Baba Deep Singh ji: बलिदान, सेवा और श्रद्धा की अमिट मिसाल
July 22, 2025 2025-07-22 10:09Baba Deep Singh ji: बलिदान, सेवा और श्रद्धा की अमिट मिसाल
Baba Deep Singh ji: बलिदान, सेवा और श्रद्धा की अमिट मिसाल
Baba Deep Singh ji: अगर कभी अदम्य साहस, अटूट श्रद्धा और सच्ची सेवा भावना का नाम लेना हो, तो सबसे पहले बाबा दीप सिंह जी की याद आती है। सिख इतिहास की यह हस्ती न केवल शौर्य और बलिदान की प्रतीक हैं, बल्कि इंसानियत और दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा भी देती हैं।
Baba Deep Singh ji: बचपन और अद्भुत साधना
बाबा दीप सिंह जी का जन्म 26 जनवरी 1682 को अमृतसर जिले के पिहोवाल गांव (अब पंजाब में) में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। बचपन से ही वे गुरबाणी में रुचि रखते थे। छोटी उम्र में ही वे गुरु गोबिंद सिंह जी के संपर्क में आए और उन्होंने धर्म, वीरता, और मानवता की सच्ची शिक्षा पाई।

सेवा और संयम की राह
बाबा दीप सिंह जी की पहचान केवल जंग के मैदान तक सीमित नहीं थी। वे अमृतधारी सिख थे, जिन्होंने गुरु का हुक्म मानकर आजीवन सेवा, नम्रता और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा की। वे माता खीवी की लंगर-सेवा हो या गुरुद्वारों की सफाई—हर काम दिल से करते।

बहादुरी और कुर्बानी का प्रतीक
बाबा दीप सिंह जी ने 75 साल की उम्र में भी गुरु के हुक्म पर तलवार उठाई।
जब अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब
(स्वर्ण मंदिर) को अपवित्र किया और वहां भारी नुकसान पहुंचाया,
तब बाबा जी ने “श्री मुखवाक” लेकर कसम खाई कि वे या तो वहां हरमंदिर साहिब में मत्था टेकेंगे या शहीद हो जाएंगे।
“सिर जाये तां जाये, मेरा सिर गुरु के दरबार में पहुंचे!”
यह केवल एक घोषणा नहीं, सच्चे श्रद्धालु का आदेश था।

अलौकिक वीरता—कटे सिर के साथ युद्ध
1757 में बाबा दीप सिंह जी ने पांच हजार सिखों की फौज के साथ अमृतसर की ओर कूच किया।
तलवारबाजी के दौरान उनका सिर कट गया, लेकिन ऐसी कथा है
कि उन्होंने खुद अपना सिर अपने एक हाथ में संभालते हुए, दूसरी हाथ में
तलवार चलाते-चलाते स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) तक पहुंचकर मत्था टेका।
यह केवल सिख इतिहास ही नहीं, बल्कि विश्व इतिहास में अद्वितीय वीरता का प्रमाण है।

उनकी सीख—हर दिल में इंसानियत
बाबा दीप सिंह जी की जिंदगी हमें यह सिखाती है
कि सेवा और बलिदान का मार्ग कभी भी आसान नहीं होता, लेकिन अगर मन में श्रद्धा,
हौसला और अपने मार्ग के प्रति अडिग निष्ठा हो, तो हर कोई अपने जीवन को महान बना सकता है।
उन्होंने कभी हार नहीं मानी, चाहे हालत कितने भी कठिन क्यों ना रहे।
उनका जीवन हमें प्यार, सच्चाई, सेवा और निडरता की प्रेरणा देता है।
नमन और आभार
आज भी देश-विदेश के लाखों लोग बाबा दीप सिंह जी के जीवनी और बलिदान से प्रेरणा लेकर
अपने जीवन में अच्छाई लाने का प्रयास करते हैं। अमृतसर का श्री हरमंदिर साहिब और वहां की दीवारें उन्हीं की बहादुरी की गाथा सुनाती हैं।
“बाबा दीप सिंह जी, आपका बलिदान हर दिल में जीता रहेगा।”