Propose Day Shayari: प्रपोज डे के दिन अपने पार्टनर को ये खूबसूरत संदेश भेजकर करें प्यार का इजहार
January 15, 2024 2025-01-29 5:39Propose Day Shayari: प्रपोज डे के दिन अपने पार्टनर को ये खूबसूरत संदेश भेजकर करें प्यार का इजहार
Propose Day Shayari: प्रपोज डे के दिन अपने पार्टनर को ये खूबसूरत संदेश भेजकर करें प्यार का इजहार
Propose Day Shayari: इस दिन को एक अवसर के रूप में उपयोग करते हैं अपने रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने के लिए, विवाह की प्रस्तावना करके या दीर्घकालिक साझेदारी की पुनराधारिता करके। प्रस्तावेन को विशेष घड़ी या सीधे भावनात्मक प्रेम के अभिव्यक्ति के रूप में किया जा सकता है, जो जोड़े की पसंद पर निर्भर करता है।
Propose Day Shayari: जब अल्फाज़ करें मोहब्बत का इज़हार!

प्रोपोज डे के बहाने ये कह रहे हैं,सालों से हम बस तुम्हें चाह रहे हैं।


चाह कर भी इश्क़ ए इज़हार जो हम कर ना सके,हमारी ख़ामोशी पढ़ लो तुम और क़ुबूल कर लो हमें।


अब हम इजहार कैसे करे यारो उनसे,जो इश्क के महीने मे हमसे खफा हुए बैठे है।


एक वक्त था की इजहार ए मोहब्बत के हमे शब्द नही मिलते थे,मेहरबानी तेरी बेवफाई की हमको शायर बना दिया।


एक इज़हार ए मोहब्बत ही बस होता नहीं हमसे,हमसा माहिर जहाँ में वरना और कौन है।


वो कहती है अगर मोहब्बत है तो इजहार करो,हर बात लफ्जो से बयां हो ये जरूरी तो नही।


तुझसे मैं इज़हार ए मोहब्बत इसलिए भी नहीं करता,सुना है बरसने के बाद बादल की अहमियत नहीं रहती।
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कर दिया हमनें भीं इज़हार ए मोहब्बत फोन पर,लाख रूपये की बात थी एक रूपये में हो गयी।


इश्क का इल्म तो इश्कजादो को होता है जनाब,हम तो इजहार ए इश्क भी ना कर पाए।


बेशक तू बदल ले अपनी मौहब्बत लेकिन ये याद रखना,तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता।


इज़हार ए इश्क करो उससे जो हक़दार,इसका बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते।


जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है।


उनके इनकार में भी इजहार नजर आता है,तभी तो घाव देने के बाद भी मरहम लगा रहे है।


मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है और कुछ भी नही सोचता हूँ,कि कोई तो संभल जाएगा मुझे पढने के बाद।
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तेरी आँखो का इज़हार मै पढ़ सकता हूँ,पगली किसी को अलविदा युँ मुस्कुराकर नहीं कहते।


उनके जाहर ए मोहब्बत से पगला से गये,इकरार की हिम्मत ना भी इनकार कर बैठे।


वो सज़दा ही क्या जिसमे सर उठाने का होश रहे,इज़हार ए इश्क़ का मजा तब जब मैं बेचैन रहूँ और तू ख़ामोश रहे।


ये बात और है कि इज़हार ना कर सके,नहीँ है तुम से मोहब्बत भला ये कौन कहता।


लफ्ज़ मेरा साथ देते नहीं अब तुम ही बताओ,हम उनसे इज़हार ए इश्क करें तो कैसे।


हज़ारों दफा कर दिया है इज़हार ए इश्क इन आँखों नें,तुम वाकई नहीं समझे या बस यूँ ही अनजान बने बैठे हो।
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इजहार ऐ इश्क तो कई दफा किया हमने आंखो से,पर वो नासमझ होठो से इकरार का ही इंतजार करते रह गये।


चलो माना कि हमे प्यार का इजहार करना नही आता,पर जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नही।


सुनो मै न चुपके से इजहार कर दूंगा किसी बहाने से,तुम न अपना वक्त जाया मत करना मुझे आजमाने मे।


इजहार ए इश्क मे क्या हाल ए दिल कहूं,दिल मे है वही पर लफ्ज है कि सुनते नही।


किसी भी तरह वो इज़हार तो करे एक बार,नज़र से कह के ज़ुबाँ से भले मुकर जाये।


यार बता दे ज़रा कैसे करुँ मेँ इजहार ए ईश्क,शायरी वह समझती नहीँ और अदाए हमें आती नहीँ।


मैं अपनी मुहब्बत का शिकवा तुमसे कैसे करुं,मुहब्बत तो हमने की हैं तुम तो बेकसूर हो।


ना कोई हक है ना ही कोई रोक है ना कोई इजहार है ना ही कोई इनकार है,अब कुछ इस तरह उनके और हमारे बीच का प्यार है।


अपनी मुहब्बत का इजहार लिख दो,दीवाने हो जाएं जिसे पढ़कर हम कुछ ऐसा एक बार लिख दो।


मेरी फितरत में नहीं अपने ग़म का इज़हार करना,अगर उसके वजूद का हिस्सा हूँ मैं तो खुद महसूस करे वो तकलीफ मेरी।