Pausha Putrada Ekadashi 2025 : पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत उत्तम माना जाता है। एकादशी हर महीने मनाई जाती है।
भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। माना जाता है!
कि इस दिन श्री हरि की उपासना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन पौष पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए जो इस प्रकार है।

पौष पुत्रदा एकादशी का हिंदुओं के बीच बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है।
पौष माह के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह एकादशी 10 जनवरी यानी आज के दिन मनाई जा रही है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
साथ ही संतान से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर करते हैं।
एक समय की बात है राजा सुकेतुमान की कोई संतान नहीं थी, जिसके चलते वे और उनकी रानी
शैब्या बहुत दुखी रहते थे। उन्हें यह दुख परेशान कर रहा था कि मृत्यु के बाद उनके पूर्वजों
का उद्धार कौन करेगा और कौन उन्हें मोक्ष दिलाएगा? वे सोचते थे
Pausha Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी पर करें इस कथा का पाठ मिलेगा व्रत का दोगुना फल!
कि उत्तराधिकारी न होने के चलते उनके पूर्वजों की मुक्ति नहीं मिल पाएगी और न ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।
यह सब सोच राजा सुकेतुमान राजपाट त्याग कर वन में चले गए। वन में उनकी मुलाकात कई सारे ऋषियों से हुई।
उस समय राजा सुकेतुमान ने अपनी व्यथा (परेशानी) सुनाई।
तब ऋषियों ने राजा सुकेतुमान को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। यह जान राजा
सुकेतुमान पुनः अपने राज्य लौट आएं। ऋषि के कहे अनुसार, राजा सुकेतुमान और रानी शैब्या
ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना
(Pausha Putrada Ekadashi Puja Vidhi) की।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा सुकेतुमान को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई,
तभी से यह व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई। कहते हैं कि जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं,
उनकी संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।