चिराग पासवान NDA वापसी : NDA में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की वापसी से गठबंधन में जोश भर गया है। पहले चरण के मतदान में असर दिखने की संभावना।
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए राजनीतिक हलचल अपने चरम पर पहुंच चुकी है। सबसे बड़ा चर्चा का विषय है चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में वापसी करना, जिसने NDA के लिए पहली चरण की चुनावी उम्मीदों को बहुतेज़ बढ़ा दिया है। इसका प्रभाव खासकर बिहार के दक्षिण और मध्य इलाकों में नजर आ रहा है, जहां 2020 में यह क्षेत्र महागठबंधन के मजबूत थे।
चिराग पासवान का एनडीए में वापस आना

2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने NDA से अलग होकर अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, जिससे JDU सहित NDA को बड़ा नुकसान हुआ था। खासकर दक्षिण बिहार की कई सीटें तब महागठबंधन को मिली थीं। अब चिराग ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है, जिससे एनडीए को भारी राजनीतिक ताकत मिली है।
चिराग पासवान की वापसी से JDU और बीजेपी को विशेष मजबूती मिली है। नीतीश कुमार और चिराग के बीच हुई सुलह ने एनडीए को एकजुटता का संदेश दिया है। चिराग के साथ 29 विधानसभा सीटों पर NDA उम्मीदवार हैं, जो पूरे गठबंधन के प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं।
कुशवाहा की वापसी से भी NDA की ताकत बढ़ी
उपेंद्र कुशवाहा का भी NDA में वापसी करना एक बड़ा फ़ैक्टर है। कुशवाहा समुदाय बिहार की आबादी में लगभग 4.2% हिस्सेदारी रखते हैं और यादवों के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा OBC समूह है। पिछले विधानसभा चुनावों में कुशवाहा के अलग होने से NDA को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।
इसी वजह से इस बार कुशवाहा की वापसी से NDA का मनोबल काफी बुलंद है। कुशवाहा के साथ BJP के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की भी मजबूती एनडीए की उम्मीदवारों को सहयोग दे रही है। यह समुदाय कई सीटों पर एनडीए का एक्स फैक्टर साबित हो सकता है।
पहले चरण के चुनाव की रणनीति और सीटों की स्थिति
पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान होना है, जिसमें बिहार के मिथिलांचल, कोसी, मुंगेर डिवीजन और भोजपुर बेल्ट के इलाके शामिल हैं। इस चरण का नतीजा पूरे चुनाव का रुख तय कर सकता है, क्योंकि यहां 3.75 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने फैसले देंगे।
- 2020 के मुकाबले इस बार एनडीए के लिए माहौल अनुकूल बताया जा रहा है।
- पिछले चुनावों में NDA इन इलाकों में महागठबंधन को पिछड़ गया था
- लेकिन चिराग और कुशवाहा की वापसी से एनडीए की ताकत बढ़ गई है।
एनडीए को पहली चरण में 80 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया गया है, जिससे बिहार में अपनी मजबूत स्थिति कायम रखे। बीजेपी, JDU, एलजेपी और अन्य सहयोगी दल इसमें शामिल हैं।
महागठबंधन का मुकाबला और राजनीतिक माहौल
- महागठबंधन ने 2020 में इन इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया था, खासकर RJD (राजद) और
- कांग्रेस के समर्थन के साथ। हालांकि इस बार महागठबंधन को भी सीटें तालमेल से लड़नी होगी
- और कई जगह जनसुराज ऑर्गनाइजेशन, AIMIM और बसपा जैसे दल भी मुकाबले को और मजेदार बना रहे हैं।
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी पहला फेज अहम है क्योंकि इस पर उनकी सत्ता की स्थिति
- निर्भर कर सकती है। वहीं, तेजस्वी यादव भी पहले चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
पहले चरण के चुनाव का महत्व
- 2025 के बिहार चुनाव में पहला चरण कुल 121 सीटों पर वोटिंग के साथ राज्य के राजनीतिक समीकरण
- को बदल सकता है। चिराग पासवान और कुशवाहा की NDA में वापसी इस चरण को NDA के लिए खास मायने देती है।
- चिराग के एनडीए के साथ आने से JDU को नुकसान की भावना नहीं रहेगी और कई
- सीटें वापस लाने में मदद मिलेगी, वहीं कुशवाहा समुदाय की ताकत से कई समुदाय NDA के प्रति आकर्षित होंगे।
चुनावी विशेष: महिलाओं की भूमिका और विकास के मुद्दे
- इस बार के चुनाव में महिलाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं जैसे
- महिलाओं को आर्थिक सहायता, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की पहल एनडीए के पक्ष में मतदाता प्रभावित कर सकती हैं।
- NDA का दावा है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में विकास कार्यों को गति दी है
- जिससे मतदाता अब उन्हें एक बार फिर मौका देना चाहते हैं।
- चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी नेतृत्व वाली NDA में वापसी ने बिहार चुनाव के
- पहले चरण के लिए उम्मीदों की नई किरण जलाई है। यह वापसी एनडीए के लिए रणनीतिक रूप से
- महत्वपूर्ण साबित हो रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां 2020 में उसे निराशा हुई थी।
- NDA को इस फेज में जीत हासिल करके अपने राजनीतिक भविष्य को मजबूत करना होगा
- जो पूरे बिहार के राजनीतिक मनोवल और सत्ता समीकरण को प्रभावित करेगा। इस तरह
- पहला चरण बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सबसे अहम पड़ाव साबित हो सकता है।










