दिल्ली विस्फोट फर्जी खबर : दिल्ली में हाल ही में हुए भयावह ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस धमाके में कई लोगों की जान गई और राजधानी में सुरक्षा की बड़ी सेंध लगी। लेकिन इस आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया और खासकर पाकिस्तान के विभिन्न डिजिटल नेटवर्क्स ने एक सुनियोजित साजिश के तहत झूठी खबरें फैलानी शुरू कर दीं। इन अफवाहों का मकसद साफ था देश की सुरक्षा एजेंसियों और मोदी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाना और भ्रम फैलाना ताकि आतंकी कनेक्शन से ध्यान हटाया जा सके।
पाकिस्तानी फेक न्यूज़ जो फैल रही है!
जैसे ही यह आतंकवादी हमला हुआ, पाकिस्तान समर्थित फेक न्यूज चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने बिना किसी तथ्य पुष्टि के अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं। कई जगहों पर यह दावा किया गया कि इस धमाके के पीछे भारत की ही कोई एजेंसी है या फिर सरकार इसे राजनीतिक लाभ के लिए करवा रही है। यह झूठा प्रचार तब और भी तीव्र हो गया जब कुछ प्लेटफॉर्म्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश छोड़ देने की झूठी खबरें तक उगल डालीं। जबकि सच यह है कि पीएम मोदी उस दिन भूटान के आधिकारिक दौरे पर थे और उन्होंने वहां से ही इस हमले पर कड़ा रुख अपनाने का बयान दिया।

इन झूठी खबरों के जरिये पाकिस्तान अपना एक पुराना एजेंडा पूरा करना चाहता है। वह चाहे जितना दावा करे भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहा है, वह हर बार इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की छवि धूमिल करने में लगा रहता है। इस बार भी यही रणनीति अपनाई गई है।
सेना और मोदी सरकार को बदनाम करने का उद्देश्य
- पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां और उनके समर्थित तत्व इस हमले के बाद से भारत में डर फैलाने
- और अपनी साजिशों को छुपाने के लिए तमाम तरह के झूठे दावे कर रहे हैं। उनका मंसूबा है
- कि भारत की सुरक्षा प्रणाली और उसकी प्रभावी कार्रवाई को कमजोर दिखाया जाए।
- इस हमले की गुत्थी सुलझाने के लिए भारत की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुई हैं
- जिनमें एनआईए, एजेंसियों की संयुक्त टास्क फोर्स, और पुलिस बल शामिल हैं।
- जांच से अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, वे साफ तौर पर
- आतंकवादियों के पाकिस्तान से जुड़े होने की ओर इशारा करते हैं।
लेकिन अफसोस की बात है कि इस गंभीर परिस्थिति का राजनीतिकरण करके पाकिस्तान भारत की विदेश नीति, आंतरिक सुरक्षा और मोदी सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है। यह रणनीति न केवल मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है, बल्कि इसका मकसद भारत के साथ खड़े देशों के बीच भी भ्रम फैलाना है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पकड़
- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले को लेकर साफ कहा है
- कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यूएपीए के तहत कई मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं
- और जांच पूरी गंभीरता से चलाई जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी वक्ते हुए
- कहा कि आतंकियों को जो भी सजा मिलनी चाहिए, वह मिलेगी।
सुरक्षा एजेंसियां सिर्फ इस हमले के दाबी आतंकियों पर नहीं, बल्कि उनके सपोर्ट सिस्टम को भी खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं। एनआईए और पुलिस ने कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और अभी बाकी आईपीएस अफसर भी जांच के दायरे में हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का इस ब्लास्ट में गहरा हाथ पाया गया है, जिससे साफ जाहिर हो गया कि यह हमला सोचा-समझा सैन्य और राजनीतिक हमला था।
सोशल मीडिया पर हो रही अफवाहों से सावधान रहें!
- जांच एजेंसियों ने आम जनता से अपील की है कि वे बिना पुष्टि के किसी खबर को साझा न करें।
- सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें केवल देश की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करती हैं।
- फर्जी वीडियो, एडिटेड तस्वीरें, और झूठे ट्वीट्स को फैलाना न तो देशभक्ति है, न ही संवेदनशीलता।
अधिकृत स्रोतों से ही जानकारी लें और हर उस पोस्ट या कमेंट की रिपोर्ट करें, जो भ्रामक और डर फैलाने वाली लगती है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम आतंकवाद के खिलाफ सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग करें और अफवाहों को बेअसर बनाएं।
- दिल्ली ब्लास्ट एक भयंकर आतंकी हमला था, जिसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों के
- माध्यम से अंजाम दिया गया। इस हमले के बाद पाकिस्तानी फेक न्यूज़ गिरोह ने सरकार और सेना
- को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें फैलाईं, लेकिन Indian agencies
- की सतर्कता और कड़ी कार्रवाई से ये साजिशें नाकाम हो रही हैं।












