Operating System
April 18, 2024 2024-08-08 15:02Operating System
Introduction : Operating System
Operating System क्या होता है?
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का मस्तिष्क होता है। यह एक खास सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर के सभी अन्य Programs और Parts को साथ में काम करने में मदद करता है।
यह Memory, Keyboard, और Screen जैसी चीजों को Manage करता है, ताकि सब कुछ Smoothly चल सके। Operating System के बिना, आपका कंप्यूटर यह नहीं जान पाएगा कि किसी प्रोग्राम को कैसे चलाना है
किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है- हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर ।
हार्डवेयर (Hardware): कम्प्यूटर मशीनों और कलपूर्जा (Components) को हार्डवेयर कहते हैं। कम्प्यूटर की भौतिक संरचना को Hardware के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वे सभी चीजें जिन्हें हम देख और छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं जैसे- सिस्टम यूनिट, मॉनीटर, इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस आदि।
सॉफ्टवेयर (Software): सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामों नियम व क्रियाओं का वह समूह है जो कम्प्यूटर
सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न Hardware के बीच समन्वय स्थापित करता है, ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इस तरह, सॉफ्टवेयर वह निर्देश है जो हार्डवेयर से निर्धारित कार्य कराने के लिए उसे दिए जाते हैं।
सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software):
सॉफ्टवेयर को मुख्यतः तीन भागों में बाटा जा सकता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
2. एप्लिकेशन सॉफ्टवयेर (Application Software)
3. यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)
सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software): प्रोग्रामों का वह समूह जो कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत
कार्यों को संपन्न करने तथा उन्हें कार्य करने के लायक बनाए रखने के लिए तैयार करता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर कहलाता है। यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ (Intermediate) का कार्य करता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर एक बेजान मशीन भर ही रह जाता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य है।
1. प्रोसेसर मैनेजमेंट (Processer Management)
2. मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management)
3. इनपुट आउटपुट मैनेजमेंट (Input/Output Management)
4. कार्य प्राथमिकता का चयन (Job Priority Selection)
सिस्टम सॉफ्टवेयर के उदाहरण है।
डॉस (DOS), विण्डोज (Windows), युनिक्स (Unix), मैकिनटोश (Macintosh) आदि।
सिस्टम सॉफ्टवेयर को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है:
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System): यह सबसे महत्वपूर्ण सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर संसाधनों का प्रबंधन करता है और उपयोगकर्ताओं और अनुप्रयोग सॉफ़्टवेयर के बीच एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है। उदाहरण: Windows, macOS, Linux।
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software): यह सॉफ्टवेयर सिस्टम के रखरखाव और प्रबंधन में सहायता करता है। यह सॉफ्टवेयर सिस्टम के प्रदर्शन को सुधारने, डेटा को व्यवस्थित रखने, और वायरस से बचाव करने में मदद करता है। उदाहरण: एंटीवायरस प्रोग्राम, डिस्क डिफ्रेगमेंटर, बैकअप सॉफ्टवेयर।
डिवाइस ड्राइवर (Device Drivers): ये विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर होते हैं जो कंप्यूटर के हार्डवेयर उपकरणों के साथ संचार स्थापित करने में मदद करते हैं। प्रत्येक हार्डवेयर डिवाइस जैसे कि प्रिंटर, माउस, कीबोर्ड, आदि के लिए एक ड्राइवर की आवश्यकता होती है ताकि वह ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सही से काम कर सके।
यह तीन मुख्य भाग सिस्टम सॉफ्टवेयर की मूल संरचना बनाते हैं, जो कंप्यूटर के समग्र संचालन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुछ प्रमुख आपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है। Microsoft DOS (MS-DOS) Windows 95, 98, 2000, ΜΕ, ΧΡ, 7, 10,11,
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम : एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो एक बार में एक से अधिक प्रोग्राम्स को एक्सीक्यूट करने की अनुमति देता है। इसमें प्रोग्राम्स को बैच में कलेक्ट किया जाता है और फिर उन्हें एक साथ एक्सीक्यूट किया जाता है।
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य विशेषताएं हैं:
- प्रोग्राम कलेक्शन: प्रोग्राम्स को बैच में कलेक्ट किया जाता है।
- बैच एक्सीक्यूट: प्रोग्राम्स को एक साथ एक्सीक्यूट किया जाता है।
- नो यूजर इंटरैक्शन: यूजर को प्रोग्राम एक्सीक्यूट के दौरान इंटरैक्ट करने की जरूरत नहीं होती है।
- रिसोर्स अलोकेशन: रिसोर्सेज को प्रोग्राम्स के लिए अलोकेट किया जाता है।
मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम : एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो एक साथ कई प्रोग्राम्स को रन करने की अनुमति देता है, सिस्टम के रिसोर्सेज जैसे कि सीपीयू टाइम, मेमोरी, और आई/ओ डिवाइसेज को शेयर करता है। यह सिस्टम की उपयोगिता, कुशलता, और प्रतिक्रिया को बढ़ाता है।
मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य विशेषताएं हैं:
- एक साथ कई प्रोग्राम्स को रन करने की क्षमता
- सीपीयू टाइम और मेमोरी का शेयरिंग
- आई/ओ डिवाइसेज का शेयरिंग
- प्रोग्राम्स के बीच स्विचिंग की क्षमता
- सिस्टम के रिसोर्सेज का प्रबंधन
बैच मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें कई प्रोग्राम या कार्यों को एक साथ मेमोरी में लोड किया जाता है और उन्हें सीपीयू आवंटन किया जाता है।
इसमे, ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीपल प्रोग्राम्स को एक साथ चलाता है, लेकिन उन्हें सीपीयू आवंटन किया जाता है तभी जब वो तैयार होते हैं। जब एक प्रोग्राम सीपीयू का उपयोग कर रहा है, तो दूसरे प्रोग्राम मेमोरी में इंतजार करते हैं।
रीयल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (आरटीओएस) एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें वास्तविक समय में कार्यों को पूरा किया जाता है, यानी कि कार्यों को पूरा करने के लिए एक विशिष्ट समय सीमा होती है।
Time-Sharing Operating System समय-विभाजन ऑपरेटिंग सिस्टम : एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक ही समय में कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग करने की अनुमति देता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सीपीयू समय को छोटे-छोटे समय स्लॉट्स में विभाजित करता है, जिसे समय क्वांटम (Time Quantum) कहते हैं, और प्रत्येक उपयोगकर्ता को एक समय क्वांटम आवंटित करता है।
समय-विभाजन ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य विशेषताएं हैं:
- मल्टी-यूजर सपोर्ट: एक ही समय में एक से अधिक उपयोगकर्ता कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं।
- समय-विभाजन: सीपीयू समय को छोटे-छोटे समय स्लॉट्स में विभाजित किया जाता है।
- कॉन्टेक्स्ट स्विचिंग: ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए कॉन्टेक्स्ट स्विच करता है, जिससे उनके प्रोग्राम्स एक्जीक्यूट हो सकें।
- रिसोर्स आवंटन: ऑपरेटिंग सिस्टम रिसोर्सेज को आवंटित और मैनेज करता है।
डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें कई कंप्यूटरों को एक नेटवर्क में कनेक्ट किया जाता है और उन्हें एक सिंगल सिस्टम के रूप में मैनेज किया जाता है।
डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम की कुछ खासियतें हैं:
- रिसोर्स शेयरिंग: मल्टीपल कंप्यूटर्स के रिसोर्सेज को शेयर किया जाता है।
- संचार: कंप्यूटर के बीच संचार किया जाता है।
- समन्वय: कंप्यूटर के बीच समन्वय किया जाता है।
- दोष सहनशीलता: सिस्टम दोष सहनशील होता है।
- स्केलेबिलिटी: सिस्टम स्केलेबल होता है।
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (एनओएस) : एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो नेटवर्क के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये ऑपरेटिंग सिस्टम नेटवर्क के संसाधनों को प्रबंधित करता है,
जैसे:
– नेटवर्क डिवाइस (कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर, आदि)
– नेटवर्क प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी, डीएनएस, डीएचसीपी, आदि)
– नेटवर्क कनेक्शन (वायर्ड, वायरलेस, आदि)
मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम : एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है जो मोबाइल डिवाइस
जैसे : स्मार्टफोन, टैबलेट, और फिर भी कई डिवाइस को कंट्रोल करता है। ये ऑपरेटिंग सिस्टम मोबाइल उपकरणों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर घटकों को प्रबंधित करता है और एप्लिकेशन को चलाने की सुविधा देता है।
मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:
- हार्डवेयर प्रबंधन: मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम मोबाइल डिवाइस के हार्डवेयर घटकों जैसे प्रोसेसर, मेमोरी और स्टोरेज को प्रबंधित करता है।
- एप्लिकेशन प्रबंधन: मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एप्लिकेशन को इंस्टॉल, अपडेट और अनइंस्टॉल करने की सुविधा मिलती है।
- सुरक्षा: मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम मोबाइल डिवाइस की सुरक्षा का ध्यान रखना है और उपयोगकर्ता के डेटा को सुरक्षित रखना है।
- यूजर इंटरफेस: मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एक यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस देता है जो यूजर्स को आसानी से नेविगेट करने और इंटरैक्ट करने की सुविधा देता है।
कुछ लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम हैं:
- एंड्रॉइड: Google द्वारा विकसित किया गया है और इसका उपयोग करने वाला सबसे ज्यादा है।
- आईओएस: एप्पल द्वार डेवलप किया गया है और इसका इस्तेमाल करने वाला आईफोन और आईपैड में होता है।
- विंडोज फोन: माइक्रोसॉफ्ट द्वारा डेवलप किया गया है और इसका इस्तेमाल करने वाला विंडोज फोन डिवाइस में होता है।
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software):
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर होता है जो उपयोगकर्ताओं को विशिष्ट कार्य या कार्यों को निष्पादित करने में सहायता करता है। यह कंप्यूटर सिस्टम पर एक विशेष उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किया गया होता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
