तेज प्रताप बनाम तेजस्वी राघोपुर विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव की भाई-भाई टक्कर। जानिए चुनावी रणनीतियां, जातीय समीकरण और इस महा मुकाबले का बिहार की राजनीति पर प्रभाव।

राघोपुर विधानसभा चुनाव 2025 में भाई-भाई तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बीच सीधी टक्कर ने बिहार की राजनीति में सनसनी मचा दी है। दोनों नेताओं का मुकाबला सिर्फ एक सीट जीतने की नहीं, बल्कि राजनीतिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा की लड़ाई है।
राघोपुर का राजनीतिक माहौल
#राघोपुर सीट पर यादवों की संख्या लगभग 30% है, जो पारंपरिक रूप से राजद की मजबूत कट्टरबंदी है। तेजस्वी यादव इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार भी हैं। तेजप्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवार प्रेम कुमार को मैदान में उतारकर तेजस्वी की सत्ता पर चुनौती दी है।
चुनावी रणनीतियां
तेजस्वी यादव ने अपने पुराने समर्थकों को लेकर चुनावी अभियान तेज कर रखा है। उनका जोर सामाजिक व अन्य तबकों को भी जोड़ने पर है। तेजप्रताप यादव ने हेलीकॉप्टर से प्रचार कर राघोपुर में दो जगह चुनावी सभा कर ताकत दिखाई है। दोनों की रणनीतियों में उनकी लोकप्रियता और वोटरों को जोड़ने का तरीका भिन्न है।
जातीय समीकरण और वोटों का खेल
राघोपुर के अलावा राजपूत, भूमिहार, दलित और अन्य वर्ग भी महत्वपूर्ण वोटर हैं।
तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों यादव वोट के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं।
वोट बंटने की स्थिति भाजपा के उम्मीदवार को फायदा पहुंचा सकती है।
जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार भी समीकरण को और जटिल बना रहे हैं।
चुनाव का असर
- यदि तेजस्वी जीतते हैं तो यह उनकी राजनीतिक पकड़ की पुष्टि होगी।
- वहीं तेजप्रताप की जीत परिवारिक और राजनीतिक रूप से बड़ा घटनाक्रम मानी जाएगी।
- यह मुकाबला बिहार की राजनीति में नए सियासी समीकरणों को जन्म दे सकता है।
निष्कर्ष
- राघोपुर चुनाव 2025 में तेजस्वी और तेजप्रताप यादव के बीच
- भाई-भाई की सियासी जंग ने चुनावी रणभूमि को गरमा दिया है।
- छोटे-छोटे मुद्दों और रणनीतियों से भरे
- इस मुकाबले में हिस्सा लेने वाले कई दल व समुदाय निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
- आगामी दिनों में इस चुनावी मुकाबले के परिणाम बिहार की राजनीति को नई दिशा देंगे।









