Operating System
April 18, 2024 2024-04-27 6:25Operating System
Introduction : Operating System
Operating System क्या होता है?
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का मस्तिष्क होता है। यह एक खास सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर के सभी अन्य Programs और Parts को साथ में काम करने में मदद करता है।
यह Memory, Keyboard, और Screen जैसी चीजों को Manage करता है, ताकि सब कुछ Smoothly चल सके। Operating System के बिना, आपका कंप्यूटर यह नहीं जान पाएगा कि किसी प्रोग्राम को कैसे चलाना है
किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है- हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर ।
हार्डवेयर (Hardware): कम्प्यूटर मशीनों और कलपूर्जा (Components) को हार्डवेयर कहते हैं। कम्प्यूटर की भौतिक संरचना को Hardware के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वे सभी चीजें जिन्हें हम देख और छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं जैसे- सिस्टम यूनिट, मॉनीटर, इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस आदि।
सॉफ्टवेयर (Software): सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामों नियम व क्रियाओं का वह समूह है जो कम्प्यूटर
सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न Hardware के बीच समन्वय स्थापित करता है, ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इस तरह, सॉफ्टवेयर वह निर्देश है जो हार्डवेयर से निर्धारित कार्य कराने के लिए उसे दिए जाते हैं।
सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software):
सॉफ्टवेयर को मुख्यतः तीन भागों में बाटा जा सकता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
2. एप्लिकेशन सॉफ्टवयेर (Application Software)
3. यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)
सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software): प्रोग्रामों का समूह जो कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत
कार्यों को संपन्न करने तथा उन्हें कार्य करने के लायक बनाए रखने के लिए तैयार करता है, सिस्टम सॉफ्टवेयर कहलाता है। यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ (Intermediate) का कार्य करता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर एक बेजान मशीन भर ही रह जाता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रमुख कार्य है।
1. प्रोसेसर मैनेजमेंट (Processer Management)
2. मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management)
3. इनपुट आउटपुट मैनेजमेंट (Input/Output Management)
4. कार्य प्राथमिकता का चयन (Job Priority Selection)
5. संचार (Communication)
6. सुरक्षा (Security)
7. एप्लीकेशन प्रोग्रामों का संचालन (Execution of other Application Software)
8. कमाण्ड इंटरप्रिटर (Command Interpreter)
सिस्टम सॉफ्टवेयर के उदाहरण है।
डॉस (DOS), विण्डोज (Windows), युनिक्स (Unix), मैकिनटोश (Macintosh) आदि।
सिस्टम सॉफ्टवेयर को मुख्यतः दो भागों में बाटा गया है –
1. आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
2. लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)
आपरेटिंग सिस्टम (Operating System):
यह प्रोग्रामों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसकें विभिन्न संसाधनों के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा हार्डवेयर अप्लिकेशन सॉफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है।
यह विभिन्न अप्लिकेशन प्रोग्राम के बीच समन्वय भी स्थापित करता है। आपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य है।
A. कम्प्यूटर चालू किये जाने पर सॉफ्टवेयर को द्वितीयक मेमोरी से लेकर प्राथमिक मेमोरी में डालना तथा कुछ मूलभूत क्रियाएं स्वतः प्रांरभ करना ।
B. हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच सम्बन्ध स्थापित करना।
C. हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण तथा बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना।
D. अप्लिकेशन प्रोग्राम का क्रियान्वयन करना।
E. मेमोरी और फाइल प्रबंधन करना।
F. हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर से संबंधित कम्प्यूटर के विभिन्न दोषों (Errors) को इंगित करना।
कुछ प्रमुख आपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है। Microsoft DOS (MS-DOS) Windows 95, 98, 2000, ΜΕ, ΧΡ, 7, 10,
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System):
- Batch Processing Operating System (बैचप्रोसेसिंगऑपरेटिंगसिस्टम)
बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेसिंग शुरू होने से पहले एक बैच में प्रोग्राम और डेटा को एक साथ इकट्ठा करता है। एक बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित गतिविधियाँ करता है:-
ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसी प्रोसेस को परिभाषित करता है जिसमें एक ही इकाई के रूप में कमांड, प्रोग्राम और डेटा का पूर्वनिर्धारित अनुक्रम होता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रोसेस को मेमोरी में रखता है और उन्हें बिना किसी मैनुअल जानकारी के निष्पादित करता है।
प्रस्तुत करने के क्रम में प्रोसेस को संसाधित किया जाता है, अर्थात, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर।
