नीतीश तेजस्वी बागी विधायक : बिहार चुनाव 2025 में यादव, मुस्लिम और ओबीसी वोट बैंक का खासा महत्व है। जानें कैसे RJD और NDA इन वोट्स के लिए रणनीति बना रहे हैं और बिहार की राजनीति में इसका क्या प्रभाव होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यादव और मुस्लिम वोट बैंक की भूमिका लोकसत्ता और गठबंधन की बुनियाद बनी हुई है। इतिहास में यह वोट बैंक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए एक मजबूत पूल रहा है, जो लालू यादव के समय से ही बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभा रहा है। मगर इस बार की राजनीति में बदलाव के साथ नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन ने भी पिछड़ों और ओबीसी वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने की मुहिम तेज कर दी है।
यादव वोट बैंक की राजनीति

यादव बिरादरी, जो बिहार में OBC वर्ग का एक प्रमुख हिस्सा है, RJD की रीढ़ मानी जाती है। लालू यादव ने राजनीति में यादव और मुस्लिम गठबंधन (मुस्लिम-यादव) को इतना मजबूत किया कि 1990 और 2000 के दशक में यह गठजोड़ बिहार की सत्ता की कुंजी रहा। हालांकि, 2025 में RJD ने यादव वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण और सियासी गठबंधन में बदलाव किए हैं, ताकि अधिक गैर-यादव OBC और EBC वोट भी साथ लाए जा सकें।
- दूसरी ओर, NDA ने भी पिछड़ों में अपनी पहुंच मजबूत की है। JD(U) और BJP ने यादव सहित
- अन्य ओबीसी समूहों के बीच सक्रिय प्रयास किए हैं, जिससे यादव वोट का एक हिस्सा NDA की ओर खिंच सकता है।
मुस्लिम वोट बैंक की नई चालें!
- मुस्लिम वोटर बिहार के करीब 17-18% वोट बैंक का हिस्सा हैं और यह वोट बैंक हमेशा से
- महागठबंधन के साथ जुड़ा रहा है। विशेषकर RJD को यह भारी समर्थन देता रहा है।
- हालांकि, 2025 में AIMIM जैसी पार्टियों ने भी मुस्लिम वोट को अपने पक्ष में लाने की रणनीति अपनाई है
- जिससे वोट बंटवारा हो सकता है। इससे राजद के लिए 40 से अधिक विधानसभा सीटों में चुनौती बढ़ जाती है।
- बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा असर है और यहां की राजनीति में यह
- निर्णायक भूमिका निभाता है। AIMIM के मुस्लिम उम्मीदवारों के कारण वामपंथी और राजद के
- लिए कड़वा मुकाबला हो रहा है, जिससे एनडीए को भी लाभ होने की संभावना बढ़ी है।
ओबीसी वोटरों का प्रभाव
बिहार में OBC और EBC वोटर मिलाकर 60% से ज्यादा आबादी बनाते हैं, जो चुनावी जीत-हार के लिए निर्णायक हैं। यादव तो एक बड़ा हिस्सा हैं, मगर कुशवाहा, कुर्मी, राय, लोधा और अन्य भी अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ा रहे हैं।
RJD और उसके गठबंधन ने गैर यादव OBC को जोड़ने की कोशिश की है, वहीं NDA पिछड़ों को बांटने के लिए सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के प्रसाद दे रहा है। BJP की दिल्ली-सरकार के सुधार और योजनाएं पिछड़ों के बीच लोकप्रिय हैं।
RJD बनाम NDA: सियासी टकराव
#RJD प्रमुख तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी अभियान में यादव-मुस्लिम (MY) समीकरण पर भरोसा जताया है, लेकिन साथ ही वह युवा, रोजगार, और सामाजिक न्याय को भी मुद्दा बना रहे हैं। तेजस्वी यादव का संकल्पपत्र महिलाओं और युवाओं को लुभाने की कोशिश कर रहा है।
- वहीं, NDA के सहारे नीतीश कुमार की सरकार ने विकास का रुख दिखाया है।
- मोदी की लोकप्रियता और केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं एनडीए के पक्ष में काम कर रही हैं।
- एनडीए मज़बूत गठबंधन और जातिगत समीकरणों को संतुलित करने की रणनीति पर जोर दे रहा है।
- 2025 बिहार चुनाव में यादव मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति अब भी अहम है
- लेकिन OBC और EBC जैसे व्यापक वर्गों को साथ जोड़कर दोनों महागठबंधन और NDA सत्ता की दौड़ में हैं।
- AIMIM की एंट्री से मुस्लिम वोट का बंटवारा हुआ है, जिससे RJD को चुनौतियां मिली हैं।
- वहीं, NDA की सामाजिक न्याय के साथ विकास के मुद्दों पर पकड़ मजबूत होती जा रही है।
- जीत उसी गठबंधन की होगी जो वोट बैंक के साथ-साथ विकास और युवाओं की आकांक्षाओं को बेहतर समझेगा।









