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Pradosh Vrat 2025: दिसंबर में कब है प्रदोष व्रत? नोट करें सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

On: December 1, 2025 6:10 AM
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दिसंबर प्रदोष व्रत 2025

दिसंबर प्रदोष व्रत 2025 प्रदोष व्रत 2025 दिसंबर में 2 और 17 तारीख को होगा। जानें इस पवित्र व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि, जिससे मिले भगवान शिव की कृपा।

दिसंबर प्रदोष व्रत 2025 प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

दो प्रदोष व्रत हैं: पहला भौम प्रदोष व्रत 2 दिसंबर (मंगलवार) को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी पर, और दूसरा 17 दिसंबर (बुधवार) को पौष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी पर। त्रयोदशी 2 दिसंबर दोपहर 3:57 बजे शुरू होकर 3 दिसंबर दोपहर 12:25 तक रहेगी।

दिसंबर 2025 भौम प्रदोष व्रत मुहूर्त

दिसंबर प्रदोष व्रत 2025
#दिसंबर प्रदोष व्रत 2025

दिसंबर 2025 का पहला प्रदोष व्रत 2 दिसंबर मंगलवार को भौम प्रदोष के रूप में मनाया जाएगा। प्रदोष काल शाम 5:24 बजे से रात 8:07 बजे तक रहेगा, जिसमें पूजा का शुभ मुहूर्त उपलब्ध होगा। इस समय शिव अभिषेक विशेष फलदायी है।

17 दिसंबर प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

दूसरा प्रदोष व्रत 17 दिसंबर बुधवार को पड़ेगा, प्रदोष काल शाम 5:27 बजे से 8:11 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर रात 11:57 बजे शुरू होकर 18 दिसंबर सुबह 2:32 बजे समाप्त होगी। इस मुहूर्त में शिव पूजा से कृपा प्राप्ति होती है।​

प्रदोष व्रत पूजा की तैयारी विधि

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संकल्प लें।

शाम प्रदोष काल में शिव मंदिर जाएं और दूध-जल से

अभिषेक करें। शिव-पार्वती की पूजा मंत्र जाप के साथ करें।

भौम प्रदोष पूजा विशेष विधि

2 दिसंबर के भौम प्रदोष में शुभ चौघड़िया शाम 4:39 से 6:02 बजे और

अमृत काल 6:02 से 7:39 बजे तक रहेगा। शिवलिंग पर घी

और बिल्वपत्र चढ़ाएं। रुद्राभिषेक से मंगल दोष निवारण होता है।

प्रदोष व्रत अभिषेक मुहूर्त

प्रदोष काल में जल, दूध, दही, घी और शहद से पंचामृत अभिषेक करें।

मंत्र जाप के लिए शाम 5:30 से 8:00 बजे का समय सर्वोत्तम है। इससे सभी पाप नष्ट होते हैं।​​

प्रदोष पूजा सामग्री और नियम

पूजा में बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, जल और फल शामिल करें।

प्रदोष काल से पहले संध्यावंदन करें। व्रत फलाहार प्रदोष के बाद ही ग्रहण करें।

दिसंबर प्रदोष व्रत पूर्ण विधि

संकल्प के बाद दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखें। प्रदोष काल में

108 बार ओम नमः शिवाय जाप करें। आरती और प्रसाद वितरण से व्रत समापन करें।

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