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सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम

सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम : एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे एक समय में केवल एक ही उपयोगकर्ता (यूज़र) के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मतलब है कि एक समय पर सिर्फ एक व्यक्ति ही इस सिस्टम का उपयोग कर सकता है।

मुख्य विशेषताएँ:

1. सिर्फ एक यूज़र के लिए: यह सिस्टम एक बार में केवल एक यूज़र को सपोर्ट करता है।

2. सरल इंटरफ़ेस: इसका इंटरफ़ेस बहुत आसान और यूज़र-फ्रेंडली होता है।

3. एक समय में एक काम: यह अक्सर एक समय में एक ही कार्य (सिंगल-टास्किंग) करने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है।

1. MS-DOS (Microsoft Disk Operating System):

MS-DOS एक सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम का क्लासिक उदाहरण है। इसमें एक समय पर एक व्यक्ति कोई भी कार्य जैसे फाइल खोलना, टेक्स्ट एडिट करना या प्रोग्राम रन करना कर सकता था।

कैसे काम करता है: अगर कोई यूज़र MS-DOS पर एक गेम खेल रहा है, तो वह उसी समय कोई और प्रोग्राम नहीं चला सकता।

2. Windows 95 (पुराना वर्जन):

Windows 95 भी सिंगल यूज़र सिस्टम था। इसमें एक समय पर एक ही व्यक्ति अपने कंप्यूटर का उपयोग कर सकता था।

कैसे काम करता है: यदि एक व्यक्ति कंप्यूटर पर टाइपिंग कर रहा है, तो दूसरा व्यक्ति उसी समय सिस्टम का उपयोग नहीं कर सकता।

सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम आमतौर पर पर्सनल कंप्यूटर (जैसे घर का कंप्यूटर या लैपटॉप) में उपयोग किया जाता है, जहाँ एक व्यक्ति एक समय पर काम करता है।

आसान भाषा में उदाहरण:

घर का ताला: जैसे आपके घर का एक ताला हो और एक ही चाबी हो, तो एक समय में सिर्फ एक व्यक्ति ही घर में प्रवेश कर सकता है।

साइबर कैफे: अगर एक कंप्यूटर पर एक यूज़र बैठा है, तो दूसरा व्यक्ति तब तक इंतजार करेगा जब तक पहला व्यक्ति अपना काम खत्म नहीं करता।

इससे समझ में आता है कि सिंगल यूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ एक समय में एक व्यक्ति को और एक कार्य को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है।