भारत अफगानिस्तान संबंध : भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में आए नए बदलाव के तहत भारत जल्द अफगानिस्तान को पहला राजनयिक भेजने जा रहा है। जानिए दोनों देशों के बढ़ते राजनीतिक और विकासात्मक सम्बन्धों के बारे में।
भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते: एक नई शुरुआत
अफगानिस्तान और भारत के बीच पिछले कुछ वर्षों से जटिल राजनीतिक हालात के बाद अब कूटनीतिक रिश्तों में एक नई शुरुआत हो रही है। वर्ष 2025 में दोनों देशों ने अपनी कूटनीतिक बातचीत और सहयोग को अगले स्तर पर ले जाने का मन बनाया है। हाल ही में अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के बाद भारत ने अफगानिस्तान में अपना पहला आधिकारिक राजनयिक भेजने का फैसला किया है, जो एक अहम और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

अफगानिस्तान में भारतीय राजनयिक की नियुक्ति
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपनी दूतावास की उपस्थिति कम कर दी थी, लेकिन अब भारत ने अफगानिस्तान में अपनी तकनीकी मिशन को पूर्ण राजनयिक मिशन (एम्बेसी) में अपग्रेड करने का निर्णय लिया है। इसके तहत जल्द ही पहला भारतीय राजनयिक अफगानिस्तान भेजा जाएगा, जो भारत-अफगानिस्तान के मजबूत रिश्तों की नई पहचान बनेगा। यह कदम दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग को बढ़ावा देगा।
खास बातचीत और सहयोग के क्षेत्र
अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा, विकास, मानवीय मदद और व्यापारिक संबंधों पर व्यापक चर्चा की। भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास कार्यों में सहायता बढ़ाने का वादा किया है। खासतौर पर स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, और बुनियादी निर्माण कार्यों में सहयोग पर जोर दिया गया है। इसके अलावा दोनों देशों ने चाबहार पोर्ट और वाघा सीमा के माध्यम से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भी चर्चा की है।
मानवीय सहायता जारी रहेगी
- भारत अफगानिस्तान को लगातार मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है
- खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाओं और आपदा राहत में। हाल की प्राकृतिक आपदाओं में भारत ने
- तेजी से सहायता भेजी है जिससे दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध और मजबूत हुए हैं।
- आगामी समय में भी भारत अफगानिस्तान के लोगों के लिए चिकित्सा
- शिक्षा और विकास परियोजनाओं में सहयोग जारी रखेगा।
तालिबान और भारत के बीच विश्वास का नया दौर
तालिबान सरकार ने भी भारत के प्रभुत्व और संप्रभुता के प्रति समर्थन व्यक्त किया है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के क्षेत्रीय स्वायत्तता का सम्मान किया है। यह राजनीतिक समंजस्य क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत हैं, खासकर पाकिस्तान के साथ बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति के बीच।
क्षेत्रीय रणनीति और प्रभाव
- भारत का अफगानिस्तान में सक्रिय रहना दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में उसकी मजबूत उपस्थिति का संकेत है।
- इससे भारत को पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित करने का अवसर मिलेगा। भारत और अफगानिस्तान
- के बढ़ते संबंध क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देंगे।
- भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक स्तर पर यह नया अध्याय दोनों देशों के लिए विकास, स्थिरता
- और सामरिक सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। पहला भारतीय राजनयिक अफगानिस्तान
- भेजना इस संबंध को और गहरा करने वाला है, जो क्षेत्रीय संदर्भ में भारत की महत्वाकांक्षा और अफगानिस्तान
- के पुनर्निर्माण में उसकी भूमिका को मजबूत करेगा। इस नए अध्याय से दोनों देशों की साझेदारी और
- मजबूत होगी, जो दक्षिण एशिया की शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है।









