EU sustainability laws weakened : यूरोपीय संघ कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी कानून एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार नकारात्मक वजह से। 9 दिसंबर 2025 को EU के सदस्य देशों और यूरोपीय संसद ने Omnibus I Simplification Package के तहत Corporate Sustainability Due Diligence Directive (CSDDD) और Corporate Sustainability Reporting Directive (CSRD) को कमजोर करने का ऐतिहासिक समझौता किया। अमेरिका और कतर जैसे देशों के दबाव में यह फैसला लिया गया, जिससे 80% से ज्यादा कंपनियां इन नियमों से मुक्त हो जाएंगी। अगर आप EU सस्टेनेबिलिटी कानून कमजोर 2025, CSDDD विवाद या कॉर्पोरेट जवाबदेही पर असर के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। यह समझौता न सिर्फ पर्यावरण और मानवाधिकारों को खतरे में डालता है, बल्कि EU की ग्रीन डील को भी कमजोर करता है। आइए, EU समझौता 2025 का पूरा विश्लेषण करें।
कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी कानून क्या हैं? CSDDD और CSRD का महत्व
CSDDD जुलाई 2024 में लागू हुआ EU का क्रांतिकारी कानून है, जो बड़ी कंपनियों को उनकी सप्लाई चेन में मानवाधिकार उल्लंघन (जैसे बाल मजदूरी, मजबूर श्रम) और पर्यावरणीय नुकसान (जैसे जंगलों की कटाई) को रोकने के लिए बाध्य करता है। वहीं CSRD कंपनियों को अपने पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) प्रभावों की रिपोर्टिंग करने को कहता है, ताकि निवेशक और उपभोक्ता पारदर्शिता पाएं।

इन कानूनों का उद्देश्य था:
- मानवाधिकार संरक्षण: 27.6 मिलियन मजबूर श्रमिकों को न्याय।
- पर्यावरण सुरक्षा: क्लाइमेट ट्रांजिशन प्लान के जरिए पेरिस समझौते का पालन।
- कॉर्पोरेट जवाबदेही: गैर-अनुपालन पर 5% वैश्विक टर्नओवर तक जुर्माना।
लेकिन नया समझौता इन्हें धराशायी कर रहा है।
EU का नया समझौता: कैसे कमजोर हुए कानून? मुख्य बदलाव
9 दिसंबर 2025 को EU संसद और काउंसिल ने Omnibus I पैकेज को मंजूरी दी, जो फरवरी 2025 में कमीशन द्वारा प्रस्तावित था। मुख्य बदलाव:
| बदलाव | पहले का दायरा | नया दायरा | असर |
|---|---|---|---|
| CSDDD (ड्यू डिलिजेंस) | 500+ कर्मचारी, €150m टर्नओवर | 5,000+ कर्मचारी, €1.5B टर्नओवर | 72% कंपनियां बाहर, सप्लाई चेन जांच सीमित |
| CSRD (रिपोर्टिंग) | 250+ कर्मचारी, €40m टर्नओवर | 1,000+ कर्मचारी, €450m टर्नओवर | 80% कंपनियां मुक्त, ESG रिपोर्टिंग घटेगी |
| क्लाइमेट प्लान | सभी पर अनिवार्य | हटा दिया गया | पेरिस समझौते का पालन कमजोर |
| सिविल लायबिलिटी | EU-व्यापी | राष्ट्रीय स्तर पर | पीड़ितों को न्याय मुश्किल |
यह डील सेंटर-राइट (EPP) और फार-राइट दलों के समर्थन से पास हुई। स्वीडिश सांसद जोर्गेन वॉरबर्न ने कहा, “यह ऐतिहासिक लागत कटौती है, कंपनियों को €4.5B सालाना बचत।” लेकिन स्पेन जैसे देशों ने विरोध किया।
अमेरिका-कतर का दबाव: क्यों कमजोर हुए कानून?
समझौता अमेरिका और कतर के दबाव का नतीजा है। अमेरिका ने कहा कि CSDDD LNG गैस व्यापार को नुकसान पहुंचाएगा, जबकि कतर ने गैस सप्लाई बाधित होने का डर जताया। कॉर्पोरेट लॉबी (ExxonMobil, TotalEnergies) ने “रेड टेप” का रोना रोया, कहा कि ये नियम प्रतिस्पर्धा कमजोर करते हैं। EU कमीशन ने इसे “प्रतिस्पर्धा बढ़ाने” का बताया, लेकिन विशेषज्ञों ने “डिरेगुलेशन” कहा।
विशेषज्ञों का विरोध: 100+ की अपील, क्या कहते हैं संगठन?
100+ मानवाधिकार विशेषज्ञों और 470 सिविल सोसाइटी संगठनों (Amnesty International, Human Rights Watch) ने EU से अपील की कि कानूनों को कमजोर न करें। Amnesty की अग्नेस कैलामार्ड ने कहा, “यह EU की ग्रीन डील और क्लाइमेट कमिटमेंट्स के खिलाफ है।” Ipsos पोल में 75% यूरोपियन्स ने मजबूत कानूनों का समर्थन किया।
Walk Free के अनुसार, कमजोर CSDDD से आधुनिक गुलामी बढ़ेगी। EU Ombudswoman ने प्रक्रिया को “अनडेमोक्रेटिक” बताया। IKEA और Nestlé जैसी कंपनियां CSDDD के पक्ष में हैं।
वैश्विक प्रभाव: पर्यावरण और मानवाधिकार पर क्या असर?
यह समझौता EU की COP30 कमिटमेंट्स को कमजोर करेगा। गैर-EU कंपनियां (€450m EU टर्नओवर) अभी भी प्रभावित होंगी, लेकिन अमेरिका को राहत मिलेगी। डेनमार्क के मंत्री मोर्टेन बोस्कोव ने कहा, “रेड टेप से ग्रीन इन्वेस्टमेंट रुका था।” लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं: पीड़ितों को न्याय मिलना मुश्किल, पर्यावरणीय नुकसान बढ़ेगा।
EU का फैसला – कॉर्पोरेट मुनाफा या मानवता की हार?
यूरोपीय संघ ने कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी कानूनों को और कमजोर करने का समझौता करके कॉर्पोरेट दबाव के आगे झुक गया। CSDDD और CSRD का दायरा घटाने से 80% कंपनियां मुक्त, लेकिन मानवाधिकार और पर्यावरण खतरे में। क्या यह EU की प्रतिस्पर्धा मजबूत करेगा या कमजोर? विशेषज्ञों की अपील के बावजूद फैसला हो चुका – अब संसद की मंजूरी बाकी। आपकी राय क्या है? कमेंट्स में शेयर करें! EU सस्टेनेबिलिटी अपडेट 2025 के लिए ब्लॉग सब्सक्राइब करें। पर्यावरण बचाओ!








