Mahakumbh 2025:अंतरिक्ष से कैसी दिखती है महाकुंभ की भव्यता इसरो ने जारी की टेंट सिटी की सैटेलाइट तस्वीरें!
January 23, 2025 2025-01-23 9:06Mahakumbh 2025:अंतरिक्ष से कैसी दिखती है महाकुंभ की भव्यता इसरो ने जारी की टेंट सिटी की सैटेलाइट तस्वीरें!
Mahakumbh 2025:अंतरिक्ष से कैसी दिखती है महाकुंभ की भव्यता इसरो ने जारी की टेंट सिटी की सैटेलाइट तस्वीरें!
Mahakumbh 2025 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को महाकुंभ टेंट सिटी की पहले और
बाद की सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं तस्वीरें महाकुंभ की भव्यता की झलक दिखाती हैं।
इसमें दुनिया भर से करोड़ों लोग संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए आ रहे हैं।

Mahakumbh 2025:
महाकुंभ, हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक बड़ा धार्मिक आयोजन है
जो 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हुआ और 26 फरवरी (45 दिनों) तक चलेगा।
अब तक आठ करोड़ से अधिक तीर्थयात्री संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं।
इसरो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ईओएस-04 (आरआईसैट-1ए) ‘सी’ बैंड
माइक्रोवेव उपग्रह से ली गईं तस्वीरों में प्रयागराज संगम और गंगा नदी के जूम किए गए
हिस्से को दिखाया गया है। तीन अलग-अलग तिथियों पर ली गई
छवियों में इस ऐतिहासिक स्थल के निर्माण को दिखाया गया है।
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनएसआरसी) की वेबसाइट पर त्रिवेणी संगम की तस्वीरें भी साझा की गईं हैं।
इसमें अस्थायी पंटून पुल, प्रयागराज में भारत के आकार का शिवालय पार्क
का निर्माण भी दिखाया गया है, जो 12 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
अंतरिक्ष से कैसा दिखता है महाकुंभ!
इसरो द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में महाकुंभ के आयोजन स्थल का आकार और भव्यता स्पष्ट रूप से झलकती है।
संगम तट पर विस्तारित यह टेंट सिटी चमचमाती रोशनी और सुनियोजित ढांचे के साथ बेहद मनमोहक लगती है।
हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के महाकुंभ की तुलना में प्रयागराज का आयोजन हमेशा से ही विशेष महत्व रखता है
और इस बार का आयोजन अत्याधुनिक तकनीक के साथ और भी भव्य बनाया गया है।
महाकुंभ और इसरो की भागीदारी
इस बार इसरो ने महाकुंभ की तैयारियों को अंतरिक्ष से मॉनिटर कर आयोजकों को महत्वपूर्ण डाटा उपलब्ध कराया है।
इन तस्वीरों का उपयोग न केवल आयोजन की योजना और क्रियान्वयन में किया गया
बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगा।
अंतरिक्ष से भव्य भारत की तस्वीर
महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और एकता का प्रतीक है।
इसरो की यह पहल आधुनिक तकनीक और हमारी परंपराओं के मेल का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती है।