Chhath Puja 2025: जानिए तिथि, नहाय खाय से उषा अर्घ्य तक की संपूर्ण पूजा विधि और उसका महत्व
April 2, 2025 2025-04-02 4:06Chhath Puja 2025: जानिए तिथि, नहाय खाय से उषा अर्घ्य तक की संपूर्ण पूजा विधि और उसका महत्व
Chhath Puja 2025: जानिए तिथि, नहाय खाय से उषा अर्घ्य तक की संपूर्ण पूजा विधि और उसका महत्व
Chhath Puja 2025: छठ पूजा, भारत में विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है।
यह पर्व सूर्य देवता और उनके साथ अन्य प्रकृति तत्वों की पूजा के लिए समर्पित होता है। छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है
और यह खासतौर पर सूर्य देव की पूजा, उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि की कामना करने के लिए मनाया जाता है। Chhath Puja 2025 2025 में 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाई जाएगी।

छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का पर्व सूर्य देवता के प्रति विशेष आस्था और विश्वास का प्रतीक है।
सूर्य देव को जीवन का दाता,
संजीवनी देने वाला और प्रकृति का प्रमुख तत्व माना जाता है।
इस दिन लोग सूर्य देव से अपनी समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना करते हैं।
छठ पूजा की विशेषता यह है कि इसमें न केवल सूर्य देवता की पूजा की जाती है,
बल्कि सूर्य की पत्नी उषा और भगवान चंद्रमा की भी पूजा होती है।
यह पर्व खासतौर पर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है
जो अपने परिवार और जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली चाहते हैं।
छठ पूजा 2025 की तारीखें
#छठ पूजा 2025 में 5 नवंबर से शुरू होकर 8 नवंबर तक चलेगा। यह पर्व खासतौर पर चार दिन मनाया जाता है:
- नहाय-खाय (5 नवंबर 2025) – यह दिन पहले दिन की शुरुआत होती है जब श्रद्धालु अपने घरों की सफाई करते हैं और शुद्ध होकर उबला हुआ चिउड़ा, चना, चना दाल, और सब्जियाँ खाते हैं।
- खट्टी-खड़ी (6 नवंबर 2025) – दूसरे दिन, श्रद्धालु उपवासी रहते हैं और सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करके व्रत रखते हैं।
- संध्या पूजा (7 नवंबर 2025) – तीसरे दिन संध्याकाल में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
- उषा अर्घ्य (8 नवंबर 2025) – चौथे दिन सुबह सूर्योदय से पहले सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और पूजा संपन्न होती है।
छठ पूजा की पूजा विधि
छठ पूजा का व्रत कठिन लेकिन अत्यंत पवित्र होता है। इस दिन विशेष रूप से व्रति उपवासी रहते हैं,
और अपने जीवन के सभी दुखों और संकटों से मुक्ति के लिए सूर्य देवता की पूजा करते हैं।
व्रत की विधि
- नहाय-खाय: पहले दिन श्रद्धालु अपने घरों की सफाई करते हैं और उबला हुआ चिउड़ा, चना, और सब्जियाँ खाते हैं। इसके बाद वे व्रत की शुरुआत करते हैं।
- व्रति का पालन: दूसरे दिन, व्रति सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करने जाते हैं। फिर वे उपवासी रहते हैं और दिनभर केवल पानी पीकर व्रत करते हैं।
- संध्या पूजा और अर्घ्य: तीसरे दिन, संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए व्रति नदी किनारे जाते हैं। यहाँ पर वे सूर्य को जल अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- उषा अर्घ्य: चौथे दिन सूर्योदय के समय पुनः सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रति अपना उपवास तोड़ते हैं और पारण करते हैं।
पूजा सामग्री
- सुप (बांस की टोकरी): इस दिन पूजा के लिए बांस की बनी हुई सुप में फल, शकरकंदी, पूजा सामग्री, और पकवान रखे जाते हैं।
- दीपक और तेल: दीपक और तेल से पूजा स्थल को रौशन किया जाता है।
- फल और पकवान: पूजा के समय विशेष रूप से ठंडाई, गुड़, और चावल का सेवन किया जाता है।
- दूर्वा और ताम्बूल: पूजा में दूर्वा (घास) और ताम्बूल का उपयोग होता है।
छठ पूजा के दिन किए जाने वाले उपाय
सूर्य को अर्घ्य देना: सूर्य देवता को अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है।
यह उपाय विशेष रूप से जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
दान और सहायता: छठ पूजा के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना पुण्य का कार्य माना जाता है।
यह कार्य भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने का एक तरीका है।
व्रत और उपवासी रहना: इस दिन उपवासी रहकर सूर्य देव की पूजा करना जीवन में सुख,
शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
छठ पूजा से जुड़ी कथाएँ
छठ पूजा के साथ जुड़ी हुई कई कथाएँ प्रचलित हैं।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब महाभारत में पांडवों को वनवास दिया गया था,
तब वे छठ पूजा करते हुए सूर्य देवता की कृपा से अपने संकटों से मुक्ति पाने में सफल रहे थे।
दूसरी कथा के अनुसार, रानी धरिणी ने अपने संतान सुख के लिए सूर्य देवता की पूजा की थी।
सूर्य देवता की कृपा से उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ।
निष्कर्ष
छठ पूजा 2025 एक महत्वपूर्ण पर्व है जो सूर्य देवता की पूजा
और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह प्रकृति के सभी तत्वों की
पूजा करने का अवसर प्रदान करता है।
यदि आप इस पवित्र पर्व को श्रद्धा भाव से मनाते हैं,
तो निश्चित रूप से भगवान सूर्य देव की कृपा से आपके जीवन में सुख,
समृद्धि और शांति का वास होगा।
इस पर्व की विधि और पूजा को ध्यानपूर्वक पालन करने से न केवल दैवीय आशीर्वाद मिलता है,
बल्कि जीवन में आने वाली समस्याएँ भी समाप्त हो सकती हैं।