Devlopment Of Computer / कंप्यूटर का विकास
April 17, 2024 2024-06-24 1:28Devlopment Of Computer / कंप्यूटर का विकास
Introduction : Computer
Devlopment of Computer
अबेकस (The Abacus):
अबेकस एक प्राचीन उपकरण है जिसका उपयोग गणित में गिनती और जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसे कार्यों को करने के लिए किया जाता है। अबेकस पारंपरिक रूप से तारों या छड़ों को पकड़कर एक फ्रेम के साथ बनाया जाता है, जिस पर चल मोती रखे जाते हैं। मोती अंकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और गणना करते समय उन्हें स्थानांतरित किया जाता है।
अबेकस का हिंदी नाम क्या है? अबेकस का मतलब क्या है, इसका इतिहास …
अबेकस एक लैटिन शब्द है। इसका मूल ग्रीक शब्दों एबॉक्स या अबेकॉन से आता है जिसका मतलब टेबल या टेबलेट होता है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अबेकस शब्द अरबी शब्द अबाक से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है -धूल से ढका हुआ ड्राइंग बोर्ड चूँकि माना यही जाता है लेकिन वास्तव में इसका अर्थ सिद्ध नहीं हो पाया है।
अबेकस में कितने मनके (Beads) होते हैं?
वर्तमान में हम जिस एबेकस का उपयोग करते हैं, उसमें 13 छड़ें हैं और प्रत्येक छड़ में 7 मनके(Beads)होते हैं। ऊपरी हिस्से में 2 Beadsहोते है तथा निचले हिस्से में 5 Beadsहोते है !
एबेकस में दो विभाजन होते हैं। ऊपरी और निचले हिस्से को विभाजित करने वाली क्षैतिज पट्टी को बीम कहा जाता है। निचले हिस्से में जो मनके(Beads) होते हैं, उन्हें लोअर बीड्स या अर्थ बीड्स कहा जाता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
अबेकस का उदाहरण क्या है?
अबेकस का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण चीनी अबेकस है। यह मोतियों के ऊर्ध्वाधर स्तंभों से बना होता है जो प्रत्येक स्थान मान को दर्शाते हैं। इकाई स्थान सबसे दाईं ओर का स्तंभ है, और जैसे-जैसे आप बाईं ओर बढ़ते हैं, स्थान मान बढ़ते जाते हैं। प्रत्येक स्तंभ में नीचे की ओर 5 मोती और ऊपर की ओर 2 मोती होते हैं।
अबेकस से गिनती कैसे करते हैं?
चीनी एबेकस पर भरोसा करने के लिए, याद रखें कि मोतियों का सबसे दायाँ स्तंभ इकाई के स्थान को दर्शाता है, फिर दहाई, सैकड़ों, और इसी तरह जैसे-जैसे आप बाईं ओर बढ़ते हैं। नीचे के पाँच मोती प्रत्येक 1 को दर्शाते हैं, और शीर्ष पर 2 मोती 5 और 10 को दर्शाते हैं।
Difference Engine (अंतर इंजन)और Analytical Engine (विश्लेषणात्मक इंजन):
ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्सबैबेज (Charles Babbage) ने 1822 में डिफरेंस इंजन का आविष्कार (Invention) किया जो भाप से चलता था तथा गणनांए कर सकता था।
Difference Engine (अंतर इंजन) एक स्वचालित यांत्रिक (Automatic mechanical )कैलकुलेटर है जिसे बहुपद कार्यों (बहुपद गणितीय अभिव्यक्तियाँ हैं जो जोड़, घटाव और गुणा जैसे अंकगणितीय संक्रियाओं का उपयोग करके बनी होती हैं।)को सारणीबद्ध(संक्षिप्त रूप में रखना या व्यवस्थित करना) करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Analytical Engine विश्लेषणात्मक इंजन एक प्रस्तावित डिजिटल मैकेनिकल सामान्य प्रयोजन(विशिष्ट प्रयोजन कथन सटीक रूप से वर्णन करता है) कंप्यूटर था जिसे अंग्रेजी गणितज्ञ और कंप्यूटर अग्रणी(अगुआ । श्रेष्ठ । प्रधान । मुखिया ।) चार्ल्स बैबेज द्वारा डिजाइन किया गया था। इसे पहली बार 1837 में बैबेज के Difference Engine(अंतर इंजन) के उत्तराधिकारी के रूप में वर्णित किया गया था, जो एक सरल यांत्रिक कैलकुलेटर के लिए एक डिज़ाइन था।
आगस्ता एडा किंग-नोएल, लवलेस की काउन्टेस (10 दिसम्बर 1815 – 27 नवम्बर 1852) एक अंग्रेज गणितज्ञ तथा लेखिका थीं। उन्होने चार्ल्स बैबेज द्वारा प्रस्तावित यांत्रिक(Proposed Mechanical) जनरल-परपज कम्प्यूटर (एनालिटिकल इंजन) पर कार्य किया और सबसे पहले यह समझा कि यह मशीन ‘शुद्ध गणना’ के साथ साथ बहुत कुछ और भी कर सकती है।
उन्होने इस प्रकार की मशीन पर चलने वाली प्रथम कलनविधि (अल्गोरिद्म) का भी निर्माण किया। इसी कारण माना जाता है कि एडा ही पहली व्यक्ति थीं जिसने ‘कम्प्यूटिंग मशीन’ की पूरी क्षमता को समझा। और ये भी माना जाता है कि वे दुनिया की एक पहली प्रोग्रामर थी।
एडा आगस्टा ने एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) में पहला प्रोग्राम डाला। अतःउन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर (Programmer) भी कहा जाता है ।
उन्हें दो अंको की संख्या प्रणाली बाइनरी प्रणाली (Binary System) के आविष्कार का श्रेय भी है।
एनिएक ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer):
1949 में अमेरिकी वैज्ञानिक जे.पी. एकर्ट (J.P Eckert) तथा जाँन मुचली (John Mauchly) ने सामान्य कार्यों के लिए प्रथम पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक (Fully Electronic) कम्प्यूटर का आविष्कार किया जिसे एनिएक नाम दिया गया।
Generation of Electronic Computer:
Generations of computers | Generations timeline | Evolving hardware |
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First generation | 1940 – 1956 | Vacuum tube based |
Second generation | 1956-1963 | Transistor based |
Third generation | 1964-1971 | Integrated circuit based |
