Guru Purnima 2025: अपने जीवन के सच्चे मार्गदर्शक को समर्पित एक दिन, जानिए परंपरा और इतिहास
April 2, 2025 2025-04-02 6:10Guru Purnima 2025: अपने जीवन के सच्चे मार्गदर्शक को समर्पित एक दिन, जानिए परंपरा और इतिहास
Guru Purnima 2025: अपने जीवन के सच्चे मार्गदर्शक को समर्पित एक दिन, जानिए परंपरा और इतिहास
Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा, एक विशेष हिन्दू पर्व है जिसे हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
यह दिन विशेष रूप से अपने गुरु के प्रति सम्मान, श्रद्धा और आभार व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है।
गुरु की महिमा को प्रकट करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को संवारने का यह एक अनूठा अवसर है। गुरु पूर्णिमा 2025 में 10 जुलाई को मनाई जाएगी।

गुरु पूर्णिमा का महत्व
#गुरु पूर्णिमा का महत्व हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में विशेष रूप से माना जाता है।
यह दिन गुरु के महत्व को समझने और उन्हें धन्यवाद देने का पर्व है। गुरु के बिना कोई भी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता,
यही कारण है कि गुरु का स्थान मां-बाप से भी ऊंचा माना जाता है। इस दिन लोग अपने गुरु को पूजा-अर्चना और श्रद्धा के साथ सम्मान देते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गुरु के बारे में कहते हैं कि वे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं और अपने शिष्यों को जीवन के सच्चे उद्देश्य की दिशा दिखाते हैं।
इस दिन, श्रद्धालु अपने गुरु के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं।
Guru Purnima 2025 की तारीख
गुरु पूर्णिमा 2025 में 10 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है,
जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रत, पूजा और गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने की परंपरा है।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने के लिए विशेष पूजा विधि है।
यह पूजा साधारणत: सुबह जल्दी की जाती है।
व्रत और पूजा की विधि
स्नान और शुद्धता: गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु प्रातःकाल उठकर स्नान करते हैं
और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी करते हैं। शुद्धता इस दिन की सबसे पहली शर्त होती है।
गुरु की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा: इस दिन अपने गुरु की तस्वीर या प्रतिमा के सामने दीपक, फूल, चंदन, अक्षत (चावल), फल, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित की जाती है।
गुरु मंत्र का जाप: पूजा के दौरान श्रद्धालु गुरु के नाम का जाप करते हैं। “ॐ गुरवे नमः” या “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
भक्ति भाव से आभार व्यक्त करें: पूजा के दौरान श्रद्धालु अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
गुरु के समक्ष अपनी समस्याओं, जीवन के संघर्षों और आशीर्वाद की कामना रखते हैं।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद का वितरण किया जाता है और सभी
उपस्थित व्यक्तियों को गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
पूजा सामग्री
गुरु पूर्णिमा की पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री होती है:
- गुरु की तस्वीर या प्रतिमा
- दीपक और घी
- चंदन और अक्षत (चावल)
- फूल और ताजे पत्ते
- फल और मिठाई
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
गुरु पूर्णिमा के लाभ
#गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल एक पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह जीवन को दिशा देने और गुरु के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करने का दिन है।
गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति का जीवन संवरता है और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
#गुरु पूर्णिमा के लाभ निम्नलिखित हैं:
ज्ञान की प्राप्ति: गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है।
यह दिन आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का भी होता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस दिन गुरु के आशीर्वाद से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,
जो जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है।
सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा: गुरु की उपस्थिति और आशीर्वाद से व्यक्ति को जीवन के
उद्देश्य को समझने और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
समस्या समाधान: गुरु के आशीर्वाद से जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
गुरु की उपस्थिति में व्यक्ति को सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
गुरु पूर्णिमा से जुड़ी कथाएँ
#गुरु पूर्णिमा से जुड़ी कई रोचक कथाएँ प्रचलित हैं,
जो गुरु के महत्व को समझाने के लिए सुनाई जाती हैं।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन पार्वती को महर्षि व्यास की पूजा करने की प्रेरणा दी थी।
महर्षि व्यास को वेदों और उपनिषदों का रचनाकार माना जाता है।
इस दिन को गुरु के सम्मान और पूजा के रूप में मनाया गया।
दूसरी कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस दिन अरjuna को गीता का उपदेश दिया था।
गीता का ज्ञान अर्जुन के जीवन को दिशा देने वाला साबित हुआ था।
निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा 2025 का पर्व गुरु के प्रति सम्मान, आभार और श्रद्धा का प्रतीक है।
इस दिन गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति को ज्ञान और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने से जीवन में सही दिशा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यह दिन आत्मसाक्षात्कार, आत्मविकास और गुरु की महिमा को समझने का विशेष अवसर है।
यदि आप इस दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करते हैं, तो यह आपके जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होगा।