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Basics of Operating system

Introduction : Basics of Operating system

ऑपरेटिंग सिस्टम के मूल सिद्धांत (Basics of Operating System)

1. ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सिस्टम सॉफ़्टवेयर है जो कंप्यूटर हार्डवेयर और यूजर के बीच इंटरफेस का काम करता है। यह कंप्यूटर के संसाधनों जैसे CPU, मेमोरी, और स्टोरेज को नियंत्रित करता है और सुनिश्चित करता है कि सभी प्रोग्राम्स सही तरीके से काम करें। इसके बिना कंप्यूटर उपयोगकर्ता के निर्देशों को समझ और पालन नहीं कर सकता।

2. ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य

ऑपरेटिंग सिस्टम कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, जैसे:

  • प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management): कंप्यूटर पर एक समय में कई प्रोग्राम्स (प्रोसेसेस) चलते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम इन प्रोसेसेस के बीच CPU समय का वितरण करता है।
  • मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management): यह सुनिश्चित करता है कि कौन-सी प्रोग्राम्स या डेटा मेमोरी में स्टोर होंगे और कब उन्हें मेमोरी से हटा दिया जाएगा।
  • फाइल मैनेजमेंट (File Management): ऑपरेटिंग सिस्टम यह निर्धारित करता है कि फाइल्स को स्टोरेज में कैसे रखा जाएगा और उन्हें कैसे एक्सेस किया जाएगा।
  • डिवाइस मैनेजमेंट (Device Management): यह कंप्यूटर के विभिन्न इनपुट और आउटपुट डिवाइस जैसे कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर आदि को नियंत्रित करता है।
  • सिक्योरिटी (Security): यह सिस्टम और डेटा की सुरक्षा के लिए पासवर्ड, एन्क्रिप्शन, और फायरवॉल जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।

3. ऑपरेटिंग सिस्टम के घटक (Components of Operating System)

1. कर्नेल (Kernel):

कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य भाग होता है जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संवाद स्थापित करता है। यह सिस्टम के संसाधनों (जैसे CPU और मेमोरी) का प्रबंधन करता है और सभी मुख्य ऑपरेशंस को नियंत्रित करता है।

2. शेल (Shell):

शेल यूजर और कर्नेल के बीच इंटरफेस का काम करता है। यह यूजर के कमांड्स को कर्नेल तक पहुंचाता है और उनके अनुसार हार्डवेयर को निर्देश देता है।

3. फाइल सिस्टम (File System):

यह सिस्टम यह निर्धारित करता है कि फाइल्स को कैसे स्टोर और व्यवस्थित किया जाएगा। यह फाइल्स और डायरेक्टरी संरचना को मैनेज करता है।

4. ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating Systems)

1. सिंगल-टास्किंग और मल्टी-टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम:

  • सिंगल-टास्किंग सिस्टम: एक समय में केवल एक ही कार्य (टास्क) को चलाने की अनुमति देता है।
  • मल्टी-टास्किंग सिस्टम: एक समय में कई कार्यों को एक साथ चलाने की अनुमति देता है।

2. सिंगल-यूजर और मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम:

  • सिंगल-यूजर सिस्टम: एक समय में केवल एक यूजर को कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग करने की अनुमति देता है।
  • मल्टी-यूजर सिस्टम: एक साथ कई यूजर्स को कंप्यूटर संसाधनों तक पहुंच प्रदान करता है।

3. रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real-Time Operating System – RTOS):

यह ऑपरेटिंग सिस्टम समय-संवेदनशील कार्यों को नियंत्रित करता है, जहां डेटा प्रोसेसिंग एक निश्चित समय सीमा के भीतर होनी चाहिए, जैसे हवाई जहाज के नेविगेशन सिस्टम।

4. डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम:

यह सिस्टम कई कंप्यूटरों को जोड़कर एक नेटवर्क के रूप में काम करता है, जिसमें संसाधन साझा किए जाते हैं।

5. एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम:

यह छोटे उपकरणों जैसे माइक्रोवेव, स्मार्टवॉच और कारों के नियंत्रण सिस्टम में उपयोग किया जाता है।

5. ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास (History of Operating Systems)

ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास 1950 के दशक में हुआ था। शुरूआत में, बैच प्रोसेसिंग सिस्टम्स उपयोग में लाए गए, जहां एक समय में एक ही प्रोग्राम चलाया जा सकता था। इसके बाद, 1960 के दशक में टाइम-शेयरिंग सिस्टम्स ने मल्टी-टास्किंग की सुविधा प्रदान की। 1980 के दशक में GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) के साथ विंडोज और मैक ऑपरेटिंग सिस्टम्स ने लोकप्रियता हासिल की।

6. ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्व (Importance of Operating System)

ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना, एक कंप्यूटर केवल एक मशीन होता है जिसे कोई भी उपयोगकर्ता नहीं चला सकता। यह कंप्यूटर को काम करने योग्य बनाता है, जिससे प्रोग्राम्स और हार्डवेयर को सही तरीके से काम करने में मदद मिलती है। यह संसाधनों का प्रबंधन करके उपयोगकर्ता के अनुभव को सुगम और तेज बनाता है।

7. मल्टीटास्किंग और मल्टीप्रोसेसिंग (Multitasking and Multiprocessing)

  • मल्टीटास्किंग: एक ही CPU पर एक समय में कई कार्यों को चलाने की प्रक्रिया।
  • मल्टीप्रोसेसिंग: एक से अधिक CPUs का उपयोग करके एक साथ कई प्रोसेसेस को चलाने की प्रक्रिया।

8. वर्चुअल मेमोरी (Virtual Memory)

वर्चुअल मेमोरी एक ऐसी तकनीक है जो कंप्यूटर की RAM की सीमाओं को बढ़ाती है। यह हार्ड डिस्क का कुछ हिस्सा मेमोरी की तरह उपयोग करती है, जिससे बड़े प्रोग्राम्स को चलाने की क्षमता मिलती है।

9. ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर क्या करेगा?

ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना, कंप्यूटर एक निष्क्रिय मशीन होगी, जो उपयोगकर्ता के निर्देशों को समझ नहीं पाएगी। यह ऑपरेटिंग सिस्टम ही है जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच तालमेल बनाता है और उपयोगकर्ता को सिस्टम का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।

10. निष्कर्ष (Conclusion)

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है जो हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के बीच कड़ी का काम करता है। यह कंप्यूटर के सभी संसाधनों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करता है और उपयोगकर्ता को सरल और प्रभावी इंटरफेस प्रदान करता है। इसकी सहायता से कंप्यूटर विभिन्न कार्यों को सुचारू रूप से चला सकता है और विभिन्न डिवाइसेस के साथ इंटरफेस कर सकता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम का अध्ययन करना कंप्यूटर साइंस के छात्रों और सामान्य उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसके बिना कंप्यूटर का उपयोग असंभव है।

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