जब कोई कार्य अपने निष्पादन को पूरा करता है, तो उसकी मेमोरी जारी की जाती है और प्रोसेस के लिए आउटपुट बाद में मुद्रण या प्रसंस्करण के लिए आउटपुट स्पूल में कॉपी हो जाता है।
- Single User Operating System (सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम)
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम आम तौर पर प्रयोग किया जाने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है, और इसमें एक समय में केवल एक उपयोगकर्ता इसका उपयोग कर सकता है। यह घरेलू कंप्यूटर के लिए उपयोग किया जाने वाला सबसे आम ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसका उपयोग कार्यालयों और अन्य जगहों में भी किया जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के दो प्रकार हैं- सिंगल-टास्क और मल्टीटास्क। यह एक नेटवर्क में अन्य प्रणालियों से जुड़ सकता है, लेकिन इसका उपयोग केवल एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है।
• उदाहरण : Windows 95/NT/2000
- Multi User Operating System (मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम)
एक बहु-उपयोगकर्ता ऑपरेटिंग सिस्टम एक कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कई उपयोगकर्ताओं को उस पर एक ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ एकल सिस्टम तक पहुंचने की अनुमति देता है। यह आमतौर पर बड़े मेनफ्रेम कंप्यूटर पर उपयोग किया जाता है।
उदाहरण : UNIX Linux, Windows 2000, Ubuntu, Mac OS
- Multi Tasking Operating System (मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम)
सीपीयू द्वारा कई कामों को एक साथ निष्पादित करने की प्रकिया को मल्टीटास्किंग कहते है। मल्टीटास्किंग किसी भी समय उपलब्ध हार्डवेयर का सर्वोत्तम संभव उपयोग करता है और कंप्यूटर सिस्टम की समग्र दक्षता में सुधार करता है। उपयोगकर्ता प्रत्येक प्रोग्राम के साथ सम्बाद स्थापित कर सकता है जबकि यह चल रहा हो। एक मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित गतिविधियां करता है :-
• उपयोगकर्ता ऑपरेटिंग सिस्टम या सीधे किसी प्रोग्राम को निर्देश देता है, और तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त करता है।
ओएस मल्टीटास्किंग को इस तरह से हैंडल करता है कि यह एक बार में कई ऑपरेशनों को संभाल सकता है / कई कार्यक्रमों को निष्पादित कर सकता है।
• मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम को टाइम-शेयरिंग सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है।
• उदाहरण : Windows, Linux, UNIX etc.
- Time Sharing Operating System (टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम)
टाइम-शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम एक ही समय में एक विशेष कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग करने के लिए, कई लोगों को विभिन्न टर्मिनलों के माध्यम से सिस्टम प्रयोग करने में सक्षमबनता है। टाइम-शेयरिंग या मल्टीटास्किंग, मल्टीप्रोग्रम्मिंग का तार्किक विस्तार है। प्रोसेसर का समय जो एक साथ कई उपयोगकर्ताओं के बीच साझा किया जाता है, को समय-साझाकरण कहा जाता है।
- Real Time Operating System (रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम)
रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग वास्तविक समय एप्लिकेशन के लिए किया जाता है, इसका उपयोग उन अनुप्रयोगों के लिए होता है जहां डेटा प्रोसेसिंग का समय निश्चित और छोटी मात्रा होता है। यह सामान्य कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम से अलग है जहां समय की अवधारणा को रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम में उतना महत्वपूर्ण नहीं नहीं दिया है।
रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते हैं:-
1.हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
हार्ड रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम गारंटी देती है कि महत्वपूर्ण कार्य समय पर पूरे होते हैं। हार्ड रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम में, माध्यमिक भंडारण सीमित या गायब है और डेटा रोम में संग्रहीत किया जाता है। इन प्रणालियों में, वर्चुअल मेमोरी लगभग कभी नहीं पाई जाती है।
2.सॉफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
सॉफ्ट रियल-टाइम सिस्टम कम प्रतिबंधक हैं। एक महत्वपूर्ण वास्तविक समय के कार्य को अन्य कार्यों पर प्राथमिकता मिलती है और प्राथमिकता पूरी होने तक उसे बरकरार रखती है। सॉफ्ट रियल-टाइम सिस्टम में हार्ड रियल-टाइम सिस्टम की तुलना में सीमित उपयोगिता होती है। उदाहरण के लिए, मल्टीमीडिया, वर्चुअल रियलिटी और एडवांस्ड साइंटिफिक प्रोजेक्ट्स आदि।
- Embedded Operating System
एक एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) एक विशेष ऑपरेटिंग सिस्टम है जो एक डिवाइस के लिए एक विशिष्ट कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है जो आम कंप्यूटर नहीं है। एक एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य काम उस कोड को चलाना है जो डिवाइस को अपना काम करने की अनुमति देता है। एम्बेडेड OS डिवाइस के हार्डवेयर को OS के शीर्ष पर चलने वाले सॉफ़्टवेयर तक पहुँच योग्य बनाता है।
उदाहरण : microwaves, washing machines, traffic control systems etc.
