नागपंचमी: इस बार की अनोखी विधि और रहस्यों से भरपूर तिलस्मी पूजा जो आप कभी नहीं भूलेंगे!
July 29, 2025 2025-07-29 7:34नागपंचमी: इस बार की अनोखी विधि और रहस्यों से भरपूर तिलस्मी पूजा जो आप कभी नहीं भूलेंगे!
नागपंचमी: इस बार की अनोखी विधि और रहस्यों से भरपूर तिलस्मी पूजा जो आप कभी नहीं भूलेंगे!
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नागपंचमी 2025: आस्था, संरक्षण और अद्भुत परंपरा का त्योहार

#नागपंचमी हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व 2025 में 29 जुलाई (मंगलवार) को पूरे भारत में श्रद्धा, मान्यता और रंग-बिरंगे रीति-रिवाज के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। नागपंचमी केवल पूजन का पर्व ही नहीं, बल्कि ज़मीन, जीवन और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक भी है।
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी?
- नाग देवता की पूजा: हिंदू मान्यता के अनुसार, नाग या सर्प पृथ्वी के रक्षक माने गए हैं। उन्हें भगवान शिव के गले का हार और विष्णु जी के शयन का आसन भी माना जाता है।
- कथा एवं महत्व: स्कन्द पुराण, महाभारत व लोककथाओं में बताया गया है कि इस दिन नाग देव को दूध चढ़ाने, पूजन करने और उनके संरक्षण का संकल्प लेने से कालसर्प दोष का निवारण, सर्पदंश से सुरक्षा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- कृषि और प्रकृति: नागपंचमी का संबंध खेत-खलिहान और बारिश के मौसम से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि सांप खेतों को चूहे जैसी फसलों को नुकसान पहुँचाने वाली जीवों से बचाते हैं।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
- मुहूर्त: 29 जुलाई 2025 को नागपंचमी पूजन का शुभ समय सुबह 5:41 से 8:23 बजे तक है।
- पूजा विधि:
- सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
- नाग देवता की प्रतिमा/चित्र को हल्दी, चंदन, पुष्प, अक्षत, दूध, मिठाई आदि चढ़ाएं।
- मिट्टी, चांदी या चित्र रूपी नाग की, विशेषकर आठ नागों (अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलिक, कर्कट, शंख) की पूजा करें9।
- नाग पंचमी का मंत्र:“ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा”
- नागपंचमी व्रत-कथा सुनें और सरसों अथवा काले तिल का दान करें।
परंपराएं और लोक विशेषताएँ
- मिट्टी के नाग बनाकर पूजा और दूध अर्पित करना।
- कई राज्यों में घर के द्वार पर नाग की आकृति बनाना और घर-गाय की रक्षा की कामना।
- इस दिन खेती-बाड़ी के औजारों का भी पूजन किया जाता है और सांपों को मारना या नुकसान पहुँचाना सख्त मना है।
नागपंचमी से जुड़े रोचक तथ्य
तथ्य | जानकारी |
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मनाए जाने का समय | सावन शुक्ल पंचमी |
तिथि (2025) | 29 जुलाई |
पूजा का मुहूर्त | प्रातः 5:41 से 8:23 |
पूजा के मुख्य घटक | दूध, हल्दी, चंदन, पुष्प, नाग चित्र/मूर्ति |
जुड़ी कथाएँ | महाभारत, स्कन्द पुराण (जन्म कथा, आश्लेषा कथा) |
विशेषता | कालसर्प दोष शांति, सर्पदंश से सुरक्षा, कृषि रक्षा |
नागपंचमी हमारे सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राकृतिक सरंक्षण के मूल्यों को जोड़ती है। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ सामंजस्य और जीव-जंतुओं की अहमियत को दर्शाता है।
आप भी इस नागपंचमी पर सबके कल्याण और प्रकृति की रक्षा का संकल्प लें!