Fourth generation | 1971-1980 | Microprocessor based |
Fifth generation | 1981 TO present and the future | Artificial intelligence based |
1.पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computer) (1940-1956)
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर वैक्यूम ट्यूब की तकनीक का उपयोग करके पेश किए गए थे जो वैक्यूम में इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं। इन ट्यूबों का उपयोग आमतौर पर स्विच, एम्पलीफायर, रेडियो, टेलीविज़न आदि में किया जाता है।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत भारी और बड़े थे और प्रोग्रामिंग के लिए आदर्श नहीं थे। वे बुनियादी प्रोग्रामिंग का उपयोग करते थे और उनमें ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए उन पर प्रोग्रामिंग करना मुश्किल हो जाता था। पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों को उनके लिए समर्पित एक बड़े कमरे की आवश्यकता होती थी और वे बहुत अधिक बिजली की खपत भी करते थे।
पहली पीढ़ी के मुख्य कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं-
ENIAC: Electronic Numerical Integrator and Computer जिसे जे. प्रेस्पर एकर्ट और जॉन वी. मौचली ने बनाया था जिसमें 18,000 वैक्यूम ट्यूब थे।
EDVAC: Electronic Discrete Variable Automatic Computer, जिसे वॉन न्यूमैन ने डिज़ाइन किया था।
UNIVAC: Universal Automatic Computer, जिसे 1952 में एकर्ट और मौचली द्वारा विकसित किया गया था।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ
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- इन कंप्यूटरों को वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करके डिज़ाइन किया गया था।
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- इन कंप्यूटरों में प्रोग्रामिंग मशीन भाषाओं का उपयोग करके की जाती थी।
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- पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की मुख्य मेमोरी में चुंबकीय टेप और चुंबकीय ड्रम शामिल थे।
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- इन कंप्यूटरों में इनपुट/आउटपुट डिवाइस के रूप में पेपर टेप और पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था।
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- ये कंप्यूटर बहुत बड़े थे लेकिन बहुत धीरे-धीरे काम करते थे।
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- पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण IBM 650, IBM 701, ENIAC, UNIVAC1, आदि हैं…
2. दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation Computers) (1956-1963)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों ने क्रांतिकारी बदलाव किया क्योंकि इसने भारी-भरकम वैक्यूम ट्यूबों के बजाय ट्रांजिस्टर की तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। ट्रांजिस्टर अर्धचालक पदार्थों से बने उपकरण होते हैं जो सर्किट को खोलते या बंद करते हैं।
इन ट्रांजिस्टर का आविष्कार बेल लैब्स में किया गया था जिसने दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर को पिछले वाले की तुलना में शक्तिशाली और तेज़ बनाया। ट्रांजिस्टर ने इन कंप्यूटरों को छोटा बना दिया और वे वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में कम गर्मी उत्पन्न करते थे।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों ने CPU, मेमोरी और इनपुट/आउटपुट इकाइयों का उपयोग भी शुरू किया। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषाएँ FORTRAN (1956), ALGOL (1958) और COBOL (1959) थीं।…
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएँ
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- दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों ने ट्रांजिस्टर की तकनीक का इस्तेमाल किया।
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- इन कंप्यूटरों के लिए मशीन भाषा और असेंबली भाषाओं का इस्तेमाल किया गया।
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- मेमोरी स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक कोर और मैग्नेटिक टेप/डिस्क का इस्तेमाल किया गया।
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- दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे थे, कम बिजली की खपत करते थे और कम गर्मी उत्पन्न करते थे।
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- चुंबकीय टेप और छिद्रित कार्ड का उपयोग इनपुट/आउटपुट डिवाइस के रूप में किया जाता था। इसके कुछ उदाहरण हैं पीडीपी-8, आईबीएम 1400 श्रृंखला, आईबीएम 7090 और 7094, यूनीवैक 1107, सीडीसी 3600, आदि…
3. तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Computers) (1964-1971)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास ट्रांजिस्टर से एकीकृत सर्किट में बदलाव के साथ हुआ, जिसे IC भी कहा जाता है।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत तेज़ और विश्वसनीय थे। इन कंप्यूटरों में इस्तेमाल किए जाने वाले IC सिलिकॉन से बने होते थे और उन्हें सिलिकॉन चिप्स कहा जाता था। एक IC में सिलिकॉन के एक पतले टुकड़े पर कई ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर होते हैं।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों ने मेमोरी स्पेस और दक्षता में वृद्धि की है। इस युग में BASIC (Beginners’ All-purpose Symbolic Instruction Code) जैसी उच्च-स्तरीय भाषाओं का उपयोग किया गया और मिनीकंप्यूटर पेश किए गए।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएँ
