Makar Sankranti Lohari 2025 : सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व सुख-समृद्धि लेकर आता है।
इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
इसलिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
दही और दही का सेवन शुभ माना जाता है, खासकर मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के दौरान।
दही का सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है!
कि दही खाने से मन शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
दही-चूड़ा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में खाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने का बहुत महत्व है। यह सिर्फ एक स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है!
बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं। दही-चूड़ा को सूर्य देव का प्रिय भोग माना जाता है।
इस दिन सूर्य देव को दही-चूड़ा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है
कि मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
दही-चूड़ा खाने से कुंडली में स्थित ग्रह दोष दूर होते हैं।
आपको बता दें, दही-चूड़ा को नए साल की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है।
Makar Sankranti Lohari 2025: मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने का महत्व क्या है!
भारतीय संस्कृति में दही-चूड़ा को सदियों से शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
विशेषकर मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर, दही-चूड़ा का सेवन शुभ माना जाता है।
दही का सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। यह माना जाता है
कि दही का सेवन करने से मन शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
आपको बता दें, दही-चूड़ा का सेवन विशेष रूप से उत्तर प्रदेष औप बिहार में किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है
और घर में सुख-समृद्धि आती है। दही-चूड़ा को सूर्य देवता का प्रिय भोग माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा के साथ दही-चूड़ा का भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं
और आशीर्वाद देते हैं। दही-चूड़ा खाने से व्यक्ति को ग्रहदोष से भी छुटकारा मिल सकता है।