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वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software): यह सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं को दस्तावेज़ बनाने, संपादित करने और प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है। उदाहरण: Microsoft Word, Google Docs।
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स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर (Spreadsheet Software): यह सॉफ्टवेयर डेटा को तालिकाओं में व्यवस्थित करने, गणना करने और विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: Microsoft Excel, Google Sheets।
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प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software): यह सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं को स्लाइड शो और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों को बनाने और प्रस्तुत करने में मदद करता है। उदाहरण: Microsoft PowerPoint, Google Slides।
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डेटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर (Database Management Software): यह सॉफ्टवेयर डेटा को संग्रहित, प्रबंधित और पुनर्प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: Oracle, MySQL।
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ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर (Graphics Software): यह सॉफ्टवेयर इमेज और ग्राफिक डिज़ाइन बनाने और संपादित करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: Adobe Photoshop, CorelDRAW।
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वेब ब्राउजर (Web Browser): यह सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर वेबसाइटों को एक्सेस करने और ब्राउज़ करने की अनुमति देता है। उदाहरण: Google Chrome, Mozilla Firefox।
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मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर (Multimedia Software): यह सॉफ्टवेयर ऑडियो और वीडियो फाइलों को प्ले करने, एडिट करने और क्रिएट करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: VLC Media Player, Windows Media Player।
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एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर (Enterprise Software): यह सॉफ्टवेयर बड़े संगठनों द्वारा अपने व्यापार संचालन और प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: SAP, Oracle ERP।
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एजुकेशनल सॉफ्टवेयर (Educational Software): यह सॉफ्टवेयर शैक्षिक उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि ऑनलाइन कोर्स, प्रशिक्षण मॉड्यूल, आदि। उदाहरण: Duolingo, Khan Academy।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है और यह कार्यकुशलता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।
ओपेन सोर्स (Open Source) तथा प्रोपराइटरी (Propritary) Software:-
Open Source Software (OSS): Open Source Software एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है। जो सोर्स कोड (Source Code) (वह कोड जिससे प्रोग्राम बनता है।) के साथ वितरित किया जाता है। जिसे User बदल, सुधार एवं पुनः वितरित कर सकता है। अर्थात Open Source Software कॉपीराइट मुक्त रहता हैं और User इसके सोर्स कोड को प्राप्त करके उसे अपनी जरूरत के अनुसार सुधार सकता है। उसमे नए फीचर जोड सकता हैं। सोर्स कोड का उपयोग करके नया Software विकसित कर सकता है और उसे सशुल्क बेच भी सकता है। इन सभी कामों पर किसी की कोई पाबंदी नहीं रहती हैं।
जैसे Linux, Appache, MySQL, Python, PHP, Ubuntu, etc.
Propritary Software: आमतौर पर जब कोई सॉफ्टवेयर डेवलप किया जाता है और उसे लॉन्च किया जाता है तो उस सॉफ्टवेयर के साथ उसका सोर्स कोड (Source Code) नहीं दिया जाता। सोर्स कोड डेवलपर के पास ही रहता हैं। एक यूजर के रूप में आप उस सॉफ्टवेयर के Function और Feature का उपयोग कर सकते हैं। आप यदि उस सॉफ्टवेयर में अपनी सुविधानुसार कोई परिवर्तन करना चाहें तो ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि उसके सोर्स कोड तक आपकी पहुंच नहीं होती। हर डेवलपमेंट कंपनी अपने सॉफ्टवेयर की आंतरिक संरचना, कोड्स आदि को सीक्रेट रखता है। सॉफ्टवेयर से संबंधित सभी अपग्रेड्स और डेवलपमेंट्स डेवलपर के द्वारा ही किए जा सकते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर Propritary Software कहलाते हैं। इसे Closed Source Software (CSS) भी कह सकते हैं
GUI (Graphical User Interface):
यह 1970 के दशक में अस्तित्व में आया। इस सिद्धांत में कंप्यूटर एवं यूजर के मध्य अंतः क्रिया (Interface) ग्राफिकल विधि से होता है। यह एक प्रकार का User Interface है। जिसमे ग्राफिकल (Graphical) तत्व शामिल होते हैं जैसे I-Con, Button, Window etc इसमें कंप्यूटर स्क्रीन पर विभिन्न कार्य को चित्रित रूप में दिखाया जाता है। उपयोगकर्ता (User) माउस की सहायता से स्क्रीन पर बनी चित्रित इकाइयों को केवल क्लिक करके काम में ले सकता है।
GUI के कारण ही आज कंप्यूटर चलाना आसान है। अगर आज GUI नहीं होता तो कंप्यूटर चलाना भी कठिन होता। आज हम माउस का उपयोग करके जो फोटो या विडियो (Video) एडिट (Edit) कर पाते हैं, वो इसलिए क्योकि हम उन्हें देख पाते हैं, जिससे मन मुताबिक बदलाव करना संभव हो पाता है, इसी प्रणाली को हम GUI (Graphical User Interface) के नाम से जानते हैं