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- इन कंप्यूटरों को एकीकृत सर्किट (IC) का उपयोग करके बनाया गया था।
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- इन कंप्यूटरों पर प्रोग्रामिंग के लिए उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया गया था।
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- मेमोरी स्टोरेज के लिए बड़े चुंबकीय कोर और चुंबकीय टेप/डिस्क का उपयोग किया गया था।
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- इनपुट/आउटपुट डिवाइस के रूप में चुंबकीय टेप, मॉनिटर, कीबोर्ड, प्रिंटर आदि का उपयोग किया गया था।
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- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं IBM 360, IBM 370, PDP-11, NCR 395, B6500, UNIVAC 1108, आदि…
4. चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computers) (1971-1980)
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर
1971 से 1980 तक की अवधि को कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी का काल माना जाता है। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर को विकसित करने के लिए माइक्रोप्रोसेसर तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।
इन कंप्यूटरों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि माइक्रोप्रोसेसर में एक चिप पर अंकगणित, तर्क और नियंत्रण कार्यों को करने के लिए आवश्यक सभी सर्किट हो सकते हैं। चौथी पीढ़ी में, कंप्यूटर आकार में बहुत छोटे हो गए और पोर्टेबल भी हो गए।
मल्टीप्रोसेसिंग, मल्टीप्रोग्रामिंग, टाइम-शेयरिंग, ऑपरेटिंग स्पीड और वर्चुअल मेमोरी जैसी तकनीकें भी तब तक आ चुकी थीं। चौथी पीढ़ी के दौरान, निजी कंप्यूटर और कंप्यूटर नेटवर्क एक वास्तविकता बन गए।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएँ
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- चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों को बहुत बड़े पैमाने पर एकीकरण (वीएलएसआई) और माइक्रोप्रोसेसर (वीएलएसआई में एक माइक्रोचिप पर हजारों ट्रांजिस्टर होते हैं) की तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है।
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- मेमोरी स्टोरेज के लिए RAM, ROM आदि जैसे सेमीकंडक्टर मेमोरी का इस्तेमाल किया गया।
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- पॉइंटिंग डिवाइस, ऑप्टिकल स्कैनिंग, कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर आदि जैसे इनपुट/आउटपुट डिवाइस पेश किए गए।
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- चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं आईबीएम पीसी, स्टार 1000, एप्पल II, एप्पल मैकिन्टोश, ऑल्टर 8800 आदि….
5. पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fifth Generation Computers) (1981-अब तक)
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों का निर्माण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नामक तकनीक का उपयोग करके किया गया है। यह तकनीक कंप्यूटरों को मनुष्यों की तरह व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
AI के कुछ अनुप्रयोग आवाज़ पहचानने, मनोरंजन आदि जैसी सुविधाओं में देखे गए हैं।
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों की गति सबसे अधिक है जबकि आकार सबसे छोटा है। गति, सटीकता आयाम आदि के पहलू में कंप्यूटरों की विभिन्न पीढ़ियों में अब तक एक बड़ा सुधार देखा गया है।
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएँ
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- 5वीं पीढ़ी के कंप्यूटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर बनाए गए हैं, अल्ट्रा लार्ज-स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) तकनीक और समानांतर प्रसंस्करण विधि (ULSI में एक ही माइक्रोचिप पर लाखों ट्रांजिस्टर होते हैं और समानांतर प्रसंस्करण विधि एक साथ कार्यों को चलाने के लिए दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करती है) का उपयोग करते हैं।
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- ये कंप्यूटर प्राकृतिक भाषा (मानव भाषा) को समझते हैं।
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- पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर पोर्टेबल और आकार में छोटे होते हैं।
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- ट्रैकपैड (या टचपैड), टचस्क्रीन, पेन, स्पीच इनपुट (आवाज़/भाषण को पहचानना), लाइट स्कैनर, प्रिंटर, कीबोर्ड, मॉनिटर, माउस, आदि का उपयोग इनपुट/आउटपुट डिवाइस के रूप में किया जाता है।
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- पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण हैं डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि…