Tourists killed in Pahalgam : पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर सैलानियों को मारी गोली सुरक्षा दावों की खुली पोल!
April 23, 2025 2025-04-23 15:38Tourists killed in Pahalgam : पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर सैलानियों को मारी गोली सुरक्षा दावों की खुली पोल!
Tourists killed in Pahalgam : पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर सैलानियों को मारी गोली सुरक्षा दावों की खुली पोल!
Tourists killed in Pahalgam : पहल्गाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारण क्षेत्र में 22 अप्रैल 2025 को
आतंकियों द्वारा पर्यटकों पर गोलीबारी की गई, जिसमें कम से कम 26 पर्यटकों की मौत हो गई!
और कई घायल हो गए। यह हाल के वर्षों में नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।
सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है और प्रभावितों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन जारी की गई है।
घटना का खौफनाक सच
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया। इस हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। हमले की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आतंकियों ने गोली चलाने से पहले सैलानियों से उनका धर्म पूछा, उनकी पहचान जांची, और फिर निशाना बनाया। चश्मदीदों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकियों ने पुरुष पर्यटकों को पहले टारगेट किया और उनसे ‘कलिमा’ पढ़ने को कहा। जो ऐसा नहीं कर पाए, उन्हें गोली मार दी गई।

Tourists killed in Pahalgam
कैसे हुआ हमला!
आतंकियों ने सेना जैसी वर्दी पहन रखी थी, जिससे वे आसानी से पर्यटकों के बीच घुल-मिल गए।
हमले के वक्त सैलानी घास के मैदान में घूम रहे थे, घुड़सवारी कर रहे थे या खाने-पीने में व्यस्त थे।
आतंकियों ने पहले पर्यटकों से नाम पूछा, फिर उनकी धार्मिक पहचान की पुष्टि की और उसके बाद गोलियां चला दीं।
कई चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने आईडी कार्ड तक चेक किए और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया।
सुरक्षा दावों की खुली पोल
पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल पर, जहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं
वहां इतनी बड़ी घटना होना सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
आतंकियों ने हमले से पहले इलाके की रेकी की थी और मौके का इंतजार किया
जिससे साफ है कि सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
हमले के बाद प्रशासन और सुरक्षाबलों ने इलाके
को घेर लिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब सरकार लगातार कश्मीर में शांति और सामान्य
स्थिति के दावे कर रही थी, लेकिन यह घटना इन दावों की पोल खोलती है।
आतंकी संगठन और पाकिस्तान कनेक्शन
इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट है और पाकिस्तान से संचालित होता है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, 5-6 आतंकियों का यह ग्रुप हमले से कुछ दिन पहले ही घाटी में घुसा था और पूरी योजना के साथ हमला किया।
TRF का मकसद कश्मीर में डर का माहौल बनाना और अमरनाथ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों को बाधित करना है।
चश्मदीदों की दर्दनाक गवाही
एक महिला ने बताया, “मेरे पति को सिर में गोली मारी गई…
सिर्फ इसलिए क्योंकि वह मुसलमान नहीं थे।”
घटनास्थल से आए वीडियो में महिलाएं अपने घायल पतियों के लिए मदद की गुहार लगाती दिखीं।
कई पर्यटकों ने बताया कि हमलावरों ने पहले नाम पूछा,
फिर पहचान की पुष्टि की और उसके बाद ही फायरिंग की।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने हमले की
कड़ी निंदा की और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया।
विपक्ष ने सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि केवल
सामान्य स्थिति के दावे करने से कुछ नहीं होगा, ठोस कार्रवाई जरूरी है।
पर्यटन और अमरनाथ यात्रा पर असर
हमले के बाद पहलगाम और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब पर्यटन सीजन अपने चरम पर है
और अमरनाथ यात्रा की तैयारियां चल रही हैं, जिससे स्थानीय
अर्थव्यवस्था और धार्मिक आयोजन दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।
क्या कहती हैं सुरक्षा एजेंसियां?
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पहलगाम जैसे खुले इलाके में 100% सुरक्षा देना मुश्किल है
लेकिन इतनी बड़ी चूक से इनकार नहीं किया जा सकत।
अब इलाके में सर्च ऑपरेशन और सुरक्षा बढ़ा दी गई है
लेकिन सवाल यह है
कि क्या आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा?
सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स में क्या आया सामने!
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और चश्मदीदों के बयान ने
इस हमले की बर्बरता और धार्मिक टारगेटिंग की पुष्टि की है।
कुछ मीडिया संस्थानों ने शुरू में हमले की सच्चाई को लेकर भ्रामक रिपोर्टिंग की
लेकिन बाद में चश्मदीदों के वीडियो ने सच्चाई उजागर कर दी।
सवालों के घेरे में सुरक्षा दावे
यह हमला न सिर्फ कश्मीर की शांति और पर्यटन पर हमला है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की भी असलियत उजागर करता है। धर्म पूछकर सैलानियों को गोली मारना न सिर्फ जघन्य अपराध है, बल्कि यह आतंकियों की सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। अब वक्त है कि सुरक्षा दावों के बजाय जमीनी स्तर पर ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और आम नागरिकों का भरोसा बहाल किया जा सके।