फडणवीस सरकार किसान आंदोलन : महाराष्ट्र एक बार फिर किसान आंदोलन की आग में झुलसता दिखाई दे रहा है। फडणवीस सरकार के द्वारा किए गए अधूरे वादों और कृषि योजनाओं के असंतोष के चलते किसानों ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है। हाईवे से लेकर तहसील मुख्यालयों तक हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य सरकार ने सत्ता में आने के बाद जो वादे किए थे, वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं।
किसानों का गुस्सा क्यों भड़का?
किसानों का सबसे बड़ा आरोप यह है कि राज्य सरकार ने फसल बीमा, बिजली बिल माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे मुद्दों पर बार-बार वादे किए, लेकिन अमल नहीं किया।

- किसानों को वाजिब कीमत नहीं मिल रही है।
- फसल बीमा योजनाओं में किसान लगातार नुकसान उठा रहे हैं।
- बिजली बिल और सिंचाई संबंधी छूट का फायदा जमीनी स्तर पर नहीं मिल पा रहा।
- खरीफ सीजन की क्षतिपूर्ति राशि अभी तक कई किसानों को नहीं मिली।
इन कारणों से पूरे राज्य में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। खासकर नाशिक, अहमदनगर, और विदर्भ क्षेत्र में आंदोलन का दायरा तेज़ी से बढ़ रहा है।
हाईवे पर किसानों का सैलाब
बुधवार सुबह से ही किसानों की भीड़ राज्य के मुख्य हाईवे पर उतर आई। “जय किसान, जय महाराष्ट्र” के नारों से पूरा माहौल गूंज उठा। कई जगहों पर ट्रैक्टर और बैलगाड़ियां लेकर किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं।
मार्च के रूप में निकले ये किसान राज्य सरकार से सीधा संवाद मांग रहे हैं। वे चाहते हैं कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस या मुख्यमंत्री प्रत्यक्ष आकर उनसे बात करें और पिछले वादों पर जवाब दें।
पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, मगर आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से जारी है। किसानों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उनकी मांगों को लिखित रूप से पूरा नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
फडणवीस सरकार की प्रतिक्रिया
- उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया को बताया कि सरकार किसानों से संवाद के लिए तैयार है।
- उनका कहना है कि कोरोना और आर्थिक अस्थिरता के कारण कई योजनाओं पर असर पड़ा
- लेकिन सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से सुलझा रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि फसल बीमा और बिजली राहत के लिए नई नीतियों पर काम जारी है।
- हालांकि किसानों का कहना है कि सरकार की घोषणाएं केवल कागज़ पर रहती हैं, ज़मीनी हकीकत कुछ और है।
विपक्ष का हमला
- फडणवीस सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है।
- कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेताओं ने कहा कि यह किसानों का गुस्सा जायज है।
- उनका आरोप है कि फडणवीस सरकार ने किसानों को चुनावी वादों के जरिए भ्रमित किया
- और अब जब वे जवाब मांग रहे हैं, तो सरकार असहज हो रही है।
राज्य में विपक्ष लगातार यह मुद्दा उठा रहा है कि महाराष्ट्र जैसे कृषि-प्रधान राज्य में किसानों की बदहाल स्थिति सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करती है।
किसानों की प्रमुख मांगे
- फसल बीमा की राशि का पारदर्शी और शीघ्र वितरण
- बिजली बिल माफी का वास्तविक क्रियान्वयन
- खरीफ और रबी फसलों के लिए उचित MSP सुनिश्चित करना
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पैकेज
- कर्जमाफी की नई योजना और पुराने बकाया का समाधान
किसान संगठनों का कहना है कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन थमने वाला नहीं है।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर किसानों के प्रति संवेदनाएं और समर्थन की लहर है। ट्विटर पर “#KisanAndolanMaharashtra” और “#FadnavisSarkar” जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
- बहुत से लोग सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि फडणवीस तुरंत किसानों से संवाद करके स्थायी
- समाधान निकालें। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मत है कि लगातार किसानों के विरोध प्रदर्शन से राज्य की
- अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
महाराष्ट्र का यह किसान आंदोलन केवल राजनीतिक चुनौती नहीं बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है। किसानों ने फडणवीस सरकार को साफ संदेश दिया है कि अब वे वादों पर नहीं, अमल पर भरोसा करेंगे।







