Rohini Vrat 2025 Katha : भक्तिमय जीवन में व्रतों का महत्वपूर्ण स्थान है, जिनसे न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि गृहस्थ जीवन भी सुख-समृद्धि से भरपूर होता है। उनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है “रोहिणी व्रत”। यह व्रत मुख्य रूप से पति की लंबी आयु, परिवार में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि के लिए किया जाता है। इस ब्लॉग में 2025 के रोहिणी व्रत की कथा, पूजा विधि, महत्व और इसके शुभ फलों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
रोहिणी व्रत कब और क्यों मनाया जाता है?
रोहिणी व्रत वैदिक पंचांग अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की द्वितीया और तृतीया को मनाया जाता है, जो 7 नवंबर 2025 को है। यह व्रत खास तौर पर जैन धर्म और हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव में किया जाने वाला यह व्रत चंद्र देव की पूजा के साथ जुड़ा होता है।

इस व्रत को रखने का उद्देश्य मुख्यतः पति की लंबी आयु, दांपत्य जीवन में प्रेम-मोहब्बत, परिवार की खुशहाली, और मानसिक शांति की प्राप्ति होता है। साथ ही, माना जाता है कि इसे करने से चंद्र दोष टलते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में संतुलन और खुशहाली बनी रहती है।
रोहिणी व्रत की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में चंपापुरी नगर के राजा माधव और रानी लक्ष्मीपति के सात पुत्र और एक पुत्री रोहिणी थी। एक बार रानी लक्ष्मीपति ने संतान सुख और परिवार की शांति के लिए रोहिणी व्रत रखा। उसकी आस्था और श्रद्धा से भगवान विष्णु की कृपा हुई और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ। तभी से इस व्रत को संतान सुख, वैवाहिक समृद्धि और दीर्घायु के लिए पूजा जाता है।
कथा के अनुसार, जो भी भक्त रोहिणी व्रत श्रद्धा और संयम के साथ रखता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। यह व्रत पापों के नाश का भी माध्यम माना जाता है।
रोहिणी व्रत कैसे करें? (पूजा विधि)
- स्नान और स्वच्छता: व्रत वाले दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्रधारण करें। घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
- संकल्प लें: प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में व्रत का संकल्प लें और संयम का वचन दें।
- पूजा करें: भगवान वासुपूज्य, महावीर या चंद्र देव की पूजा करें। दीपक जलाएं, फूल, फल व मिठाई अर्पित करें।
- कथा का पाठ: रोहिणी व्रत की कथा सुनना एवं पढ़ना शुभ माना जाता है, जिससे व्रत का फल दोगुना होता है।
- उपवास: दिनभर फलाहार करें या जल ग्रहण करें। तामसिक भोजन से बचें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद परिवार और पड़ोसियों में बांटें।
रोहिणी व्रत के लाभ और शुभ फल
- पतिदेव की लंबी आयु: इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है तथा उसकी सेहत बनी रहती है।
- परिवार में सुख-शांति: व्रत से घर में प्रेम, समृद्धि और खुशहाली आती है।
- मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति: चंद्र दोषों का नाश होने से चिंता और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: नियमित व्रत रखने से आत्मिक शुद्धि एवं धर्मिक उन्नति होती है।
- संकटों से रक्षा: यह व्रत जीवन के दुःख-दर्द और विपत्तियों से रक्षा करता है।
रोहिणी व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त
- तारीख: 7 नवंबर 2025 (शुक्रवार)
- समय: सुबह सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव से व्रत प्रारंभ होता है।
- समाप्ति: अगले दिन सुबह तक
इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से भक्तों को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
रोहिणी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार के सुख-संपन्न जीवन के लिए भी विशेष फलदायी है। 7 नवंबर 2025 को यह व्रत पालन कर आप अपने जीवन में समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। व्रत के साथ जुड़ी कथा का पाठ अवश्य करें ताकि शुभ फल मिलें और भगवान की कृपा बनी रहे।












