आज का पंचांग 5 नवंबर जानें कार्तिक पूर्णिमा, देव दिवाली और गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और धार्मिक महत्व।
आज का पंचांग 5 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ तिथि मानी जाती है। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होती है, जो आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का कारक है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा का विशेष महत्व है। कई धार्मिक कथाओं के अनुसार, इस दिन गंगा जी का स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, दान करते हैं, और दीपदान करते हैं, जिससे लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होती है।
तिथि, नक्षत्र और वार की जानकारी

5 नवंबर 2025 का दिन बुधवार है और यह कार्तिक मास की शुक्ल पूर्णिमा तिथि है। पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में होगा और दिन का नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद रहेगा। राहुकाल सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक है। इस दिन के शुभ मुहूर्तों और अनिष्ट काल की जानकारी के अनुसार पूजा-अर्चना के लिए सही समय निर्धारित किया जाता है। इस दिन का पंचांग धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मार्गदर्शक है और दिन के ग्रह, नक्षत्रों का प्रभाव जीवन पर पड़ने वाले शुभ- अशुभ प्रभावों को दर्शाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और धार्मिक अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म का अत्यंत शुभ पर्व है। इसे मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन देवों की पूजा और गंगा स्नान से पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। श्रद्धालु स्नान, दान और तुलसी विवाह जैसे धार्मिक कर्म करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक अनुष्ठानों और व्रतों के लिए उत्तम माना जाता है।
देव दिवाली: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
देव दिवाली, वाराणसी समेत कई राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह दिन कार्तिक पूर्णिमा के पांचवें दिन आता है और इसका संबंध भगवान शिव के प्रकाश पर्व से है। इस दिन विशेष पूजा, दीपदान और शिव जी की आराधना की जाती है। शुभ मुहूर्त शाम 4 बजे से लेकर रात 9 बजे तक रहता है। घरों और घाटों पर हजारों दीपक जलाए जाते हैं, जिससे वातावरण दिव्य और पवित्र बन जाता है।
गुरु नानक जयंती: इतिहास और सामाजिक संदेश
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व मानवता, समानता और धर्मनिरपेक्षता का संदेश देता है। गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है, जहां सभी समुदाय के लोग भोजन करते हैं। गुरु नानक के शिक्षाओं का जीवन में पालन मानवता के लिए मार्गदर्शक है।
5 नवंबर के पंचांग अनुसार शुभ मुहूर्त और पूजा समय
इस दिन सुबह 6 बजे से 9:30 बजे तक स्नान-दान का विशेष मुहूर्त है।
पूजा और दीपदान दोपहर 2 बजे से शाम 6:30 बजे तक शुभ होता है।
रात 8 बजे से 10 बजे तक भी पूजा के लिए आदर्श समय माना जाता है।
राहुकाल सुबह 9 से 10:30 बजे तक है, इस दौरान शुभ कार्य टालें।
सही मुहूर्त में पूजा करने से आध्यात्मिक लाभ और सुख-समृद्धि मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा और देव दिवाली पर व्रत, दान और भक्ति
कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखना और देव दिवाली के समय दान-पुण्य करना
अत्यंत शुभ माना जाता है। तुलसी पूजन, दीपक जलाना, खीर प्रसाद चढ़ाना,
और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
सभी आध्यात्मिक कर्मों से मन को शांति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा, देव दिवाली और गुरु नानक जयंती का सामाजिक प्रभाव
एक ही दिन कई प्रमुख त्योहारों का होना सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
यह दिन विभिन्न धार्मिक समुदायों को जोड़ने वाला पर्व है।
लोग सामाजिक मेलजोल बढ़ाते हैं और प्रेम तथा एकता का संदेश फैलाते हैं।
त्यौहारों के दौरान सामूहिक पूजा, उत्सव और सेवा कार्य समाज में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।










