Owaisi RJD BJP Statement ओवैसी ने RJD पर साधा निशाना, कहा “BJP को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ मुस्लिमों पर क्यों?” जानें ओवैसी के बयान का पूरा मामला और बिहार की सियासत पर इसका असर।
Owaisi RJD BJP Statement ओवैसी का राजद पर हमला BJP रोकना मुसलमानों की एकमात्र चुनौती?

भारत में राजनीतिक रंगारंग हमेशा से ही बेहद रोचक और विवादों से भरा रहता है। खासतौर पर आगामी चुनावों को लेकर विपक्ष और सत्ताधारी दलों के बीच बयानबाजी तेज हो जाती है। हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहाद-ए-मुslिmin (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को रोकने की जिम्मेदारी पर बड़ी बात कही है। उन्होंने विशेष रूप से राजद (RJD) और महागठबंधन पार्टियों पर निशाना साधते हुए सवाल उठाया कि क्या भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ मुसलमानों की ही है? उनकी ये टिप्पणी बिहार विधानसभा चुनाव के बाद आई है, जो राजनीतिक समीकरणों को नए सिरे से परिभाषित कर रही है।
ओवैसी का तंज: मुस्लिमों पर जिम्मेदारी क्यों?
असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव नतीजों के बाद इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा कि बीजेपी को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ मुसलमानों पर थोपना सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल, खासकर महागठबंधन, मुसलमानों को सिर्फ वोट देने वाली समझते हैं और उन्हें सत्ता में समान हिस्सेदारी नहीं देते। ओवैसी ने कहा, “क्या मुसलमान केवल वोट काटने के लिए मौजूद हैं? क्या हम बंधुआ मजदूर हैं, जिन पर जिम्मेदारी अकेले थोप दी जाए?” उनके इस बयान से साफ है कि वे RJD समेत अन्य विपक्षी दलों की नीतियों और मुस्लिम नेतृत्व के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैये की आलोचना कर रहे हैं।
महागठबंधन और मुस्लिम नेतृत्व पर सवाल
ओवैसी ने महागठबंधन को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिन इलाकों में मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है, वहां भी मुस्लिमों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक दल AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीत कर विपक्ष को ठेंगा दिखाया है, जबकि महागठबंधन उन्हें दरकिनार करता रहा। इस बात में ओवैसी का कटाक्ष भी शामिल है कि RJD सिर्फ हिंदू वोट बैंक के लिए मुसलमानों को नीचा दिखाता है और उन्हें सशक्तिकरण में मदद नहीं करता।
AIMIM की मजबूती और मुस्लिम मतदाता का विस्फोट
बिहार में AIMIM की बढ़ती ताकत और पांच सीटों पर जीत से यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम मतदाता अब सिर्फ महागठबंधन या कांग्रेस के भरोसे नहीं दिखते। ओवैसी ने कहा कि मुसलमान अब उस नेतृत्व की तलाश में हैं, जो उनके अधिकारों और विकास के मुद्दों को पूरे सम्मान से उठाए। ओवैसी का कहना है कि वह ऐसी ही मुस्लिम आवाज हैं जो न सिर्फ वोट मांगते हैं बल्कि सत्ता में हिस्सेदारी भी चाहते हैं।
विपक्ष की संदेहपूर्ण नीति और मुसलमानों की नाराजगी
ओवैसी ने साफ कहा कि विपक्षी पार्टियां मुसलमानों के मुद्दों से कतराती हैं, और इसलिए मुसलमान खुद से नए रास्ते खोज रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को रोकने में केवल मुसलमानों का ही क्यों बोझ डाला जा रहा है, जबकि अन्य वर्गों और समुदायों को भी इस लड़ाई में हिस्सा लेना चाहिए। उनका यह आरोप महागठबंधन की उन नीतियों के खिलाफ है, जो कथित तौर पर मुस्लिम विश्वासघात जैसा व्यवहार करती हैं।
ओवैसी का राजनीतिक निष्कर्ष
- असदुद्दीन ओवैसी की यह टिप्पणी सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं है,
- बल्कि यह बिहार और पूरे देश में मौजूदा राजनीतिक समीकरणों का सटीक विश्लेषण भी है।
- उनका तर्क है कि भाजपा को हराने में हर वर्ग और समुदाय की भागीदारी
- आवश्यक है और इसे केवल मुस्लिम मतदाताओं
- तक सीमित करना उचित नहीं। साथ ही उन्होंने महागठबंधन की
- राजनीतिक विफलताओं और मुस्लिम नेतृत्व के प्रति असमान व्यवहार को भी कटाक्ष किया है।
निष्कर्ष
- असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में
- राजनीति में नए विवाद और बहस को जन्म देगा।
- यह परिस्थिति विपक्षी दलों को सोचने पर मजबूर करती है कि वे
- मुस्लिम मतदाताओं को सिर्फ वोट के लिए नहीं बल्कि शासन में बराबर
- हिस्सेदारी के रूप में देखें। राजनीतिक भगदड़ के बीच,
- ओवैसी ने यह स्पष्ट किया है कि भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी मुस्लिमों
- की अकेली नहीं बल्कि पूरे विपक्ष और समाज की है।
- बिहार चुनाव बाद की यह राजनीति, विपक्षी दलों खासकर
- RJD के लिए भी एक मजबूत संकेत है कि मुस्लिम नेतृत्व और
- समुदाय के प्रति उनके दृष्टिकोण में बदलाव लाना जरूरी है।
- नहीं तो ओवैसी जैसे नेता और उनके माध्यम से मुसलमान अपनी
- राजनीतिक ताकत को और मजबूत करते रहेंगे,
- जिससे पारंपरिक विपक्ष की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है।












