Mahakumbh Secrets: पहली बार कब और कहां हुआ था महाकुंभ का आयोजन कुंभ से जुड़े ये रहस्य हैं बेहद दिलचस्प!
January 10, 2025 2025-01-10 6:53Mahakumbh Secrets: पहली बार कब और कहां हुआ था महाकुंभ का आयोजन कुंभ से जुड़े ये रहस्य हैं बेहद दिलचस्प!
Mahakumbh Secrets: पहली बार कब और कहां हुआ था महाकुंभ का आयोजन कुंभ से जुड़े ये रहस्य हैं बेहद दिलचस्प!
Mahakumbh Secrets : महाकुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है. यह केवल एक मेला नहीं,
बल्कि आस्था, परंपरा और हिंदू संस्कृति का अद्भुत संगम है. श्रद्धालुओं के लिए यह एक ऐसा पवित्र अनुभव है!
जिसका इंतजार वे वर्षों तक करते हैं! इस बार 13 जनवरी से शुरू होने वाला महाकुंभ मेला कई मायनों में खास है.

Mahakumbh History and Secrets: महाकुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की
आस्था का प्रतीक है. यह केवल एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और हिंदू
संस्कृति का अद्भुत संगम है. श्रद्धालुओं के लिए यह एक ऐसा पवित्र अनुभव है,
जिसका इंतजार वे वर्षों तक करते हैं. इस बार 13 जनवरी से शुरू होने वाला
महाकुंभ मेला कई मायनों में खास है. 144 वर्षों बाद यह पूर्ण महाकुंभ आयोजित हो रहा है.
आम भाषा में, हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है
और लगातार 12 बार ऐसा होने के बाद पूर्ण महाकुंभ का आयोजन किया जाता है.
इस बार यह ऐतिहासिक आयोजन प्रयागराज में हो रहा है. आइए जानते हैं
महाकुंभ के इतिहास, इससे जुड़े रहस्यों और इसकी प्राचीन परंपराओं के बारे में.
महाकुंभ का पहला आयोजन कब और कहां हुआ था?
प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि महाकुंभ का आयोजन सतयुग से ही होता आ रहा है
लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह पहली बार कब और कहां हुआ.
महाकुंभ का इतिहास
महाकुंभ का इतिहास 850 वर्षों से भी अधिक पुराना माना जाता है. कहा जाता है
कि इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. कुछ कथाओं के अनुसार, इसका
आयोजन समुद्र मंथन के समय से ही हो रहा है. वहीं, कई विद्वानों का मानना है
कि यह आयोजन गुप्त काल के दौरान शुरू हुआ. कुछ ऐतिहासिक प्रमाण सम्राट
हर्षवर्धन के समय से उपलब्ध हैं. उन्होंने संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट
पर शाही स्नान की परंपरा शुरू की. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी यात्रा
में राजा हर्षवर्धन द्वारा कुंभ मेले के आयोजन का वर्णन किया है.
महाकुंभ और समुद्र मंथन
समुद्र मंथन का उल्लेख शिव पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण और भविष्य पुराण सहित
कई ग्रंथों में मिलता है. मान्यताओं के अनुसार, मंथन के दौरान निकले अमृत कलश
को लेकर देवता और राक्षसों के बीच संघर्ष हुआ.
भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर इस संघर्ष को शांत किया. कहते हैं
कि इंद्र देव के पुत्र जयंत ने कौवे का रूप धारण कर अमृत कलश को
राक्षसों से बचाया. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन
और नासिक में गिरीं. इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है.
कुंभ से जुड़े अन्य रहस्य
कौवे की आयु- कहा जाता है कि अमृत कलश ले जाते समय जयंत की जीभ पर
अमृत की कुछ बूंदें गिरीं, जिससे कौवे की आयु लंबी हो गई।
यही कारण है कि कौवे की मृत्यु सामान्य रूप से नहीं होती।
दूर्वा घास की पवित्रता- अमृत की कुछ बूंदें दूर्वा घास पर भी गिरीं।
इसलिए दूर्वा को पवित्र माना जाता है और भगवान गणेश को इसे अर्पित किया जाता है।
प्रयागराज में ही क्यों होता है महाकुंभ ?
प्रयागराज को महाकुंभ के लिए विशेष स्थान माना जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती
नदियों का संगम होता है. मान्यता है कि संगम में शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है!