बिहार चुनाव 2025 : चंपारण की राजनीति बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे निर्णायक पटकथा को लिख रही है। राज्य के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण की 21 सीटों में से 17 सीटों पर एनडीए का कब्जा है, जिससे इस इलाके की हवा सत्ता का गणित तय करती है। इस बार चुनावी माहौल में टिकट बंटवारे, प्रत्याशियों के चयन और जनता की नाराजगी ने मुकाबले को और रोमांचक बना दिया है। इस ब्लॉग पोस्ट में चंपारण की चुनावी तस्वीर, सीटों का समीकरण, प्रमुख दावेदारों और भविष्य के संकेतों पर विस्तृत विश्लेषण है।
चंपारण ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व
- चंपारण का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक राजनीति को दिशा देता आया है।
- वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बेतिया, लौरिया, चनपटिया जैसे क्षेत्र ना सिर्फ ऐतिहासिक
- दृष्टिकोण से, बल्कि मतदान के लिहाज से भी बेहद अहम हैं। यहां के मतदाता सत्ता बदलने का माद्दा रखते हैं।
- बिहार चुनाव 2020 में इसी क्षेत्र की 21 सीटों में से 17 एनडीए के पास पहुंची थी, जिससे सरकार बनाने का रास्ता आसान हुआ था।

सीटों का समीकरण और मतदाताओं की भूमिका
- एनडीए को चंपारण में बीते चुनाव में जबर्दस्त समर्थन मिला। भाजपा ने 2020 में 15, जदयू ने 2, राजद ने 3 और
- सीपीआई (एमएल) ने 1 सीट हासिल की थी। महागठबंधन यहां पिछली बार कमजोर रहा
- लेकिन इस बार उसने अपनी रणनीति बदलने और स्थानीय समीकरण को साधने की कोशिश की है।
- सीटों पर टिकट बंटवारे से कुछ उम्मीदवारों के प्रति नाराजगी और तीसरे
- कोण के उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
चुनावी मुकाबला: एनडीए बनाम महागठबंधन
- इस क्षेत्र की राजनीति पर भाजपा का पारंपरिक प्रभुत्व रहा है
- जिसे सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू भी मजबूत करता आया है।
- एनडीए अपने पुराने वोट बैंक को बरकरार रखने की चुनौती के साथ-साथ स्थानीय
- असंतोष का सामना कर रही है। वहीं महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल) अपनी सीटें बढ़ाने के लिए जोर लगा रहा है।
- टिकट वितरण की राजनीति, जातीय समीकरण, तीसरे कोण के प्रत्याशी नेताओं और चुनावी मुद्दों के इर्द-गिर्द वोटिंग का रुख तय होगा।
जनता की अपेक्षाएं और मुख्य मुद्दे
- सत्ता के समीकरण को प्रभावित करने वाली चंपारण की जनता इस बार विकास, रोजगार
- शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और सशक्त स्थानीय नेतृत्व जैसे मुद्दों पर मतदान करेगी। स्थानीय नाराजगी
- इनकंबेंसी और नए उम्मीदवारों के प्रभाव के चलते कई सीटों पर कड़ा मुकाबला दिख रहा है।
भविष्य की संभावना
- चंपारण की 21 में से 17 सीटों का एनडीए के पास होना सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि सरकार गठन का संकेत भी है।
- अगर एनडीए इस स्थिति को बरकरार रखती है तो बिहार की सत्ता उनके पक्ष में ही जाएगी।
- वहीं अगर नाराजगी बढ़ी और कहीं तीसरे कोण ने बाजी मार ली तो समीकरण बदल सकते हैं।
- चंपारण की हवा पर पूरा बिहारElection 2025 टिकी है।