- Distributed operating System (डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम)
डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम कई रियल-टाइम एप्लिकेशन और कई उपयोगकर्ताओं की सेवा के लिए कई केंद्रीय प्रोसेसर का उपयोग करते हैं। प्रोसेसिंग के दौरान प्रोसेसेज को भिन्न भिन्न प्रोसेसर के बीच वितरित किया जाता है।
प्रोसेसर विभिन्न संचार लाइनों (जैसे हाई-स्पीड बसों या टेलीफोन लाइनों) के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। इन्हें शिथिल युग्मित प्रणाली (loosely coupled systems) या वितरित प्रणाली कहा जाता है। एक वितरित प्रणाली में प्रोसेसर आकार और कार्य में भिन्न हो सकते हैं। इन प्रोसेसरों को साइट, नोड्स, कंप्यूटर इत्यादि के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- Network operating System (नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम)
एक नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम एक सर्वर पर चलता है और सर्वर को डेटा, उपयोगकर्ताओं, समूहों, सुरक्षा, एप्लिकेशन और अन्य नेटवर्किंग कार्यों को प्रबंधित करने की क्षमता प्रदान करता है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक उद्देश्य नेटवर्क में कई कंप्यूटरों के बीच साझा फ़ाइल और प्रिंटर एक्सेस की अनुमति देना है।
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software):
यह प्रोग्रामों का समूह है जो किसी विशिष्ट कार्य के लिए तैयार किये जाते हैं। संस्थान, व्यक्ति या कार्य को देखकर आवश्यकतानुसार इस सॉफ्टवेयर का विकास किया जाता है। उपयोगिता के आधार पर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, को दो भागों में बांटा गया है।
A. सामान्य अप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (General Application Software)
B विशेषीकृत अप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Customized Application Software)
3. यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software):
यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software) को सर्विस प्रोग्राम (Service Program) के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक प्रकार का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हैं इसे विशेष रूप से कंप्यूटर हार्डवेयर (Hardware), Operating System (OS) या एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) को व्यवस्थित करने में सहायता हेतु डिजाइन किया गया है।
Example:- Disk Defragment, Disk Cleanup, Anti virus etc.
ओपेन सोर्स (Open Source) तथा प्रोपराइटरी (Propritary) Software:-
Open Source Software (OSS): Open Source Software एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है। जो सोर्स कोड (Source Code) (वह कोड जिससे प्रोग्राम बनता है।) के साथ वितरित किया जाता है। जिसे User बदल, सुधार एवं पुनः वितरित कर सकता है। अर्थात Open Source Software कॉपीराइट मुक्त रहता हैं और User इसके सोर्स कोड को प्राप्त करके उसे अपनी जरूरत के अनुसार सुधार सकता है। उसमे नए फीचर जोड सकता हैं। सोर्स कोड का उपयोग करके नया Software विकसित कर सकता है और उसे सशुल्क बेच भी सकता है। इन सभी कामों पर किसी की कोई पाबंदी नहीं रहती हैं।
जैसे Linux, Appache, MySQL, Python, PHP, Ubuntu, etc.
Propritary Software: आमतौर पर जब कोई सॉफ्टवेयर डेवलप किया जाता है और उसे लॉन्च किया जाता है तो उस सॉफ्टवेयर के साथ उसका सोर्स कोड (Source Code) नहीं दिया जाता। सोर्स कोड डेवलपर के पास ही रहता हैं। एक यूजर के रूप में आप उस सॉफ्टवेयर के Function और Feature का उपयोग कर सकते हैं। आप यदि उस सॉफ्टवेयर में अपनी सुविधानुसार कोई परिवर्तन करना चाहें तो ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि उसके सोर्स कोड तक आपकी पहुंच नहीं होती। हर डेवलपमेंट कंपनी अपने सॉफ्टवेयर की आंतरिक संरचना, कोड्स आदि को सीक्रेट रखता है। सॉफ्टवेयर से संबंधित सभी अपग्रेड्स और डेवलपमेंट्स डेवलपर के द्वारा ही किए जा सकते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर Propritary Software कहलाते हैं। इसे Closed Source Software (CSS) भी कह सकते हैं
GUI (Graphical User Interface):
यह 1970 के दशक में अस्तित्व में आया। इस सिद्धांत में कंप्यूटर एवं यूजर के मध्य अंतः क्रिया (Interface) ग्राफिकल विधि से होता है। यह एक प्रकार का User Interface है। जिसमे ग्राफिकल (Graphical) तत्व शामिल होते हैं जैसे I-Con, Button, Window etc इसमें कंप्यूटर स्क्रीन पर विभिन्न कार्य को चित्रित रूप में दिखाया जाता है। उपयोगकर्ता (User) माउस की सहायता से स्क्रीन पर बनी चित्रित इकाइयों को केवल क्लिक करके काम में ले सकता है।
GUI के कारण ही आज कंप्यूटर चलाना आसान है। अगर आज GUI नहीं होता तो कंप्यूटर चलाना भी कठिन होता। आज हम माउस का उपयोग करके जो फोटो या विडियो (Video) एडिट (Edit) कर पाते हैं, वो इसलिए क्योकि हम उन्हें देख पाते हैं, जिससे मन मुताबिक बदलाव करना संभव हो पाता है, इसी प्रणाली को हम GUI (Graphical User Interface) के नाम से जानते हैं