RBI Repo Rate : मध्यमवर्ग के लिए ये साल तोहफा वाला रहा है सरकार उनके ऊपर जमकर मेहरबान है।
12 लाख की इनकम पर टैक्स माफ करने के बाद ब्याज दरों में भी कटौती कर दी गई है।

डिजिटल डेस्क, इंदौर मध्यमवर्ग के लिए ये साल तोहफा वाला रहा है सरकार उनके ऊपर जमकर मेहरबान है।
12 लाख की इनकम पर टैक्स माफ करने के बाद ब्याज दरों में भी कटौती कर दी गई है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% करने का एलान किया है।
अब लोन सस्ता हो जाएगा। आपकी ईएमआई भी घट जाएगी।
समझें इससे कैसे कम होगी महंगाई
पॉलिसी रेट (Policy Rate) एक जरूरी आर्थिक टूल होता, जिसका इस्तेमाल रिजर्व बैंक महंगाई
(inflation) को कंट्रोल करने के लिए करती है। इसे रेपो रेट (Repo Rate) भी कहते हैं
जो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है।
पॉलिसी रेट का महंगाई पर प्रभाव
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए:
महंगाई बढ़ती है, तो केंद्रीय बैंक पॉलिसी रेट को बढ़ा सकता है।
इसका असर यह होता है कि बैंकों को कर्ज लेने की लागत बढ़ जाती है
जिससे बैंकों द्वारा दी जाने वाली कर्ज की दरें भी बढ़ जाती हैं।
इसका परिणाम यह होता है कि लोग और व्यापार कम कर्ज लेने लगते हैं।
खर्च करने में संकोच करते हैं, जिससे कुल मांग कम हो जाती है
और महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए:
महंगाई नियंत्रित होती है और केंद्रीय बैंक चाहता है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ें
तो वह पॉलिसी रेट को घटा सकता है। इससे कर्ज सस्ता हो जाता है।
लोग ज्यादा कर्ज लेने और खर्च करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि होती है।
उदाहरण:
पॉलिसी रेट बढ़ाना: अगर महंगाई 6-7% पर है, जबकि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य 4% है
तो वह पॉलिसी रेट को बढ़ाकर महंगाई को नियंत्रित करने का प्रयास करेगा।
पॉलिसी रेट घटाना: अगर आर्थिक वृद्धि धीमी हो रही है। महंगाई 3-4% के बीच है
तो केंद्रीय बैंक पॉलिसी रेट घटाकर निवेश और खपत को बढ़ावा देने की कोशिश करेगा।