ट्रंप टैरिफ विवाद 2025 : अमेरिका की आर्थिक नीतियों में फिर एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) योजना को अमेरिकी सीनेट में भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। मंगलवार और बुधवार को हुई वोटिंग में चार रिपब्लिकन सेनेटर भी ट्रंप के टैरिफ प्लान के खिलाफ खड़े हुए, जिससे इस योजना की राजनीतिक मजबूती झुकने लगी है। इस ब्लॉग पोस्ट में ट्रंप की आर्थिक रणनीति पर आने वाले विवाद, सीनेट की प्रतिक्रिया, और आगे की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ट्रंप की टैरिफ योजना का परिचय
डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में अपनी दूसरी कार्यकाल के दौरान कई देशों से आयातित सामानों पर भारी टैरिफ लगाने की नीति अपनाई। उन्होंने जुलाई में ब्राजील से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसका आधार राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करना था। इसके अलावा कनाडा समेत कई देशों पर भी टैरिफ बढ़ाए गए, जिनका लक्ष्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना था। लेकिन इस रणनीति को लेकर अमेरिका के अंदर आर्थिक और राजनीतिक वर्गों में मतभेद बन गए।

अमेरिकी सीनेट में बढ़ता विरोध
- अमेरिकी सीनेट ने ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ तीन महत्वपूर्व प्रस्तावों को वोटिंग में रखा।
- इनमें से प्रमुख था ब्राजील पर टैरिफ खत्म करने का प्रस्ताव, जिसे 52-48 के वोट से पास किया गया।
- इस वोटिंग में पांच रिपब्लिकन सेनेटर जैसे कि मिच मैककॉनल, सुसान कॉलिन्स, लिसा मर्कोवस्की,
- रैंड पॉल और थोम टिलिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर ट्रंप के खिलाफ वोट किया। कनाडा पर
- टैरिफ हटाने के प्रस्ताव में भी चार रिपब्लिकन सेनेटर ने समर्थन दिया। यह साफ संकेत है
- कि ट्रंप की पार्टी के अंदर भी उनकी टैरिफ नीति को लेकर असहमति है।
टैरिफ योजना पर मुख्य आपत्तियां
टैरिफ के विरोध में मुख्य तर्क यह है कि:
- राष्ट्रपति ने आपातकाल का बहाना बना कर बिना कांग्रेस की मंजूरी के टैरिफ लगाए, जो कि शक्ति की दुरुपयोग है।
- टैरिफों से घरेलू उत्पादों की लागत बढ़ी, जिससे किसानों, छोटे व्यवसायों और उपभोक्ताओं को नुकसान हुआ है।
- व्यापारिक साझेदार देशों के साथ रिश्तों में तनाव बढ़ा है, जिसके कारण आर्थिक नुकसान और व्यापार युद्ध के खतरे बढ़ गए हैं।
- विवादास्पद टैरिफ नीति अमेरिका की अर्थव्यवस्था को स्थिरता नहीं दे पा रही है, बल्कि विपरीत प्रभाव डाल रही है.
राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
टैरिफ नीति पर इस विवाद ने अमेरिका की अंदरूनी राजनीति को प्रभावित किया है। रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं को घरेलू आर्थिक दबाव के कारण इसे रोकने का दबाव है, जबकि ट्रंप इसके पक्षधर बने हुए हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में भी इस योजना की वैधता पर बहस होने वाली है, जो कि आने वाले महीनों में बड़ी न्यायिक कड़ी साबित हो सकती है। वहीं व्यापारिक पार्टनर्स के साथ वार्ता भी प्रभावित हुई है, खासकर कनाडा और ब्राजील के साथ.
आगे की संभावनाएं!
सीनेट द्वारा टैरिफ पावर को सीमित करने के प्रस्तावों को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में भी भेजा जाएगा, लेकिन वहां फिलहाल इसे रोकने की कोशिशें जारी हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला राष्ट्रपति के आपातकालीन प्रावधान के दुरुपयोग को लेकर निर्णायक होगा।
- ट्रेड वार में मध्यम वर्ग, किसान, और छोटे उद्योग प्रभावित होंगे, जिससे नीतिगत बदलाव की मांग बढ़ेगी।
- ट्रंप की नीति पर पार्टी के अंदर घमासान बढ़ने का खतरा है, जो अगले चुनावों पर असर डाल सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक रणनीति, खासतौर पर टैरिफ प्लान को अमेरिकी सीनेट में चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ा है। चार रिपब्लिकन सांसदों के भी इस योजना के खिलाफ खड़े होने से इसका राजनीतिक दबाव और बढ़ गया है। यह विवाद अमेरिका की घरेलू और विदेशी आर्थिक नीतियों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की कार्रवाई इस संकट का भविष्य तय करेगी। इस टैरिफ युद्ध का असर अमेरिकी किसानों, उद्योगों और आम लोगों की जेब पर भी भारी पड़ सकता है.







