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लॉ मिनिस्टर का बड़ा बयान SIR कोई नई प्रक्रिया नहीं, 1952 से जारी है यह सिस्टम!

On: December 10, 2025 6:25 AM
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SIR Process India 1952

SIR प्रक्रिया क्या है? मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने का तरीका

SIR (Special Intensive Revision) मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट, सटीक और फर्जीवाड़ा-मुक्त बनाना है। चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 और Representation of the People Act, 1950 की धारा 21(3) के तहत चलाई जाती है। इसमें:

SIR Process India 1952
SIR Process India 1952
  • घर-घर सर्वे: BLO (Booth Level Officer) घर जाकर उपस्थिति चेक करते हैं।
  • नए नाम जोड़ना: 18+ उम्र के योग्य मतदाताओं को शामिल करना।
  • पुराने नाम हटाना: मृत, स्थानांतरित या डुप्लीकेट एंट्रीज को साफ करना।
  • दस्तावेज: Enumeration Phase में कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाते; Draft Roll के बाद ही जरूरी।

ECI ने 2025 में 12 राज्यों (बिहार, छत्तीसगढ़ सहित) और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में SIR शुरू की। प्रक्रिया 4 दिसंबर तक थी, लेकिन 11 दिसंबर तक बढ़ा दी गई। Draft Roll 16 दिसंबर को जारी होगा, फाइनल 14 फरवरी 2026 को। आयोग का कहना है कि शहरीकरण से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी बढ़ी है, SIR से फर्जी वोट रोके जा सकते हैं।

लॉ मिनिस्टर का बयान: 1952 से चली आ रही प्रक्रिया, विपक्ष का डबल स्टैंडर्ड?

लोकसभा में बहस के दौरान लॉ मिनिस्टर अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा, “SIR 1952 के पहले चुनाव से ही चल रही है। कांग्रेस सरकारों में 1952, 1957, 1966, 1971, 1989, 1993 और 2003 में SIR हुई। अब जब NDA सरकार कर रही है, तो सवाल क्यों? रायबरेली का 1971 चुनाव याद कीजिए – इंदिरा गांधी ने 33 हजार वोट खारिज करवाए। बाबासाहेब अंबेडकर 1952 में 17 हजार वोट से हारे, कांग्रेस ने 74 हजार वोट गायब कर दिए!”

मेघवाल ने जोड़ा, “सुप्रीम कोर्ट ने SIR को वैधानिक हक दिया है। विपक्ष हार का बहाना बना रहा है।” JD(U) नेता ललन सिंह ने कहा, “हमारी चुनाव प्रक्रिया विश्व की सर्वश्रेष्ठ है, सुधार की जरूरत नहीं।” यह बयान विपक्ष के आरोपों का सीधा जवाब था, जहां राहुल गांधी ने कहा, “RSS चुनाव आयोग पर कब्जा चाहता है।”

SIR पर विपक्ष का हमला: वोट कटाई का हथकंडा या साजिश?

विपक्ष ने SIR को “लोकतंत्र पर हमला” बताया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “ECI की निष्पक्षता पर सवाल। SIR से सैकड़ों मतदाताओं को वोट का अधिकार छीना जा रहा।” राहुल गांधी ने चार मांगें रखीं: पारदर्शी SIR, VVPAT 100% वेरिफिकेशन, बैलट पेपर वापसी।

अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट किया, “SIR देशवासियों के खिलाफ साजिश। वोट काटो, कल खेत-जमीन काटोगे।” बिहार में 65 लाख नाम हटने से विवाद बढ़ा, जहां विपक्ष का दावा है कि गरीब-मुस्लिम वोटर टारगेट हुए। सपा सांसद राजीव राय ने कहा, “घोसी में 15 हजार वोट काटे गए।”

राज्यसभा में भी हंगामा हुआ, कार्यवाही स्थगित। विपक्ष की मांग: चुनाव सुधार बिल।

SIR का इतिहास: 1952 से क्यों जरूरी?

  • SIR प्रक्रिया 1952 से चली आ रही है। पहले चुनाव (1951-52) में ही वोटर लिस्ट साफ करने के लिए इस्तेमाल हुई।
  • 2003 में छत्तीसगढ़ में SIR हुई, जहां डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा, “2003 लिस्ट में ब्लड रिलेटिव
  • न मिले तो फॉरेनर एक्ट के तहत जेल।” पिछले 20 साल में रैपिड अर्बनाइजेशन से लिस्ट में गड़बड़ी बढ़ी,
  • इसलिए 2025 में फिर शुरू। ECI का कहना: पारदर्शी, सरल और मतदाता-हितैषी।
वर्षSIR का उद्देश्यप्रभावित राज्य
1952पहला चुनाव, लिस्ट साफ करनापूरे देश
2003फर्जी वोट रोकनाछत्तीसगढ़, अन्य
2025अर्बनाइजेशन से अपडेट12 राज्य, 3 UT

चुनाव सुधारों की जरूरत: पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय

लॉ मिनिस्टर का बयान सुधारों पर बहस को तेज करता है। ECI ने कहा, Enumeration में कोई दस्तावेज नहीं। लेकिन विपक्ष मांगता है: 100% VVPAT, रिमोट वोटिंग। NDA कहता है, “प्रक्रिया सर्वश्रेष्ठ, आत्मचिंतन करो।”

SIR विवाद – सुधार या साजिश?

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