Hariyali Teej Festival: प्रेम, हरियाली और नारी शक्ति का उत्सव
July 24, 2025 2025-07-24 8:54Hariyali Teej Festival: प्रेम, हरियाली और नारी शक्ति का उत्सव
Hariyali Teej Festival: प्रेम, हरियाली और नारी शक्ति का उत्सव
Hariyali Teej Festival: बचपन की गरम छुट्टियों के बाद पहली बरसात, मिट्टी की खुशबू, पेड़ों पर झूले, रंग-बिरंगी चूड़ियां और हरी मेहंदी लगाए खिलखिलाती लड़कियाँ—अगर आपके मन में इन यादों की हल्की सी भी झलक आती है, तो आप हरियाली तीज के जादू को जरूर समझते हैं।
Hariyali Teej Festival: कब और क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज?
हरियाली तीज, श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व खासतौर पर महिलाओं के लिए होता है। बरसात का मौसम—जब सारी कायनात हरियाली से ढक जाती है, वो ही वक़्त होता है हरियाली तीज का। यह एक ऐसा त्योहार है, जो न सिर्फ प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम करना सिखाता है, बल्कि महिलाओं की खुशियों और सौभाग्य का भी प्रतीक है।

इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव के प्रेम मिलन का पूजन होता है। ऐसी मान्यता है
कि इसी दिन माता पार्वती को 108 जन्मों के तप के बाद भगवान शिव ने पति रूप में स्वीकारा था।
इसीलिए महिलाएँ सुखमय वैवाहिक जीवन और अपने प्रियजनों की लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
हरियाली तीज की परंपराएं
- व्रत और पूजा: महिलाएँ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं, शिव-पार्वती की तस्वीर या मूर्ति की विशेष पूजा करती हैं।
- सजना-संवरना: नई-नवेली दुल्हनें, छोटे बच्चे या शादीशुदा महिलाएँ—सभी पारंपरिक हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेंहदी और चूड़ियाँ सजाती हैं।
- झूले डालना: गांव या शहर—हर जगह पेड़-पौधों पर रंगीन झूले डाले जाते हैं। महिलाएँ आपस में तीज गीत गाती हैं, हंसी-ठिठोली करती हैं, पुराने किस्से याद करती हैं।
- गिफ्ट और सोलह श्रृंगार: मायके से विवाहित बेटियों-वधुओं को उपहार, कपड़े,
मिठाई और श्रृंगार सामग्री भेजी जाती है। यह रिश्ता और प्रेम को कई गुना बढ़ा देता है।

हरियाली तीज का स्वाद
त्योहार मनाने के साथ भोग लगाने और स्वादिष्ट पकवानों का आनंद उठाना भी अच्छी रस्म है।
घेवर, मालपुआ, खीर, पूड़ी, दाल-बाटी—मुँह में पानी ला देने वाली मिठाइयाँ और व्यंजन घरों में बनते हैं।

प्रकृति का साथी त्योहार
हरियाली तीज सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं; यह सच में प्रकृति को धन्यवाद कहने का अवसर है।
पेड़ों पर झूले डालना, हरी चूड़ियों का चलन और हरे रंग के कपड़े पहनना
इन सब के पीछे मौसम से जुड़ाव, हरियाली का जश्न और पर्यावरण प्रेम है।
तो इस हरियाली तीज, प्रकृति की सुंदरता और रिश्तों की मिठास को आत्मसात कीजिए, और महकाइए अपनी जिंदगी को इन ताजगी भरे पलों के साथ!