UP SIR Update : उत्तर प्रदेश में मतदाता पहचान प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब लगभग 70% वोटरों को कागजात जमा करने की जरूरत नहीं होगी, जिससे वोटर बनने की प्रक्रिया तेज, आसान और अधिक पारदर्शी होगी। यह सुधार मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और संपूर्ण बनाना है।
SIR क्या है?
विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मतदान केंद्रों के स्तर पर मतदाता सत्यापन और सूची अद्यतन किया जाता है। इसके तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाता की वास्तविक स्थिति जांचता है और आवश्यक डायरेक्ट अपडेट करता है। इस बार की योजना में लगभग 70% मतदाताओं के नाम डिजिटल रूप से पहले से उपलब्ध सूचियों से जुड़ेंगे, इसलिए उन्हें नए दस्तावेज जमा नहीं करने होंगे।

वोटर सूची में सुधार की जरूरत
उत्तर प्रदेश में मतदाता संख्या बहुत अधिक है, लगभग 15.44 करोड़ मतदाता हैं। इससे पहले साल 2003 के बाद मतदाता सूची में दर्ज नामों की सही जानकारी पाने के लिए यह पहला और व्यापक पुनरीक्षण हो रहा है। इससे पुरानी, डुप्लीकेट और मृतक नाम हटाकर सूची को ताजा और विश्वसनीय बनाया जाएगा। इससे मतदाता सूची में विसंगतियां कम होंगी और असामाजिक तत्वों द्वारा वोटर सूची का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी।
प्रक्रिया में क्या होगा बदलाव?
- इस बार मतदाता पहचान के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, स्कूल प्रमाणपत्र जैसे मान्यता प्राप्त दस्तावेज ही मान्य होंगे
- और उन्हें केवल उन 30% वोटरों को ही देना होगा जिनका कनेक्शन पुरानी सूचियों से नहीं मौजूद है।
- अन्य 70% लोगों का डेटा डिजिटल रूप से जुड़ेगा और उनका नाम नए दस्तावेज के बिना ही वोटर सूची में बना रहेगा।
- बीएलओ की टीम 4 नवंबर 2025 से घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित करेगी और दिसंबर तक पूरी
- प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी।
भरोसेमंद और पारदर्शी चुनाव व्यवस्था
- इस सुधार से यूपी में चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी मतदाता सूची
- में गड़बड़ी, धोखाधड़ी और त्रुटियों की संभावनाएं बहुत कम होंगी। यह पहल
- चुनाव आयोग की निष्पक्ष और समृद्ध लोकतंत्र की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जनता के लिए फायदेमंद!
- इस नई व्यवस्था से वोटर बनने की प्रक्रिया सहज हो जाएगी, दूर-दराज के इलाकों में रहने
- वाले गरीब और पिछड़ा वर्ग भी आसानी से वोटर सूची में शामिल हो सकेंगे।
- इससे चुनावी भागीदारी बढ़ेगी और लोकतंत्र का वास्तविक लाभ समाज के हर तबके तक पहुंचेगा।
यूपी में मतदाता पहचान प्रक्रिया में हो रहे ये बदलाव प्रदेश की चुनावी संस्कृति को और मजबूत करेंगे। डिजिटल तकनीक के उपयोग से वेरीफिकेशन प्रक्रिया आसान होगी, और वोटर सूची में सही व्यक्तियों का नाम होगा। 70% वोटरों को कागजात न देना पड़ना जनता के लिए राहत की बात है और यूपी में लोकतंत्र की मजबूती की ओर कदम है।







