NDA vs Opposition EVM Debate : EVM controversy 2025 एक बार फिर सुर्खियों में है। NDA नेताओं ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि जब विपक्ष चुनाव जीतता है, तो EVM ठीक लगती है, लेकिन हारते ही मशीनों पर सवाल उठाने लगते हैं। यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद आया, जहां NDA ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, लेकिन RJD और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाया। अगर आप NDA vs Opposition EVM debate या बिहार चुनाव EVM सवाल के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। हम EVM पर राजनीतिक आरोप, इतिहास, तथ्य और चुनाव आयोग की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करेंगे। क्या EVM वाकई संदिग्ध हैं, या यह हार का बहाना है? आइए जानते हैं!
EVM विवाद का इतिहास: कब-कब उठे सवाल?
भारत में EVM controversy 2009 से शुरू हुई, जब BJP ने लोकसभा चुनाव हारने के बाद EVM पर सवाल उठाए थे। लेकिन 2014 और 2019 में जीतने पर चुप्पी साध ली। विपक्ष भी यही कर रहा है। उदाहरण:

- 2018 विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जीते, तो EVM ठीक। लेकिन 2019 लोकसभा में हार पर EVM हैकिंग का आरोप।
- 2020 बिहार चुनाव: NDA जीती, RJD ने EVM पर सवाल उठाए, लेकिन 2025 में फिर हार पर वही।
- 2024 लोकसभा: विपक्ष ने 234 सीटें जीतीं, EVM पर चुप। लेकिन राज्य चुनावों में हार पर फिर शोर।
NDA नेता संजय जायसवाल ने लोकसभा में कहा, “बार-बार हार से विपक्ष EVM पर दोष मढ़ता है, आत्मचिंतन क्यों नहीं करता?” TDP और JD(U) ने भी विपक्ष की “डबल स्टैंडर्ड” पर सवाल उठाए।
बिहार चुनाव 2025: NDA की जीत और EVM पर हंगामा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने 200+ सीटें जीतीं, जबकि RJD को सिर्फ 25 मिलीं। RJD ने कहा, “EVM में अनियमितता है, परिणाम जनता की इच्छा का प्रतिबिंब नहीं। कोर्ट जा सकते हैं।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अगस्त 2025 में EVM टैंपरिंग का सबूत होने का दावा किया था।
NDA ने पलटवार किया: “जब आप जीतते हो, EVM सही; हारते हो तो गड़बड़? 65 लाख वोट गायब होने का आरोप निराधार।” विशेषज्ञों ने NDA की जीत को नीतीश कुमार की रणनीति और विपक्ष की कमजोर रणनीति से जोड़ा। लोकसभा में कांग्रेस MP मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार बिल पेश किया, जिसमें EVM पर बहस हुई।
EVM की सच्चाई: क्या हैकिंग संभव है? चुनाव आयोग का जवाब
EVM hacking claims बार-बार आते हैं, लेकिन चुनाव आयोग (EC) कहता है कि EVM स्टैंडअलोन हैं, इंटरनेट से नहीं जुड़े। VVPAT से 99.9% मैचिंग होती है। 2019 में EC ने हैकथॉन चैलेंज दिया, कोई हैक नहीं कर पाया।
- सुरक्षा फीचर्स: EVM में टैंपर-प्रूफ चिप्स, वन-टाइम प्रोग्रामिंग।
- VVPAT: वोटर को पर्ची दिखाती है, जो काउंटिंग में क्रॉस-चेक होती है।
- 2025 में बदलाव: EC ने रिमोट वोटिंग और एक साथ चुनाव पर चर्चा की, लेकिन EVM पर विश्वास जताया।
विपक्ष का तर्क: “वोटर लिस्ट में हेराफेरी, EVM में गड़बड़ी।” लेकिन NDA कहता है, “हार मानो, EVM बहाना मत बनाओ।”
EVM विवाद का प्रभाव: लोकतंत्र पर सवाल और समाधान
यह विवाद लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। विपक्ष की मांग: बैलट पेपर वापसी या 100% VVPAT वेरिफिकेशन। लेकिन EC कहता है, EVM से चुनाव तेज और पारदर्शी। 2025 में अनुपस्थित वोटर्स के लिए रिमोट वोटिंग प्रस्तावित है।
समाधान:
- पारदर्शिता बढ़ाएं: EVM ऑडिट को सार्वजनिक करें।
- राजनीतिक सहमति: सभी पार्टियां EVM पर ट्रेनिंग लें।
- जन जागरूकता: वोटर्स को EVM प्रक्रिया समझाएं।
EVM पर राजनीति बंद हो, सुधार पर फोकस
NDA का विपक्ष पर सवाल सही लगता है – EVM जीत-हार के हिसाब से बदलती नहीं। बिहार 2025 जैसे चुनावों में हार का बहाना बनाना लोकतंत्र को कमजोर करता है। EC को और मजबूत बनाएं, विपक्ष आत्मचिंतन करे। क्या EVM पर आपका क्या विचार है? कमेंट्स में बताएं! EVM debate 2025 अपडेट्स के लिए ब्लॉग सब्सक्राइब करें।








