सोने की ऐतिहासिक तेजी : 2025 में सोने की कीमतें अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू रही हैं, जिसने निवेशकों के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं को भी चौंका दिया है। इस साल पीली धातु ने 54% से अधिक की तेजी दर्ज की है, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका भाव $4,000 प्रति औंस के स्तर को पार कर गया है, जो 1979 के बाद का सबसे बड़ा वार्षिक उछाल है। भारत में भी सोने का भाव 10 ग्राम के हिसाब से 1,26,930 रुपये तक पहुंच गया है, जो एक नया रिकॉर्ड है।
सोने की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल क्यों?
इस तेजी के पीछे कई गहरे आर्थिक और भू-राजनीतिक कारक जिम्मेदार हैं। पारंपरिक रूप से सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, और जब भी आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, निवेशक इसकी ओर रुख करते हैं। 1979 में ऊर्जा संकट और उच्च मुद्रास्फीति के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला था। 2025 में भी वैश्विक महंगाई लगातार फेडरल रिजर्व के 2% लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जिससे निवेशकों में चिंता बनी हुई है। अमेरिका ने वैश्विक व्यापार पर उच्च टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में अस्थिरता आई है।

निवेशकों का रुझान और शेयर बाजार
- इस तेजी में एक अनोखी बात यह है कि जहां एक ओर बिग टेक कंपनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उम्मीदों
- के चलते शेयर बाजार ऊपर जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोना भी निरंतर बढ़ रहा है यह दर्शाता है।
- कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान कर रहे हैं — एक ओर तेजी के लिए शेयर बाजार, तो
- दूसरी ओर अनिश्चितता के लिए सोना। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दो अलग-अलग ड्रमर्स के ताल पर चलने जैसा है
- जो आत्मविश्वास की कमी और चिंता की अधिकता को दर्शाता है।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
अमेरिकी सरकार के शटडाउन ने आर्थिक आंकड़ों के प्रकाशन को बाधित कर दिया है, जिससे निवेशकों के पास जानकारी का अभाव रहा। ऐसे में वे किसी एक सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहते, और सोना एक ऐसी संपत्ति है जो किसी विशेष देश की अर्थव्यवस्था से बंधी नहीं है। आईएमएफ की महानिदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा के अनुसार, वैश्विक वित्तीय तंत्र की अभी असली परीक्षा बाकी है, और सोने की बढ़ती मांग इसका संकेत है।
US डॉलर की कमजोरी का असर
- 2025 में अमेरिकी डॉलर अपने इतिहास की सबसे कमजोर स्थिति में है। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद
- कई देशों ने अपनी रिजर्व संपत्तियों को डॉलर से दूर करने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक
- (RBI) ने 2025 में 72.6 टन सोना खरीदा है, जो इसकी बढ़ती मांग को दर्शाता है।
- ग्लोबल सेंट्रल बैंकों की भारी खरीदारी और डॉलर की कमजोरी ने सोने को निवेश के लिए सबसे सुरक्षित
- विकल्प बना दिया है। हेज फंड निवेशक केन ग्रिफिन के मुताबिक, लोग अब डॉलर से ज्यादा
- सोने को सुरक्षित मान रहे हैं, जो ‘डी-डॉलराइजेशन’ का संकेत है।
आगे क्या?
गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी है कि अगले साल के अंत तक सोने की कीमत $4,900 प्रति औंस तक जा सकती है। बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उछाल केवल अस्थायी नहीं बल्कि वैश्विक आर्थिक असंतुलन का परिणाम है, इसलिए सोना निवेशकों के पोर्टफोलियो का प्रमुख हिस्सा बना हुआ है।