Ramzan Kab Hai: रमज़ान 2025 की शुरुआत शाम 28 March 2025 (शुक्रवार) को चांद दिखने के बाद होगी और पहला रोज़ा 1 मार्च 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा। यह इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें मुस्लिम समाज रोज़ा रखते हैं, इबादत करते हैं और आत्मा की शुद्धि के साथ अल्लाह की रहमत प्राप्त करते हैं।

रमज़ान क्या है?
#रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस महीने में कुरान शरीफ का नाज़िल होना शुरू हुआ था।
रमज़ान आत्म-अनुशासन, संयम और अल्लाह के प्रति समर्पण का महीना है।
मुसलमान सुबह सहरी से लेकर शाम इफ्तार तक रोज़ा रखते हैं और दिनभर बुरे कार्यों से दूर रहकर नेक काम करते हैं।
रमज़ान 2025 की तिथियां (इस्लामी कैलेंडर के अनुसार)
चांद दिखने की संभावित तिथि: 28 फरवरी 2025 (शाम)
पहला रोज़ा: 1 मार्च 2025 (शनिवार)
आख़िरी रोज़ा: 30 मार्च 2025 (रविवार)
ईद-उल-फित्र (ईद): 31 मार्च 2025 (सोमवार) (चांद दिखने पर निर्भर)
रमज़ान के प्रमुख अनुष्ठान
रोज़ा (उपवास):
सुबह सहरी से लेकर सूरज ढलने तक बिना कुछ खाए-पिए अल्लाह की इबादत करते हुए उपवास रखना।
सहरी:
रोज़ा शुरू करने से पहले सुबह की भोजन प्रक्रिया, जो फज्र की अज़ान से पहले समाप्त हो जाती है।
इफ्तार:
सूरज ढलते ही रोज़ा खोलने की प्रक्रिया। खजूर और पानी से इफ्तार शुरू किया जाता है।
नमाज़ और तरावीह:
पांचों वक्त की नमाज़ के साथ रमज़ान में रात को विशेष तरावीह नमाज़ अदा की जाती है।
ज़कात और फित्रा:
गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए दिया जाने वाला दान, जो रमज़ान के दौरान देना विशेष पुण्य का कार्य माना जाता है।
रमज़ान का धार्मिक महत्व
रमज़ान में ही कुरान शरीफ नाज़िल हुआ था।
यह आत्म-शुद्धि और खुदा से नज़दीकी बढ़ाने का समय होता है।
रोज़ा रखने से संयम, सहानुभूति और संयोजन की भावना जागती है।
यह महीना जन्नत के दरवाजों के खुलने और जहन्नुम के बंद होने का माना जाता है।
रमज़ान में क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ें।
रोज़ा रखें और नेक काम करें।
गरीबों की मदद करें और इबादत बढ़ाएं।
झूठ, गुस्सा और ग़लत कामों से बचें।
कुरान शरीफ का तिलावत करें।
क्या न करें:
झूठ बोलना, गाली देना या किसी से झगड़ा करना।
नमाज़ छोड़ना या अनावश्यक बातें करना।
रोज़े के दौरान बुरे विचार रखना या अनुशासन तोड़ना।
ईद-उल-फित्र का महत्व
रमज़ान के 29 या 30 रोज़ों के बाद जब नया चांद दिखाई देता है,
तब अगले दिन ईद मनाई जाती है। इसे ईद-उल-फित्र कहा जाता है,
जिसका अर्थ होता है ‘रोज़ा खोलने की खुशी’। यह दिन मुसलमानों के लिए विशेष होता है।
इस दिन नमाज़ अदा कर गले मिलकर एक-दूसरे को ईद मुबारक कहा जाता है।
निष्कर्ष: रमज़ान में आत्मा की सफाई और भक्ति का विशेष समय
रमज़ान 2025 में अल्लाह की इबादत, रोज़ा, नमाज़, और नेकियों के ज़रिए खुद को शुद्ध करने का सुंदर अवसर है।
इस पवित्र महीने में हर मुसलमान को चाहिए कि वह संयम, भक्ति और सेवा के पथ पर चले।
रमज़ान मुबारक! अल्लाह सबकी इबादत क़बूल करे और सबको रहमत बख़्शे।