Cloud Seeding Report : ड्रोन और क्लाउड सीडिंग रिपोर्ट्स में दुनिया के सबसे स्वच्छ देशों का शीर्षक गल रहा है। भारत अब टॉप-10 से बाहर, जानिए कौन सा देश है नंबर वन और क्यों!
ड्रोन और क्लाउड सीडिंग रिपोर्ट में कौन सा देश है सबसे स्वच्छ?
वैश्विक पर्यावरण रैंकिंग में बदलाव के बीच, क्लाउड सीडिंग और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नई रिपोर्ट आई है, जिसने दुनिया के सबसे स्वच्छ देशों की लिस्ट को हिला कर रख दिया है। इसमें अफ्रीकी देश राउंडआउट करने वाले शीर्ष स्थानों के अलावा, भारत की टॉप-10 रैंकिंग से बाहर होना बड़े ध्यान देने वाला विषय बन गया है।

सामान्यतः, इस रिपोर्ट में स्वच्छ और स्वस्थ देशों का निर्धारण उनके वायु गुणवत्ता, प्रदूषण स्तर, जल संरक्षण और पर्यावरण नीति के आधार पर किया गया है। परंतु इस बार, कुछ नए कारकों ने इस रैंकिंग को बदल दिया है, जिसमें मुख्य भूमिका क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीकों ने निभाई है।
क्लाउड सीडिंग: पर्यावरण सुधार की नई तकनीक
क्लाउड सीडिंग एक अभिनव प्रक्रिया है, जिसमें बृहत् पहियों से बूंदें बनाने के लिए बारिश का प्रबंधन किया जाता है। इस तकनीक का उद्देश्य सूखे क्षेत्रों में मानसून का विस्तार करना, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
कुछ देशों ने इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, और अमेरिका ने अपने पर्यावरणीय संकटों का समाधान खोजने के लिए क्लाउड सीडिंग का उपयोग बढ़ाया है। इन प्रयासों का परिणाम यह है कि ये देश अब दुनिया के सबसे स्वच्छ देशों की सूची में आगे हैं।
दुनिया का सबसे स्वच्छ देश कौन सा?
इस बार रिपोर्ट में साफ तौर पर नॉर्वे ने अपनी स्थिति बरकरार रखी है। नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, और आइसलैंड जैसे यूरोपीय देश अपने पर्यावरण संरक्षण प्रयत्नों और स्वच्छ वायु गुणवत्ता के चलते शीर्ष स्थान प्राप्त कर चुके हैं। इन देशों में प्रदूषण के स्तर शून्य से भी नीचे हैं, जल और वायु में स्वच्छता सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- खास बात यह है कि इन देशों ने क्लाउड सीडिंग जैसी नई तकनीकों का प्रभावी ढंग से अपनाया है
- जिससे उनकी वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है। नॉर्वे ने वर्ष 2025 में अपने जल संरक्षण के
- प्रयासों को और मजबूत किया है, साथ ही वायु प्रदूषण नियंत्रित करने में सफलता हासिल की है।
भारत क्यों बाहर हुआ?
भारत का स्थान टॉप 10 से बाहर होने की वजहें कई हैं। इसमें प्रमुख कारण हैं:
- प्रदूषण स्तर का उच्च होना
- शहरीकरण में तेजी से वृद्धि, जिससे वायु गुणवत्ता बिगड़ी है
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण सूखे और टेलडिस्क की समस्या
- पर्यावरण नीति का प्रभावी क्रियान्वयन न होना
- हालांकि भारत ने हाल ही में क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीकों को अपनाना शुरू किया है
- लेकिन व्यापक स्तर पर प्रभावी परिणाम देखने में अभी समय लगेगा। देश के कई
- राज्यों में वायु प्रदूषण का स्तर अब भी खतरे के निशान से ऊपर है, और आर्थिक विकास
- के चलते पर्यावरण संरक्षण की गति कमजोर पड़ती जा रही है।
पर्यावरण सुधार के लिए वैश्विक प्रयास
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट्स में चेतावनी दी गई है
- कि अगर अभी भी देशों ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के कदम नहीं उठाए
- तो भविष्य में स्थिति और अधिक विकट हो सकती है।
- क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीकें इस दिशा में सकारात्मक दिशा में कदम हैं
- और कई देशों ने इस पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर
- ऊर्जा, जल संरक्षण, रीसाइकिलिंग और वृक्षारोपण जैसे प्रयास भी अनिवार्य हो गए हैं।
ड्रोन और क्लाउड सीडिंग रिपोर्ट में, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विश्व के टॉप देश नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड जैसे यूरोपीय देश बना चुके हैं। भारत अभी टॉप 10 में जगह बनाने से बाहर है, लेकिन यदि तकनीकों और नीतियों में सुधार हुआ, तो आने वाले वर्षों में उसकी रैंकिंग में बदलाव संभव है।







