रेवंत रेड्डी कांग्रेस बयान : रेवंत रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस मुसलमानों की आवाज है। बयान पर सियासी बवाल मचा और विपक्ष ने माफी की मांग की।
भारतीय राजनीति में वक्त-वक्त पर ऐसे बयान सामने आते हैं जो देशभर में नई बहस छेड़ देते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हाल ही में एक बयान दिया — “कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है।” उनके इस कथन ने राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। जहाँ कांग्रेस ने इसे भाईचारे और सामाजिक एकता का प्रतीक बताया, वहीं विपक्ष ने इसे तुष्टीकरण की राजनीति करार देते हुए माफी की मांग की है।
रेवंत रेड्डी का बयान और विवाद की शुरुआत

#रेवंत रेड्डी, जो वर्तमान में तेलंगाना कांग्रेस के प्रमुख नेता और मुख्यमंत्री हैं, ने हाल ही में एक सार्वजनिक सभा में यह विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से अल्पसंख्यकों की आवाज़ रही है और मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करती आई है। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद राजनीतिक हलचल शुरू हो गई।
- जहां कांग्रेस समर्थक इसे धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक के रूप में प्रचारित कर रहे हैं,
- वहीं भाजपा, बीआरएस और अन्य दलों ने इसे “मुस्लिम वोट बैंक” साधने का प्रयास बताया।
- भाजपा के नेताओं ने कहा कि यह बयान देश को बांटने वाला है और मुख्यमंत्री को तुरंत इस पर माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
- तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि
- “कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है” एक बेहद गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य है।
- उन्होंने कहा कि इस तरह के शब्द प्रदेश के हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं
- और इससे समाज में विभाजन की भावना उत्पन्न होती है।
- बीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के नेताओं ने भी रेवंत रेड्डी पर हमला बोलते हुए कहा
- कि कांग्रेस केवल सत्ता पाने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। वहीं, कुछ स्वतंत्र सामाजिक
- संगठनों ने कहा कि नेताओं को धार्मिक मुद्दों को राजनीतिक मंचों पर लाने से बचना चाहिए।
कांग्रेस का पक्ष और सफाई
- विवाद बढ़ने के बाद, तेलंगाना कांग्रेस प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के
- बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उनका मकसद किसी धर्म विशेष का पक्ष लेना नहीं था
- बल्कि यह बताना था कि कांग्रेस पार्टी हर धर्म, हर समुदाय की इज्जत करती है और समानता में विश्वास रखती है।
- रेवंत रेड्डी ने खुद मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा और उनकी सहयोगी पार्टियां उनके शब्दों
- को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा हमेशा से धर्मनिरपेक्ष रही है
- और वह समाज को जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का नहीं।
सोशल मीडिया पर रेवंत रेड्डी ट्रेंड में
- जैसे ही यह बयान सामने आया, #RevanthReddy और #कांग्रेसहैतोमुसलमानोंकीइज्जतहै
- ट्विटर (X) पर ट्रेंड करने लगा। कुछ यूजर्स ने रेवंत रेड्डी का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सही बात कही है
- जबकि अन्य यूजर्स ने उनकी कड़ी आलोचना की। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह मुद्दा
- तेजी से वायरल हो गया, जिससे राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ गया।
- कई पत्रकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और यूट्यूब चैनलों ने इस बयान का विश्लेषण करते हुए
- इसे तेलंगाना के लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा। उनका मानना है
- कि यह बयान आने वाले चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश हो सकती है।
मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के कई प्रतिनिधियों ने इस बयान पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी।
- कुछ लोगों ने कहा कि रेवंत रेड्डी ने सत्य कहा है क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा अल्पसंख्यकों को स्थान और सम्मान दिया है।
- वहीं कुछ शिक्षित वर्ग के लोगों ने कहा कि इस तरह के बयान समाज में अनावश्यक विभाजन पैदा करते हैं
- और सभी पार्टियों को समानता की भावना से काम करना चाहिए।
क्या रेवंत रेड्डी माफी मांगेंगे?
- भाजपा और विपक्ष के लगातार दबाव के बावजूद रेवंत रेड्डी ने अब तक सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगी है।
- ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वे अपने बयान पर कायम रहेंगे या राजनीतिक
- दबाव में बयान वापस लेंगे।
- कांग्रेस आलाकमान ने भी इस विवाद पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।
- आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद शांत होता है या तेलंगाना की राजनीति में नया मोड़ लेता है।
- रेवंत रेड्डी का यह बयान न केवल तेलंगाना बल्कि पूरे देश की राजनीति में एक नया विमर्श खड़ा कर चुका है।
- यह घटना बताती है कि भारतीय राजनीति में धर्म और पहचान की भूमिका कितनी गहराई तक जड़ पकड़ चुकी है।
- आने वाले चुनावों में इस बयान का असर जरूर देखने को मिलेगा — चाहे वह कांग्रेस के लिए सकारात्मक हो या विपरीत।










