रोहिणी FIR विवाद लालू और राबड़ी की सुरक्षा को लेकर राजनीति गर्माई। रोहिणी आचार्य की FIR की मांग ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने सुरक्षा व्यवस्था और परिवार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
बीजेपी का आरोप: लालू-राबड़ी को कैद कर रखा गया, सुरक्षा खतरे में, रोहिणी करें FIR

लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के परिवार में बढ़ता विवाद एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार में खुद की सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई और एफआईआर की मांग की है। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने न केवल पूरे घटनाक्रम पर तीखे सवाल उठाए, बल्कि राजद परिवार के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया और महिला अधिकारों पर भी सवाल खड़े किए हैं।
पारिवारिक कलह और सुरक्षा संकट
पिछले कुछ दिनों में लालू परिवार में मतभेद सतह पर आ गए हैं। तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज के परिवार में दखल को लेकर रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर बेहद भावुक पोस्ट किए, और खुद को घर से निकाले जाने की बात कही। उनकी चिंता इतनी बढ़ गई कि उन्होंने खुले तौर पर कहा कि परिवार में उनकी जान को खतरा है और एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। बिहार की फर्स्ट फैमिली में इस मतभेद की वजह से उनके समर्थकों और राजनीतिक जगत में हलचल बढ़ गई है.
बीजेपी ने लगाया गंभीर आरोप
बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने सवाल उठाया कि क्या लालू और राबड़ी को नजरबंद कर लिया गया है? उन्होंने रोहिणी आचार्य को एफआईआर करवाने की सलाह दी और तेज प्रताप को भी इसमें शामिल होने की अपील की। साथ ही सवाल किया कि मानसून सत्र में तेजस्वी यादव और उनके करीबी क्यों हावी हैं और मीसा भारती क्यों चुप हैं? बीजेपी ने लालू परिवार की विफलता का ठीकरा परिवारवाद और आंतरिक फूट पर फोड़ा.
महिला अधिकारों और लोकतंत्र पर बहस
भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाए कि लालू परिवार में महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर देखा जाता है। महिला अपमान और पारिवारिक कलह को ‘वंशवादी पार्टियों’ की संस्कृति बताया गया और कहा गया कि जब सत्ता से दूर हो जाती हैं, तो पार्टी के अंदर ही फूट पड़ जाती है। इस विवाद ने समाज में महिला सुरक्षा, लोकतंत्र और पारदर्शिता की जरूरत की ओर भी इशारा किया है.
मीडिया और सामाजिक प्रतिक्रिया
- इस मुद्दे की व्यापक चर्चा सोशल मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया चैनलों पर हो रही है।
- जहां एक तरफ राजद समर्थकों ने रोहिणी के पक्ष में भावुकता दिखाई,
- वहीं विपक्षी दलों ने इसे मुख्यमंत्री परिवार की जिम्मेदारी और बिहार की
- राजनीतिक संस्कृति के संकेत के तौर पर देखा।
- रोहिणी की साइबर शिकायत और एफआईआर की मांग से राजनीतिक हलकों में
- भविष्य की संभावना और कानूनी कार्रवाई को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.
निष्कर्ष
- लालू-राबड़ी परिवार में चल रही फूट अब न केवल सियासी
- बल्कि सामाजिक सवाल बन गई है। रोहिणी आचार्य की एफआईआर की मांग,
- परिवार के सदस्यों के बीच बढ़ती रार और बीजेपी के बयानों ने लालू परिवार की सुरक्षा,
- अधिकार, और बिहार की राजनीति में पारदर्शिता का मुद्दा गंभीर बना दिया है।
- आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल और सामाजिक समीकरण
- इस विवाद से गहरे प्रभावित होंगे,
- और शायद यही बिहार की आगामी राजनीति की दिशा भी तय करे।









