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Binary Code

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  1. द्विआधारी प्रणाली: बाइनरी कोड में केवल दो अंक होते हैं, 0 और 1, जिन्हें बिट्स (Bits) कहा जाता है। ये दो अंकों की प्रणाली डिजिटल डेटा को प्रोसेस करने के लिए अत्यंत सटीक और सरल होती है।
  2. डेटा का प्रतिनिधित्व: सभी प्रकार के डेटा, चाहे वह टेक्स्ट हो, इमेज हो, ऑडियो हो या वीडियो, बाइनरी कोड में परिवर्तित किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी अक्षर ‘A’ का बाइनरी प्रतिनिधित्व 01000001 है।
  3. तार्किक संचालन: बाइनरी कोड तार्किक संचालन (जैसे AND, OR, NOT) को सरल बनाता है, जो कंप्यूटर के कार्य करने के लिए आवश्यक होते हैं।
  4. प्रकाशन: बाइनरी कोड का उपयोग डेटा को स्टोर, ट्रांसफर और प्रोसेस करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक डिजिटल फाइल को बाइनरी कोड में स्टोर किया जाता है ताकि कंप्यूटर इसे समझ और प्रोसेस कर सके।
  5. सर्किट डिजाइन: डिजिटल सर्किट और कंप्यूटर हार्डवेयर में बाइनरी कोड का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। डिजिटल सर्किट बाइनरी कोड के आधार पर कार्य करते हैं, जैसे कि ट्रांजिस्टर ऑन (1) या ऑफ (0) स्थिति में होते हैं।

बाइनरी कोड का एक सामान्य उदाहरण ASCII (अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज) है, जिसमें टेक्स्ट कैरेक्टर को बाइनरी नंबरों के रूप में एन्कोड किया जाता है।

उदाहरण के लिए:

  • ‘A’ = 01000001
  • ‘B’ = 01000010