Dussehra 2025: जानिए कैसे दशहरे के दिन की पूजा विधि से जीवन में सुख और समृद्धि ला सकते हैं
April 2, 2025 2025-04-02 6:09Dussehra 2025: जानिए कैसे दशहरे के दिन की पूजा विधि से जीवन में सुख और समृद्धि ला सकते हैं
Dussehra 2025: जानिए कैसे दशहरे के दिन की पूजा विधि से जीवन में सुख और समृद्धि ला सकते हैं
Dussehra 2025: दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है,
भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है।
यह पर्व विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
यह पर्व रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के वध के दिन की याद में मनाया जाता है। दशहरा 2025 में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

#दशहरा का महत्व
#दशहरा का पर्व हिन्दू धर्म में बुराई के खिलाफ अच्छाई की लड़ाई का प्रतीक है।
यह दिन भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में सच्चाई, नैतिकता और आदर्शों को बढ़ावा देने का भी अवसर है।
हिंदू धर्म में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, और राम को अच्छाई, सत्य और धर्म का प्रतीक माना जाता है।
दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन करके हम यह संदेश देते हैं कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो,
अच्छाई हमेशा जीतती है। यह पर्व जीवन में सकारात्मकता और अच्छाई के प्रति विश्वास को मजबूत करता है।
Dussehra 2025 की तारीख
#Dussehra 2025 में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
यह दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
दशहरा के दिन विशेष रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें राम के जीवन के प्रमुख प्रसंगों को दर्शाया जाता है, और अंत में रावण का पुतला दहन किया जाता है।
दशहरा की पूजा विधि
#दशहरा के दिन विशेष पूजा विधि की जाती है। यह दिन बुराई के अंत और अच्छाई के उजाले के स्वागत के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन पूजा, व्रत और रावण के पुतले का दहन प्रमुख रूप से किया जाता है।
पूजा विधि
स्नान और शुद्धता: दशहरा के दिन श्रद्धालु प्रातः काल उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा की तैयारी करते हैं।
रामलीला का आयोजन: पूरे भारत में दशहरा के दिन रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें राम के जीवन की कथा को दर्शाया जाता है। इस दिन राम और रावण के युद्ध को दिखाया जाता है, जो अंत में रावण के वध के साथ समाप्त होता है।
रावण के पुतले का दहन: पूजा के बाद, रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। यह पुतले बुराई के प्रतीक होते हैं और इनका दहन अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।
व्रत और उपवासी: कुछ लोग इस दिन उपवासी रहते हैं और अपने मन, वचन और क्रिया से बुराई को त्यागने का संकल्प लेते हैं। वे इस दिन अपने पापों से मुक्ति पाने और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं।
पूजा सामग्री
#दशहरा पूजा के लिए कुछ विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है:
- रावण का पुतला
- दीपक और घी
- फूल और ताजे पत्ते
- चावल, फल और मिठाई
- सिंदूर, हल्दी और कुमकुम
- नारियल और सिक्के
दशहरा के लाभ
दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इससे जीवन में अनेक लाभ भी होते हैं।
यह दिन व्यक्ति को अच्छाई की ओर अग्रसर होने और जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
आध्यात्मिक उन्नति: दशहरा का पर्व बुराई को त्यागने और अच्छाई को अपनाने का पर्व है।
इस दिन व्यक्ति अपने दोषों और पापों से मुक्त होने के लिए संकल्प लेता है।
जीवन में सकारात्मकता का आगमन: दशहरा का पर्व जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है
और व्यक्ति को अपने जीवन में शुभ कामों की शुरुआत करने की प्रेरणा देता है।
सच्चाई और नैतिकता का पालन: यह पर्व सच्चाई, नैतिकता और आदर्शों को बढ़ावा देने का दिन होता है।
इस दिन व्यक्ति अपने जीवन में सच्चे और सही मार्ग पर चलने का संकल्प करता है।
पारिवारिक एकता: दशहरा के दिन परिवार एकजुट होकर पूजा और आयोजन करते हैं।
यह परिवार में प्यार और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
दशहरा से जुड़ी कथाएँ
दशहरा से जुड़ी कई कथाएँ हैं, जो इस पर्व के महत्व को समझाती हैं।
सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान राम और रावण के युद्ध की है,
जिसमें भगवान राम ने रावण का वध करके सत्य,
धर्म और अच्छाई की जीत का प्रतीक प्रस्तुत किया।
इस दिन रावण के पुतले का दहन करके हम यह संदेश देते हैं कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई से होता है।
एक अन्य प्रसिद्ध कथा के अनुसार,
महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने शक्ति का अवतार लिया था और महिषासुर को पराजित किया।
यह घटना भी दशहरा से जुड़ी हुई है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
निष्कर्ष
Dussehra 2025 का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और सत्य की विजय का प्रतीक है।
इस दिन रावण के पुतले का दहन करके हम अपने जीवन से बुराई को दूर करने का संकल्प लेते हैं।
यह पर्व जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता,
भाईचारे और अच्छाई के प्रति विश्वास को बढ़ावा देता है।