IMD राख बादल अलर्ट : भारत में राख के बादलों का असर एक बड़ी मौसम समस्या के रूप में उभरा है। इथियोपिया के हेयली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट से निकले राख के बादल अब भारत पर मंडरा रहे हैं, जिससे कुछ खास शहरों में धुंध और बादल छाने की स्थिति बनी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी की है कि ये राख के बादल मंगलवार शाम तक भारत से छंट जाएंगे और फिर चीन की ओर बढ़ेंगे।
राख के बादल का कारण और भारत पर प्रभाव
इथियोपिया में ज्वालामुखी के विस्फोट से हजारों किलोमीटर दूर भारत तक राख के बादल पहुंचे हैं। ये पीछे काले, सल्फर डाइऑक्साइड और विशालकाय राख के कण हैं जो वायुमंडल में ऊंची परतों में फैल गए हैं। इस वजह से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में आसमान धुंधला और गहरा दिखाई दे रहा है।
IMD के मुताबिक ये बादल जमीन से 10-15 किलोमीटर ऊंचाई पर उड़ रहे हैं, इसलिए ये हवा की गुणवत्ता पर सीधा असर नहीं डाल रहें मगर हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है। कई उड़ानें रद्द और डायवर्ट की गई हैं।

किस शहर पर रहेगा ज्यादा प्रभाव?
- दिल्ली और NCR क्षेत्र
- हरियाणा
- पंजाब
- राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर
- गुजरात के कुछ हिस्से
इन इलाकों में सीमित रूप से हवा में धुंधली परत और काला आसमान देखा जा रहा है। हालांकि मौसम विभाग ने साफ किया है कि यह प्रभाव अस्थायी होगा और मंगलवार शाम तक धीरे-धीरे ये बादल भारत से हट जाएंगे।
IMD की предупреждение और सावधानियां
IMD ने नागरिकों से अपील की है कि वे यदि संभव हो तो घर के अंदर रहें, और जब भी बाहर निकलें तो N95 मास्क पहनें।
- बाहर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें
- एयर कंडीशनिंग में बाहरी हवा को न आने दें
- संवेदनशील लोग जैसे अस्थमा और एलर्जी के मरीज अतिरिक्त सतर्क रहें
- उड़ानों के लिए DGCA ने विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं
राख के बादल कब छटेंगे?
भारतीय मौसम विभाग की ताजा सूचना के अनुसार राख के बादल मंगलवार शाम 7:30 बजे तक भारत से पूरी तरह हट जाएंगे। इसके बाद हवा फिर से साफ हो जाएगी और मौसम अपने सामान्य स्वरूप में वापस आ जाएगा।
राख के बादलों से जुड़ी चुनौतियां
- हालांकि ये बादल मुख्य रूप से हवाई यातायात और आकाशीय दृश्यता पर प्रभाव डाल रहे हैं
- लेकिन इसके साथ ही कुछ इलाकों में सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों की मात्रा बढ़ने की भी संभावना है।
- यह पौधों और जानवरों के लिए हानिकारक हो सकता है और मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।








