हलाला पर भी रोक UCC से उत्तराखंड में शादी तलाक से लिव इन तक क्या-क्या बदला!
January 27, 2025 2025-01-27 7:40हलाला पर भी रोक UCC से उत्तराखंड में शादी तलाक से लिव इन तक क्या-क्या बदला!
हलाला पर भी रोक UCC से उत्तराखंड में शादी तलाक से लिव इन तक क्या-क्या बदला!
UCC के प्रभाव : उत्तराखंड आजाद भारत में पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया है।
यूसीसी या समान नागरिक संहिता लागू होने के साथ ही राज्य में शादी तलाक लिव इन रिलेशनशिप से उत्तराधिकार तक बहुत कुछ बदल गया है।
उत्तराखंड आजाद भारत में पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया गया है।
यूसीसी या समान नागरिक संहिता लागू होने के साथ ही राज्य में शादी, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप से
उत्तराधिकार तक बहुत कुछ बदल गया है। उत्तराखंड में अब हर धर्म के नागरिकों के लिए समान कानून लागू होंगे।
अभी तक शादी, तलाक और वसीयत जैसे मामलों में अलग-अलग पर्सनल लॉ के नियम लागू होते थे।
देश में अभी शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में अलग-अलग कानून हैं।
इनमें हिंदू विवाह अधिनियम 1955, उत्तराधिकार अधिनियम 1956, मुस्लिम पर्सनल लॉ, भारतीय ईसाई विवाह
अधिनियम 1872 आदि शामिल हैं। उत्तराखंड में अब सबके लिए एक कानून लागू हो गया है।
आने वाले समय में कुछ और राज्य यूसीसी को लागू कर सकते हैं।
यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली नियमावली बनाने वाली समितियों का हिस्सा रहीं दून यूनिवर्सिटी
की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने कहा कि अब विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में लैंगिक समानता होगी।
विवाह और लिव इन संबंधों से जन्मे सभी बच्चों को समान मानने वाले प्रावधान बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में लैंगिक समानता यूसीसी की मूल भावना है।
हलाला पर रोक एक से ज्यादा शादी गैर कानूनी
यूसीसी से जहां इस्लाम में प्रचलित हलाला पर रोक लग गई है तो एक से अधिक विवाह भी अब गैर कानूनी है।
मुस्लिम समाज का कोई शख्स यदि अपनी पत्नी को तलाक दे दे और फिर दोबारा उसे अपने साथ रखना चाहे
तो महिला को पहले किसी और से निकाह करना एवं संबंध बनाना होता है।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए क्या नियम
लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अब माता-पिता की मंजूरी आवश्यक है।
संबंध खत्म करना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी देनी होगी बिना सूचना दिए एक महीने से ज्यादा
लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए पाए जाने पर तीन महीने की जेल या 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
लिव इन संबंध से पैदा हुए बच्चों को वैध माना जाएगा। संबंध टूटने पर महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है।
मुस्लिम लड़कियों की भी शादी 18 से पहले नहीं
सभी धर्म के लड़के-लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र अब एक समान होगी।
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 होगी। अभी तक मुस्लिम लड़कियों
की वयस्कता की उम्र निर्धारित नहीं थी, माहवारी शुरू होने पर लड़की को निकाह योग्य मान लिया जाता था।
यूसीसी लागू होने से बाल विवाह पर रोक लग जाएगी।