Ekadashi Kab ki Hai: इस एकादशी कब है? जानिए इस महीने की एकादशी की सटीक तारीख, इसका महत्व और व्रत के सही समय से जुड़ी पूरी जानकारी। पूजा-पाठ और व्रत की विधि ताकि आपका एकादशी का पर्व बने अत्यंत शुभ और फलदायी। जल्द से जल्द जानें और इस पवित्र दिन का सही लाभ उठाएं!
Ekadashi Kab ki Hai: एकादशी कब होती है? और इसका महत्व क्या है?

#एकादशी हिंदू पंचांग की एक पावन तिथि है, जो प्रत्येक माह की कृष्ण (चन्द्रमा के घटते चरण) और शुक्ल पक्ष (चन्द्रमा के बढ़ते चरण) की ग्यारहवीं तिथि को आती है। यानी हर माह में दो बार एकादशी आती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे व्रत, पूजा, और ध्यान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
एकादशी का धार्मिक महत्व
#एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखा जाता है। इसे आध्यात्मिक उन्नति, पापों से मुक्ति, और शरीर-मन की शुद्धि का अवसर माना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन रखा गया व्रत मनुष्य के सभी पापों को समाप्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन उपवास रखने वाले भक्त साक्षात् भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं और उनका कल्याण होता है।
2025 में जुलाई माह की प्रमुख एकादशियां
जुलाई 2025 में दो मुख्य एकादशियां आने वाली हैं:
देवशयनी एकादशी:

यह 6 जुलाई 2025 को है, जो आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है।
इस दिन भगवान विष्णु चतुर्मास के लिए क vrत रहते हैं जिसे देवशयनी कहते हैं।
व्रत का शुभारंभ 5 जुलाई शाम 6:58 बजे से होता है
और समाप्ति 6 जुलाई रात 9:14 बजे होती है।
पारणा (व्रत तोड़ना) की अवधि 7 जुलाई की सुबह 5:28 से 8:15 बजे तक है.
कामिका एकादशी:
यह श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जो 21 जुलाई 2025 को पड़ती है।
यह भी भगवान विष्णु की आराधना का महत्वपूर्ण दिन है।
इस एकादशी का सार धार्मिक काथा, पूजा एवं उपवास में निहित है।
इसके दौरान भक्त संकल्प और भक्ति से भरपूर रहते हैं.

एकादशी व्रत कैसे रखें?
- पूजा एवं स्नान : एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और घर या मंदिर में पूजा करें।
- उपवास : एकादशी के दिन अनाज, दाल, मांस, मिर्च, लहसुन, प्याज आदि का सेवन वर्जित होता है। केवल फल, दूध, और व्रत के अनुसार हल्का भोजन किया जा सकता है। कुछ भक्त निर्जल व्रत भी रखते हैं।
- ध्यान एवं भजन : व्रत के दौरान भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन, और ध्यान करना चाहिए जिससे मन में शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो।
- पारण : अगले दिन द्वादशी तिथि के आरंभ काल में पारण किया जाता है, जो निर्धारित समय में होना चाहिए ताकि व्रत सफल माना जाए.
एकादशी का आध्यात्मिक लाभ

Ekadashi व्रत से व्यक्ति के मन-शरीर की शुद्धि होती है, मनोविकार दूर होते हैं और ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए फलदायक माना जाता है जो अपने जीवन में सच्ची आध्यात्मिक प्रगति चाहते हैं। साथ ही, इसे पारंपरिक रीति-रिवाजों और विधान के अनुसार पालन करने पर अनेक तरह के धार्मिक और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
Ekadashi हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पावन दिन है,
जो भगवान विष्णु की उपासना और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है।
2025 में जुलाई माह में देवशयनी और कामिका एकादशी विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
यदि आप सही विधि से एकादशी का व्रत करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं
तो यह आपके जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रगति लाता है।
यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए एक सरल और रोचक जानकारी है ताकि आप एकादशी के दिन,
महत्व, और पूजा व्रत के नियमों को आसानी से समझ
सकें और अपना जीवन भगवान विष्णु की कृपा से सद्भाग्यशाली बना सकें।