कार्तिक पूर्णिमा स्पेशल: कार्तिक पूर्णिमा स्पेशल आज शाम देव दीपावली से जगमगाएंगे घाट, जानें पूजा की पूरी विधि, शुभ मुहूर्त और दीपदान का समय।
कार्तिक पूर्णिमा स्पेशल शाम का शुभ मुहूर्त और दीपदान का सही समय,
#कार्तिक पूर्णिमा 2025 पर श्रद्धालुओं के लिए शाम का शुभ मुहूर्त और दीपदान का सही समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन का समय और विधि इस प्रकार है:
कार्तिक पूर्णिमा 2025 का महत्व और इतिहास

कार्तिक पूर्णिमा हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन त्रिपुरारी यानी भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर Asur के वध की याद दिलाता है। साथ ही भगवान विष्णु का मत्स्यावतार इसी दिन हुआ था। इसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन देवता गंगा में स्नान करते हैं और पृथ्वी पर आते हैं। इस पर्व पर दीपदान, स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है जिससे पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पवित्र जल से शरीर शुद्ध करें। फिर पूजा स्थल की सफाई कर भगवान विष्णु, शिव, लक्ष्मी और गणेश की स्थापना करें। घी के दीपक जलाएं, चंदन, फूल, पंचामृत से पूजा करें। “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ नमो नारायणाय” के मंत्र जाप के साथ आरती करें। पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें और सभी से क्षमा याचना करें।
देव दीपावली पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
देव दीपावली शाम के प्रदोष काल (5:15 बजे से 7:50 बजे) में दीपदान का शुभ समय है। घर या गंगा घाट पर सूखे घी के दीपक जलाएं। सात अलग-अलग स्थानों पर दीपक रखें जैसे मंदिर, तुलसी, पीपल के नीचे। मंत्र जाप और आह्वान के साथ आरती कर धन-वैभव की कामना करें। गंगा में स्नान संभव हो तो अवश्य करें।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान और दान का महत्त्व
इस दिन गंगा नदी समेत पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
स्नान से मन और शरीर की शुद्धि होती है, और पाप नष्ट होते हैं।
दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
गाय, घोड़ा, वस्त्र, भोजन आदि का दान सबसे शुभ माना जाता है।
दीपदान की विधि और संख्या
दीपदान में विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ होता है जैसे 5, 11, 21, 51, 101 या 365 बाती का दीपक।
दीपक तिल तेल या शुद्ध घी का होना चाहिए। रात के समय घर के मुख्य द्वार,
मंदिर, तुलसी और पीपल वृक्ष के नीचे दीप जलाएं। दीपदान से पितरों की शांति, घर में धन और समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के व्रत से मनुष्य को आध्यात्मिक शुद्धि मिलती है।
व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति आती है, और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत के दौरान नियमों का पालन, हवन और पूजा-अर्चना अनिवार्य है।
इससे मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है।
कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली से जुड़े लोकाचार और श्रद्धाएं
देव दीपावली को देवताओं का पृथ्वी आगमन माना जाता है,
इस दौरान घाट दीपों से जगमगाते हैं। लोग घरों में किन्हीं विशेष स्थानों पर
आटे के दीप जलाते हैं जिससे माँ लक्ष्मी की कृपा बनती है। त्रिपुरारी पूर्णिमा से जुड़ी कहानियां,
भक्तिगीत और धार्मिक आयोजन होते हैं। पुरातन मान्यताएं भी इस दिन श्रद्धा से निभाई जाती हैं।










