उत्पन्ना एकादशी व्रत 2025 : उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है, जिसे भगवान विष्णु की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत पापों को दूर करने, सुख-समृद्धि लाने और सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है। वर्ष 2025 में यह पवित्र व्रत 15 नवंबर को रहेगा। इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय जानना हर भक्त के लिए एक विशेष अनुभव है।
#उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- उत्पन्ना एकादशी की तिथि: 15 नवंबर 2025, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर 2025 को रात 12:49 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्त: 16 नवंबर 2025 को सुबह 2:37 बजे तक
- व्रत पारण (खोलने) का शुभ समय: 16 नवंबर 2025 को 오후 1:10 बजे से 3:18 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 बजे से 2:36 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:27 बजे से 5:54 बजे तक

उत्पन्ना एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
#उत्पन्ना एकादशी को भगवान विष्णु की पत्नी देवी एकादशी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग में इसी दिन भगवान विष्णु के शरीर से देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं। इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
- स्नान-ध्यान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल की तैयारी: घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। पीले कपड़े या आसन पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजा सामग्री: पूजा में तुलसी के पत्ते, पीले फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) आदि सामग्री शामिल करें।
- पूजा क्रम:
- भगवान विष्णु को जल छिड़कें और पुष्प अर्पित करें।
- दीपक जलाएं, धूप करें, और पंचामृत अर्पित करें।
- तुलसी के पत्ते भगवान को विशेष प्रिय होते हैं, इन्हें अवश्य अर्पित करें।
- एकादशी कथा का पाठ: पूजा के बाद उत्पन्ना एकादशी माता और भगवान विष्णु की कथा सुनें या पढ़ें।
- मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जाप करें, जितना संभव हो उतना।
- आरती: अंत में भगवान की आरती करें और भोग लगाएं। भोग को परिवार वालों और अतिथियों में बांटें।
- फलों और हल्के आहार का सेवन: व्रत के दौरान फलाहार करें और शाम को व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में करें।
व्रत के दौरान विशेष उपाय
- तुलसी के पास घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ है।
- व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें और मन को शांत रखें।
- दान-पुण्य का विशेष महत्व है, जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन या धन दान करें।
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु का स्मरण और ध्यान करें।
उत्पन्ना एकादशी के लाभ
- मानसिक शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
- व्रत और पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
- धन-धान्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- जिनके जीवन में रुके हुए कार्य हैं, वे गति पाते हैं।












