नीतीश गठबंधन राजनीति लालू यादव ने नीतीश कुमार के लिए हमेशा खुला रखा था दरवाजा, लेकिन अब उन्होंने क्यों दी पलटी? जानिए बिहार की राजनीति में इस बड़े बदलाव के कारण और इसकी सियासत पर पड़ने वाले असर के बारे में।
नीतीश गठबंधन राजनीति: लालू यादव का नरम रवैया और बदलाव का कारण
लालू यादव का नीतीश गठबंधन पर नरम रवैया पहले बिहार की राजनीति में स्थिरता और सहयोग की भावना को दर्शाता था। उन्होंने नीतीश के साथ कई बार गठबंधन बनाकर राज्य में सियासी संतुलन कायम रखने की कोशिश की। नीतीश गठबंधन राजनीति 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर NDA का समर्थन किया, जिससे लालू यादव के रुख में बदलाव आया।

लालू और नीतीश की पुरानी दोस्ती
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की दोस्ती 1980 के दशक से शुरू हुई थी, जब दोनों ने साथ मिलकर बिहार की राजनीति को नई दिशा दी। 1990 में नीतीश ने लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाया था, जिससे उनका रिश्ता मजबूती से जुड़ा था।
राजनीतिक गठबंधन और विरोध
बीते वर्षों में दोनों ने कई बार गठबंधन किया और कभी विरोधी बने। 2015 और 2022 में नीतीश ने आरजेडी से गठबंधन कर तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनाया। इस दौरान लालू ने नीतीश को खुला रास्ता दिया।
गठबंधन में दरार क्यों आई?
1990 के बाद नीतीश ने अपनी पार्टी समता बनाई और यादव-माइनस राजनीति को अपनाया, जिससे लालू यादव से दूरी बढ़ी। मंडल कमीशन के मुद्दे और जातिगत राजनीति ने उनके बीच खटास बढ़ाई।
लालू का दरवाजा हमेशा खुला था
#लालू यादव राजनीतिक मजबूरी के कारण नीतीश कुमार के लिए अपना दरवाजा हमेशा खुला रखते थे, ताकि जरूरत पड़ने पर गठबंधन हो सके। लेकिन हाल ही में यह रुख बदल गया है।
लालू ने गठबंधन के लिए दरवाजा क्यों बंद किया?
इंडियन एक्सप्रेस के इंटरव्यू में लालू ने साफ किया कि अब वे नीतीश के संपर्क में नहीं हैं और गठबंधन की संभावना समाप्त हो गई है। इस बदलाव की वजह राजनीतिक विश्वासघात और रणनीतिक फैसले बताए गए हैं।
तेजस्वी यादव ने भी पल्ला झाड़ा
लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा है कि एक बार की गलती को माफ किया जाता है,
लेकिन जब वही गलती दो बार हो तो उसे माफ करना ठीक नहीं। उन्होंने नीतीश को बोझ बताया।
नीतीश कुमार की राजनीति
नीतीश कुमार ने पिछड़ों के गठजोड़ से अपनी ताकत बनाई और भाजपा के साथ
मिलकर बिहार की सत्ता पर कब्ज़ा जमाया। कभी गठबंधन में रहते हुए अपनी अलग पहचान बनाई।
राजनीति का खेल और रणनीति
नीतीश की चतुराई और जोड़-तोड़ की राजनीति के कारण उन्होंने सत्ता का आनंद लिया,
लेकिन इसमें कई बार गठबंधन टूटे। लालू से दूरी राजनीति का हिस्सा रही।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान लालू और नीतीश के बीच सहमति खत्म हो गई है
और दोनों अलग-अलग मोर्चों पर सक्रिय हैं। गठबंधन की वापसी अब मुश्किल लग रही है।
भविष्य में गठबंधन की संभावनाएं
राजनीतिक वक्ताओं और लड़ाईयों को देखते हुए फिलहाल गठबंधन की संभावना कम नजर आती है,
लेकिन बिहार की राजनीति में कभी कुछ भी स्थिर नहीं रहता। भविष्य में बदलाव संभव है।
निष्कर्ष
लालू यादव ने हमेशा नीतीश कुमार के लिए दरवाजा खुला रखा, लेकिन राजनीतिक परिवर्तनों और विश्वासघात के कारण अब उन्होंने गठबंधन के दरवाजे बंद कर दिए हैं। दोनों नेताओं की नजदीकियां और दूरियां बिहार की राजनीति के अहम पहलू हैं, जो समय-समय पर बदलते रहे हैं। फिलहाल दोनों अलग रास्ते चल रहे हैं, पर बिहार की राजनीति में भविष्य में किसी भी बदलाव की गुंजाइश बनी हुई है








