पड़े थे, बच्चे और बुजुर्ग चीख रहे थे।
स्थानीय लोग और टूरिस्ट एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश कर रहे थे,
लेकिन गोलियों की आवाज़ और चीख-पुकार के बीच हर कोई सहमा हुआ था।
पहली बार ऐसा हमला, सब कुछ बदल गया
चश्मदीदों का कहना है कि बैसरन घाटी में इससे पहले कभी ऐसा हमला नहीं हुआ था। “हमने कभी नहीं सोचा था