ट्रंप जिनपिंग तुलना समाचार : राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के जिनपिंग की शक्ति की तुलना करते हुए कहा कि वे भी अपनी कैबिनेट में ‘डरे हुए मंत्री’ चाहते हैं। जानें बयान का पूरा संदर्भ।
हाल ही में दक्षिण कोरिया में आयोजित APEC आर्थिक नेताओं की बैठक से पहले अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने दुनिया भर के राजनीतिक पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा। इस बैठक के बाद ट्रंप ने अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों के साथ एक बैठक में जिनपिंग और उनकी कैबिनेट का जिक्र करते हुए एक अनोखी टिप्पणी की जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
ट्रंप का जिनपिंग कैबिनेट पर तंज

#ट्रंप ने कहा कि उन्होंने जिनपिंग के साथ मुलाकात के दौरान जिन मंत्रियों को देखा वह बहुत ही शांत और डरे हुए थे। उन्होंने कहा, “मैंने कभी जीवन में इतने डरे हुए लोग नहीं देखे। जब मैंने एक मंत्री से बातचीत करने की कोशिश की, तो उन्हें जवाब देने की अनुमति नहीं थी।” ट्रंप ने आगे हंसते हुए कहा कि वे अपनी कैबिनेट में भी ऐसे ‘डरे हुए मंत्री’ चाहते हैं, जो उनके निर्देशों के बीच कोई विरोध न करें।
यह टिप्पणी ट्रंप के लिए कुछ हद तक राजनीतिक हास्य का भी हिस्सा थी, लेकिन साथ ही इसमें पूरी दुनिया के सामने चीन में मौजूद सख्त शासन प्रणाली की भी झलक थी।
पश्चिम बनाम चीन: सत्ताओं का गणित
- ट्रंप ने जिनपिंग को “मजबूत और समझदार नेता” बताया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा
- कि जिनपिंग की कैबिनेट में मौजूद मंत्री उनकी नाक के नीचे चुप चाप बैठे रहते हैं
- बिना खुलकर बोलें। इसका मतलब यह साफ था कि चीन में निर्णय प्रक्रिया
- एक केंद्रीकृत और कठोर सत्ता प्रणाली के तहत चलती है।
यह स्थिति अमेरिका के लोकतांत्रिक और खुले राजनीतिक माहौल से पूरी तरह अलग है जहां मंत्री और अधिकारी खुले तौर पर अपनी राय रखते हैं और ट्रंप ने यहां तक कहा कि उनके उपराष्ट्रपति जेडी वेंस “ऐसे नहीं होते” क्योंकि वह हर चर्चा में दखल देते हैं।
राजनीतिक संदेश और ट्रंप की इच्छा
- ट्रंप के इस बयान में एक मजाक के सिवा यह भी यह संकेत था कि वह चाहते हैं
- कि उनके प्रशासन में ऐसे मंत्री हों जो उनकी बातों का बिना सवाल किए पालन करें,
- जो उनके राजनीतिक संकल्पों को पूरा करें। यह एक तरह से सत्तारूढ़ नेताओं की नियंत्रण
- की इच्छा को दर्शाता है जो स्वतंत्रता की बजाय एकात्मक आदेश चाहते हैं।
#ट्रंप के इस बयान ने अमेरिकी राजनीति में भी हलचल मचा दी है, जहां विपक्ष और मीडिया ने इसे उनकी तानाशाही प्रवृत्ति के रूप में देखा है।
ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात का सार
- दोनों नेताओं की यह मुलाकात 2025 के अंत में दक्षिण कोरिया के बुसान में हुई थी।
- इसमें व्यापार, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, टैरिफ, और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा हुई।
- ट्रंप ने जिनपिंग को बेहद कड़ी नेगोशिएटर बताया और कहा कि बातचीत में उन्होंने कई
- प्रमुख समझौतों पर सहमति बनाई, जिनमें चीनी टैरिफ में कटौती और अमेरिका की सोयाबीन की खरीद शामिल है।
- हालांकि दोनों नेताओं के बीच टीकाकरण, ताइवान के मुद्दों जैसे संवेदनशील विषयों पर सहमति नहीं बनी।
वैश्विक राजनीति पर प्रभाव
- ट्रंप के जिनपिंग कैबिनेट पर मज़ाकिया लेकिन कटाक्षपूर्ण बयान ने वैश्विक राजनीति में चीन
- की सख्त केंद्रीय सत्ता व्यवस्था पर नई बहस छेड़ी है। अमेरिकी लोकतंत्र की तुलना में चीन की
- सत्तात्मक और अनुशासित व्यवस्था को लेकर यह बयान कई देशों की राजनीतिक सोच को भी प्रभावित कर रहा है।
- यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप चीन की तानाशाही व्यवस्था से कुछ हद तक प्रभावित हैं
- और उन्हें अपने प्रशासन में भी इसी तरह की ‘डर और अनुशासन’ चाहिए।
ट्रंप का “मुझे भी चाहिए डरे हुए मंत्री” वाला बयान उनके विवादास्पद स्टाइल का हिस्सा है, जो राजनीति में हंसी-मजाक और नकारात्मक टिप्पणियों का मिश्रण होता है। इस बयान से चीन की सख्त राजनीतिक प्रणाली का फिर से विश्व स्तर पर परिचय हुआ, जबकि ट्रंप के सत्ता प्रबंधन के तरीके और उनकी इच्छाओं की झलक भी देखने को मिली।












